कोकराझार (असम): असम में बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद (बीटीसी) पड़ोसी भूटान के साथ सिक्किम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए पर्यटन सर्किट बनाने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए, बीटीसी प्रशासन ने असम-पश्चिम बंगाल सीमा पर श्रीरामपुर में सर्किट स्थापित करने के लिए 28 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. बीटीसी के मुख्य कार्यकारी सदस्य प्रमोद बोरो ने ईटीवी भारत को विस्तार से जानकारी दी.
प्रमोद बोरे ने बताया कि भूटान के साथ रेलवे संपर्क और बीटीसी क्षेत्रों से सटे भूटान में बनने वाले हवाईअड्डों से भी पर्यटन सर्किट को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा "हम जल्द ही असम और भूटान के बीच रेलवे संपर्क स्थापित करेंगे और असम-भूटान सीमा से सटे भूटान में हवाईअड्डों का निर्माण करेंगे. हम कोकराझार जिले के श्रीरामपुर में एक पर्यटन सर्किट स्थापित करेंगे, जिसके लिए हमने भूमि भी तय कर ली है."
पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के प्रयासः
बोरो के अनुसार, यदि सभी राज्य सरकारें श्रीरामपुर में अपने पर्यटन कार्यालय स्थापित करती हैं, तो पर्यटकों को काफी सहूलियत होगी और उनकी संख्या बढ़ेगी. बीटीसी प्रशासन 27 जनवरी, 2020 को भारत सरकार, असम सरकार, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (ABSU), नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ़ बोडोलैंड (NDFB) और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गनाइज़ेशन (UBPO) के साथ किये गये बोडो समझौते की पांचवीं वर्षगांठ मना रहा है.
बोडो समझौते पर राज्य की क्षेत्रीय अखंडता को बरकरार रखते हुए असम में बोडो समुदाय की मांगों के व्यापक और अंतिम समाधान के लिए एक दशक लंबी बातचीत के बाद हस्ताक्षर किए गए थे. 1993 और 2003 में त्रिपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप असम में बोडो आबादी वाले क्षेत्रों के लिए संविधान की छठी अनुसूची के तहत बोडोलैंड स्वायत्त और बोडोलैंड प्रादेशिक परिषदों का निर्माण हुआ. हालांकि, ABSU और इसके संबद्ध संगठनों के साथ-साथ NDFB के विभिन्न गुटों ने अलग राज्य की मांग जारी रखी.
बोडो ने कहा, "हमारे निरंतर आंदोलन और वैध मांगों के बाद, सरकार ने बोडोलैंड क्षेत्र के समग्र विकास के उद्देश्य से 2020 में नई दिल्ली में बोडो समझौते पर हस्ताक्षर किए." बोडोलैंड में रहने वाले सभी 26 समुदायों को एक साथ लाने के उद्देश्य से, BTC प्रशासन ने बोडोलैंड हैप्पीनेस मिशन शुरू किया था. मिशन का उद्देश्य प्रभावित समुदायों के बीच संचार की खाई को पाटना भी था. बोरो ने कहा, "इस साल मार्च में, हम बोडोलैंड में रहने वाले कई समुदायों की भाषा, रीति-रिवाजों और अन्य मुद्दों के बारे में उनके दृष्टिकोण को उजागर करते हुए एक सरकारी विज़न दस्तावेज़ प्रकाशित करेंगे."
बोडो समझौते के उद्देश्यः
- बीटीसी के क्षेत्र और शक्तियों को बढ़ाना और इसके कामकाज को सुव्यवस्थित करना
- बीटीएडी के बाहर रहने वाले बोडो से संबंधित मुद्दों का समाधान करना
- बोडो की सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई और जातीय पहचान को बढ़ावा देना और उसकी रक्षा करना
- आदिवासियों के भूमि अधिकारों के लिए विधायी सुरक्षा प्रदान करना
- आदिवासी क्षेत्रों का त्वरित विकास सुनिश्चित करना
- एनडीएफबी गुटों के सदस्यों का पुनर्वास करना
भारत सरकार, असम सरकार और विभिन्न बोडो संगठनों के बीच दो पूर्व समझौते हो चुके हैं. बोडो अभी भी वंचित महसूस कर रहे थे, जिसके कारण 2020 में तीसरे समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. जहां तक वित्तीय शक्ति का सवाल है, बीटीसी के वित्तीय संसाधनों और प्रशासनिक शक्तियों में सुधार के लिए संविधान (एक सौ पच्चीसवां संशोधन) विधेयक, 2019 के अनुसार अनुच्छेद 280 और संविधान की छठी अनुसूची में संशोधन शुरू किया गया है. संविधान संशोधन विधेयक जनवरी, 2019 में संसद में पेश किया गया था.
बड़े निवेश की जरूरतः
जब 2020 में बोडो समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, तो केंद्र सरकार ने पांच साल के लिए 1500 करोड़ रुपये का एकमुश्त वित्तीय पैकेज आवंटित किया था. इसके अलावा, बीटीसी को केंद्र से विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए धन मिलता रहता है. दूसरी ओर, राज्य सरकार ने क्षेत्रीय परिषद में 40 विभागों में विकास के लिए विशेष योजना (एसओपीडी) के लिए बीटीसी को धन आवंटित किया.
बोरो ने कहा, "हालांकि, हमें अपनी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए और अधिक धन की आवश्यकता है. हमें बीटीसी क्षेत्रों में निवेश करने के लिए प्रमुख उद्योगों की आवश्यकता है." उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका विभाग निवेश के लिए भूमि उपलब्ध कराने के लिए तैयार है. "हम उद्योगों को प्रोत्साहन नहीं दे सकते, लेकिन हम उन्हें जमीन मुहैया कराएंगे."
क्या छठी अनुसूची सभी जातीय संघर्षों का समाधान कर सकती है?
बोरो ने कहा, "किसी भी संघर्ष को हल करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति बहुत ज़रूरी है. हालांकि, अगर हम ज़मीन और पहचान के लिए लड़ते हैं, तो छठी अनुसूची एक व्यवस्था है." बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद के साथ-साथ असम में दो और प्रादेशिक परिषदें हैं, जिनमें दीमा हसाओ स्वायत्त जिला परिषद और कार्बी आंगलोंग स्वायत्त जिला परिषद शामिल हैं.
बोरो के अनुसार, संवैधानिक संशोधनों से जुड़े कुछ मुद्दों को छोड़कर, उनका प्रशासन सभी मुद्दों को हल करने की कोशिश कर रहा है. बोरो ने बीटीसी क्षेत्रों में रहने वाले विभिन्न समुदायों द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) की मांग का जिक्र करते हुए कहा, "कुछ संवैधानिक मुद्दों को छोड़कर, हम सभी मुद्दों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं."
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