भागलपुरः सरकारी दफ्तरों में बिजली खपत कम करने की योजना 2 अक्टूबर से लागू होनी है. जिसके लिए मानिटरिंग सितंबर से ही शुरू कर दी गई है. इसके बावजूद अफसरों द्वारा फिजूल बिजली खर्च जारी है. दरअसल बीते 6 सितंबर को मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सभी जिले के डीएम और एसपी को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए बिजली बचाने का टास्क सौंपा था. जिसका कोई असर अधिकारी और कर्मचारी पर देखने को नहीं मिल रहा है.
'कर्मचारियों पर कोई असर नहीं'
भागलपुर के एमबीआई कार्यालय में अफसर तो मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके दफ्तर में पंखे ऐसे ही चल रहे थे, इतना ही नहीं वेवजह कमरे की बत्ती भी जल रही ती. वहीं दफ्तर में अधिकारी कब आएंगे इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन कमरे में दिनभर पंखे, एलईडी बल्ब जल रहे हैं. जिसकी किसी को कोई परवाह नहीं है. वहीं डीटीओ कार्यालय में भी साहब कुर्सी पर नहीं थे, लेकिन एसी चल रहा था. ऐसे में साफ जाहिर है कि मुख्य सचिव के निर्देश का कर्मचारियों पर कोई असर नहीं पड़ा है.
'सचिव ने क्या निर्देश दिए थे'
बीते 6 सितंबर को मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सभी जिले के डीएम और एसपी को वीडियो कांफ्रेंसिंग कर बिजली बचाने का टास्क सौंपा था, जिसमें बिजली के खर्च को आधा करने का निर्देश दिया गया था. मुख्य सचिव का कहना था कि अफसर के नहीं रहने पर उनके कमरे में बिजली के उपकरणों को बंद रखा जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि अगर दफ्तर में खिड़कियों पर लगे पर्दे हटाकर काम किया जाए तो बल्ब जलाने की जरूरत खत्म हो जाएगी. इससे बिजली की भी बचत हो सकेगी.
'पवन कुमार फौजी की दलील'
भागलपुर प्रमंडलीय अध्यक्ष पवन कुमार फौजी ने कहा कि भागलपुर के डीटीओ और एमबीए कार्यालय का काम काफी पुरानी बिल्डिंग में चल रहा है. इसमें खिड़की नहीं होने के कारण लाइट जल रही है. वहीं अधिकारी की गैरमौजूदगी में चल रहे एसी, पंखे और जल रही लाइटों के बारे में उन्होंने अफसरों की लापरवाही बताई. उन्होंने इस तरह की फिजूल बिजली खर्च को रोकने की बात कही.