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बाढ़ पीड़ितों का गंभीर आरोप- राहत शिविर में है सुविधाओं की काफी कमी - बिहार में बाढ़

जिला प्रशासन ने बाढ़ राहत शिविर की व्यवस्था की है. लेकिन इस शिविर में पड़ताल करने पर जिला प्रशासन के दावों की पोल खुलती दिख रही है. जहां सुविधाओं का अभाव दिख रहा है.

बाढ़ राहत शिविर
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Published : Oct 2, 2019, 12:27 PM IST

भागलपुर: जिले में प्रशासन ने बाढ़ राहत शिविर की व्यवस्था की है. प्रशासन की तरफ से यहां दो बार भोजन और एक बार नास्ता दिया जाना है. मेडिकल के तौर पर 27 तरह की दवाइयों की व्यवस्था की बात की गई है. जबकि बच्चों के लिए अलग से व्यवस्था करने का दावा किया गया है. लेकिन हकीकत कुछ और ही है. शिविर में रहने वाले लोगों का कहना है कि व्यवस्था के दावों के अनुसार कार्य नहीं हो रहा है.

गर्भवती महिला को नहीं दी गई दवा
शहर के टिल्लहा कोठी के राहत शिविर में रह रही गर्भवती महिला कुसमी देवी ने बताया कि उनकी खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है. प्रशासन की तरफ से कोई भी दवा नहीं दी गई है. वहीं, दूसरी महिला ने बताया कि इस शिविर में गर्भवती महिलाओं के लिए कोई भी अलग से व्यवस्था नहीं की गई है.

बाढ़ राहत शिविर में है सुविधाओं की कमी

शिविर में शुद्ध पेयजल की कमी
शिविर में ही रह रही एक और गर्भवती महिला ने बताया कि एक दिन पहले आशा कार्यकर्ता आई थी. तब आशा कार्यकर्ता ने गर्भवती महिलाओं की जांच कराने की बात कहकर चली गई. लेकिन अब तक कोई नहीं आया. शिविर की महिला किरण देवी ने कहा कि यहां शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है.

भागलपुर
शिविर में रह रही गर्भवती महिलाएं

मच्छरों से परेशान हैं लोग
राहत शिविर में 10 दिनों से रह रहे जुगल मंडल ने बताया कि राहत शिविर में प्लास्टिक के फट जाने से बारिश होने पर पानी टपकता है. कल ही नया प्लास्टिक को बांधकर पानी को टपकने से रोका गया है. उन्होंने बताया कि लगातार बारिश से मच्छरों की तादाद बढ़ गई है. जिससे सोने में काफी परेशानी होती है. वहीं, खाने की गुणवक्ता के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि खाना बढ़िया मिलता है.

भागलपुर
शिविर के बारे में बताते बाढ़ पीड़ित

डीएम ने दी जानकारी
इस बारे में डीएम ने बताया कि बाढ़ पीड़ित के लिए 13 राहत शिविर सहित 26 सामुदायिक रसोई चलाया जा रहा है. 20 टैंकरों से पानी राहत शिविर तक पहुंचाए जा रहे हैं. चार मोबाइल टॉयलेट और 2 वाटर एटीएम लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में 263 प्रेगनेंट महिलाओं की पहचान की गई है. जिसमें से 86 राहत कैंप में रह रही है. उन्होंने यह भी कहा कि सभी गर्भवती महिलाओं को एक्सपेक्टेड डिलेवरी से पहले अस्पताल में भर्ती करने का निर्देश दे दिया गया है.

भागलपुर: जिले में प्रशासन ने बाढ़ राहत शिविर की व्यवस्था की है. प्रशासन की तरफ से यहां दो बार भोजन और एक बार नास्ता दिया जाना है. मेडिकल के तौर पर 27 तरह की दवाइयों की व्यवस्था की बात की गई है. जबकि बच्चों के लिए अलग से व्यवस्था करने का दावा किया गया है. लेकिन हकीकत कुछ और ही है. शिविर में रहने वाले लोगों का कहना है कि व्यवस्था के दावों के अनुसार कार्य नहीं हो रहा है.

गर्भवती महिला को नहीं दी गई दवा
शहर के टिल्लहा कोठी के राहत शिविर में रह रही गर्भवती महिला कुसमी देवी ने बताया कि उनकी खोज खबर लेने वाला कोई नहीं है. प्रशासन की तरफ से कोई भी दवा नहीं दी गई है. वहीं, दूसरी महिला ने बताया कि इस शिविर में गर्भवती महिलाओं के लिए कोई भी अलग से व्यवस्था नहीं की गई है.

बाढ़ राहत शिविर में है सुविधाओं की कमी

शिविर में शुद्ध पेयजल की कमी
शिविर में ही रह रही एक और गर्भवती महिला ने बताया कि एक दिन पहले आशा कार्यकर्ता आई थी. तब आशा कार्यकर्ता ने गर्भवती महिलाओं की जांच कराने की बात कहकर चली गई. लेकिन अब तक कोई नहीं आया. शिविर की महिला किरण देवी ने कहा कि यहां शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है.

भागलपुर
शिविर में रह रही गर्भवती महिलाएं

मच्छरों से परेशान हैं लोग
राहत शिविर में 10 दिनों से रह रहे जुगल मंडल ने बताया कि राहत शिविर में प्लास्टिक के फट जाने से बारिश होने पर पानी टपकता है. कल ही नया प्लास्टिक को बांधकर पानी को टपकने से रोका गया है. उन्होंने बताया कि लगातार बारिश से मच्छरों की तादाद बढ़ गई है. जिससे सोने में काफी परेशानी होती है. वहीं, खाने की गुणवक्ता के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि खाना बढ़िया मिलता है.

भागलपुर
शिविर के बारे में बताते बाढ़ पीड़ित

डीएम ने दी जानकारी
इस बारे में डीएम ने बताया कि बाढ़ पीड़ित के लिए 13 राहत शिविर सहित 26 सामुदायिक रसोई चलाया जा रहा है. 20 टैंकरों से पानी राहत शिविर तक पहुंचाए जा रहे हैं. चार मोबाइल टॉयलेट और 2 वाटर एटीएम लगाए गए हैं. उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में 263 प्रेगनेंट महिलाओं की पहचान की गई है. जिसमें से 86 राहत कैंप में रह रही है. उन्होंने यह भी कहा कि सभी गर्भवती महिलाओं को एक्सपेक्टेड डिलेवरी से पहले अस्पताल में भर्ती करने का निर्देश दे दिया गया है.

Intro:बाढ़ की विभीषिका का दंश झेल रहे पीड़ित परिवार के लिए जिला प्रशासन ने सामुदायिक रसोइये और राहत शिविर में समुचित व्यवस्था करने की बात कर रहे हैं । मगर बाढ़ की त्रासदी झेल रहे लोगों तक राहत मुकम्मल तरीके से नहीं पहुंच रहे हैं। राहत शिविर में रह रहे लोग बस जैसे-तैसे अपना जीवन काट रहे हैं । जिला प्रशासन द्वारा राहत शिविर में समुचित व्यवस्था किए जाने के हकीकत का पोल खोल रहे हैं राहत शिविर के ही लोग । जब ईटीवी संवाददाता राहत शिविर पहुंचे तो जिला प्रशासन के दावे खोखले साबित हुए ।


जिला प्रशासन ने राहत शिविर में दो समय भोजन एक समय नाश्ता , मेडिकल शिविर में 27 तरह के दवाई , शुद्ध पेयजल की व्यवस्था ,गर्भवती महिलाओं के लिए अलग से व्यवस्था , पशु के लिए चारे की व्यवस्था और बच्चों के लिए अलग से व्यवस्था करने के दावे किए गए हैं । मगर शिविर में रह रहे लोगों ने कुछ और ही बयां किया ।


Body:विश्वविद्यालय के टिल्लहा कोठी के राहत शिविर में रह रहे गर्भवती महिला कुसमी देवी ने बताया कि उनका हालचाल जानने के लिए कोई नहीं पहुंची है ,उन्होंने बताया कि ना कोई दवाई मिला है और ना ही कोई जांच-पड़ताल हुआ है । उन्होंने कहा कि यदि वह बीमार पड़ जाएगी तो शिविर में ही रह जाएगी । जब उनसे पूछा गया कि अभी कोई तकलीफ है तो उन्होंने बताया तकलीफ है मगर कर भी क्या सकती है ।


एक अन्य गर्भवती के परिजन रंजना देवी ने बताया कि इस शिविर में गर्भवती महिला के लिए कोई भी अलग से व्यवस्था नहीं की गई है । उन्होंने कहा कि यदि किसी तरह का कोई बात गर्भवती महिला के साथ हो जाएगी तो वह मर ही जाएगी ।कोई पूछने यख जांच करने के लिए नहीं आते हैं । उन्होंने बताया कि 1 दिन पहले आशा की कार्यकर्ता आई थी और गर्भवती महिला का फोटो और जांच कराने की बात कहकर चली गई फिर दोबारा अभी तक लौटकर नहीं आई है । इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस शिविर में दर्जनों की संख्या में गर्भवती महिलाएं हैं ।

माथे पर पानी भर कर ला रही महिला किरण देवी ने कहा कि वह चापाकल से पानी भर करें पीने के लिए ला रही है ,
जब उनसे कहा गया कि पानी गंदा है और बारिश का दिन है दूषित पानी पीने से तबीयत खराब हो सकता है ....तो उनका जवाब था कि वह कर भी क्या सकती है ,जीने के लिए तो पीना पड़ेगा । पानी खराब ही है तो क्या हुआ पीना तो पड़ेगा ।


राहत शिविर में रह रहे जुगल मंडल ने बताया कि वे पिछले 10 दिन से इस शिविर में रह रहे हैं , जहां वे रह रहे थे ,वहां पानी टपक रहा था , कल ही नया प्लास्टिक यहां बांधा गया है । दवाई वगैरह छिड़कने के लिए इस तरफ नहीं आते हैं और ना ही मच्छर मरने के लिए कोई दवाई देने आता है । उन्होंने बताया खाना बहुत अच्छा मिल रहा है ।


राहत शिविर के बारे में जानकारी देते हुए जिला अधिकारी ने बताया कि बाढ़ पीड़ित के लिए 13 राहत शिविर सहित 26 सामुदायिक रसोई चल रहे हैं । 25 नए चापाकल लगाए गए हैं 56 शौचालय लगाए गए हैं । 20 टैंकर से पानी राहत शिविर तक पहुंचाए जा रहे हैं । चार मोबाइल टॉयलेट लगाए गए हैं ,साथ ही 2 एटीएम वाटर लगाए गए हैं ।.जहां संभव हो पा रहा है वहां मिनरल वाटर भेजा जा रहा है ,इन सभी राहत शिविरों में चिकित्सा कैंप चल रहे हैं । वैसे क्षेत्र जहां पर से लोग नहीं निकल पा रहे हैं वहां पर चलंत चिकित्सालय की व्यवस्था की गई है । बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में 263 प्रेगनेंट लेडी की पहचान की गई है जिसमें से 86 राहत कैंप में रह रही है । जिसकी जांच की गई है । एक्सपेक्टेड डिलीवरी डेट से 7 से 8 दिन पहले महिला को अस्पताल में भर्ती कराने का निर्देश दिया गया है । पशुपालकों के लिए पशु चिकित्सालय केंद्र लगाए गए सभी राहत कैंप में सफाई की व्यवस्था की गई है ।






Conclusion:visual
byte - कुसमी देवी ( गर्भवती महिला )
byte - रंजना देवी ( गर्भवती की परिजन)
byte - किरण देवी ( बाढ़ पीड़ित )
byte - जुगल मंडल ( बाढ़ पीड़ित )
byte - प्रणव कुमार ( जिलाधिकारी )
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