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DM ने सिल्क उद्योग को बढ़ावा देने के लिए की बैठक, दिए कई अहम निर्देश

जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने सिल्क उद्योग को बढ़ावा देने के लिए रेशम विभाग और उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की है. साथ ही उन्हें 2 दिनों के अंदर अरंडी के पौधे लगाने वाले किसानों का चयन करने का निर्देश दिया है.

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Published : Sep 4, 2020, 1:05 PM IST

Updated : Sep 19, 2020, 4:53 PM IST

भागलपुरः जिले में सिल्क उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने अपने कार्यालय में रेशम विभाग और उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. इसमें 2 दिनों के अंदर अरंडी के पौधे लगाने वाले किसान और जीविका दीदियों का चयन करने का निर्देश दिया है.

जिलाधिकारी ने बैठक में शामिल अधिकारियों से कहा है कि अरंडी के पौधे लगाने वाले किसान का चयन कर उन्हें रेशम के कीट पालन करने के लिए प्रेरित करें. इस दौरान डीडीसी सुनील कुमार, जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक रामशरण राम, रेशम बोर्ड के महाप्रबंधक, बोर्ड के क्षेत्रीय पदाधिकारी सहित जीविका के अधिकारी मौजूद थे.

देखें पूरी रिपोर्ट

डीएम ने की बैठक
उद्योग विभाग के महाप्रबंधक रामशरण राम ने बताया कि बैठक में सिल्क सिटी को बढ़ावा देने के लिए जिलाधिकारी ने अरंडी की खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है. उन्होंने बैठक में शामिल कृषि अधिकारी और जीविका के अधिकारी को वैसे किसानों का चयन करने का निर्देश दिया है जो मिर्ची की खेती करता हो. उन्हें अरंडी की खेती के लिए भी प्रेरित करने का निर्देश दिया है. प्रेरित किसानों को बेगूसराय प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा.

सिल्क उद्योग को मिले बढ़ावा
डीएम ने कहा है कि अरंडी के पौधे से 30 से 35 दिन में कोकून तैयार हो जाता है और यहां पर कोकून का मांग अधिक है. अभी बाहर से मंगाया जा रहा है. जिले में मिर्ची की खेती भी लगभग 5 से 6 प्रखंडों में होती है. इसलिए वहां पर अरंडी के पौधे लगाए जा सकते हैं और उसके पत्ते को घरों में भी लोग ट्रे में रखकर कोकून तैयार कर सकते हैं.

अरंडी के पौधे लगाने वाले किसान का चयन
अधिकारी ने बताया कि एक एकड़ में 2000 अंडे के पौधे मिर्च के अंतर फसल लगा सकते हैं. 2000 अरंडी के पौधे से 5000 किलोग्राम पत्तियां प्राप्त होती हैं. 5000 किलोग्राम पत्ती का 20% अर्थात 1000 किलोग्राम का उपयोग रेशम कीट पालन में किया जा सकता है. जिससे अरंडी बीज उत्पादन प्रभावित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि वर्ष में अरंडी रेशम कीट पालन की तीन से चार फसलें आसानी से ली जा सकती है. अरंडी रेशम कीट पालन कार्य 25 दिन में समानता पूरा हो जाता है. अरंडी के एक डीएफएल में 300 अंडे होते हैं. जिनसे लगभग 240 कीडे़ होकर सामान्य स्थिति में 200 कोया तक बनाते हैं.

2 महीने में तैयार होता है अरंडी का पौधा
आपकों बता दें कि अरंडी का पौधा 2 महीने में तैयार हो जाता है और उसके पत्ते को रेशम के कीट अपना भोजन बनाते हैं. अरंडी के पत्ते को कोई भी जानवर नहीं खाता है. एक एकड़ खेत में अरंडी के पत्तों पर 14000 कीट पाले जाते हैं, एक कीट रेशम बनाने में 25 दिन का समय लगाता है. इस प्रकार अपने पूरे जीवन काल में एक अरंडी पौधे से तीन बार रेशम कीट पालन किया जाता है. एक एकड़ खेत में पाले गए रेशम कीट से 21 किलोग्राम रेशम प्राप्त होता है.

भागलपुरः जिले में सिल्क उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने अपने कार्यालय में रेशम विभाग और उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. इसमें 2 दिनों के अंदर अरंडी के पौधे लगाने वाले किसान और जीविका दीदियों का चयन करने का निर्देश दिया है.

जिलाधिकारी ने बैठक में शामिल अधिकारियों से कहा है कि अरंडी के पौधे लगाने वाले किसान का चयन कर उन्हें रेशम के कीट पालन करने के लिए प्रेरित करें. इस दौरान डीडीसी सुनील कुमार, जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक रामशरण राम, रेशम बोर्ड के महाप्रबंधक, बोर्ड के क्षेत्रीय पदाधिकारी सहित जीविका के अधिकारी मौजूद थे.

देखें पूरी रिपोर्ट

डीएम ने की बैठक
उद्योग विभाग के महाप्रबंधक रामशरण राम ने बताया कि बैठक में सिल्क सिटी को बढ़ावा देने के लिए जिलाधिकारी ने अरंडी की खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है. उन्होंने बैठक में शामिल कृषि अधिकारी और जीविका के अधिकारी को वैसे किसानों का चयन करने का निर्देश दिया है जो मिर्ची की खेती करता हो. उन्हें अरंडी की खेती के लिए भी प्रेरित करने का निर्देश दिया है. प्रेरित किसानों को बेगूसराय प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा.

सिल्क उद्योग को मिले बढ़ावा
डीएम ने कहा है कि अरंडी के पौधे से 30 से 35 दिन में कोकून तैयार हो जाता है और यहां पर कोकून का मांग अधिक है. अभी बाहर से मंगाया जा रहा है. जिले में मिर्ची की खेती भी लगभग 5 से 6 प्रखंडों में होती है. इसलिए वहां पर अरंडी के पौधे लगाए जा सकते हैं और उसके पत्ते को घरों में भी लोग ट्रे में रखकर कोकून तैयार कर सकते हैं.

अरंडी के पौधे लगाने वाले किसान का चयन
अधिकारी ने बताया कि एक एकड़ में 2000 अंडे के पौधे मिर्च के अंतर फसल लगा सकते हैं. 2000 अरंडी के पौधे से 5000 किलोग्राम पत्तियां प्राप्त होती हैं. 5000 किलोग्राम पत्ती का 20% अर्थात 1000 किलोग्राम का उपयोग रेशम कीट पालन में किया जा सकता है. जिससे अरंडी बीज उत्पादन प्रभावित नहीं होगा. उन्होंने कहा कि वर्ष में अरंडी रेशम कीट पालन की तीन से चार फसलें आसानी से ली जा सकती है. अरंडी रेशम कीट पालन कार्य 25 दिन में समानता पूरा हो जाता है. अरंडी के एक डीएफएल में 300 अंडे होते हैं. जिनसे लगभग 240 कीडे़ होकर सामान्य स्थिति में 200 कोया तक बनाते हैं.

2 महीने में तैयार होता है अरंडी का पौधा
आपकों बता दें कि अरंडी का पौधा 2 महीने में तैयार हो जाता है और उसके पत्ते को रेशम के कीट अपना भोजन बनाते हैं. अरंडी के पत्ते को कोई भी जानवर नहीं खाता है. एक एकड़ खेत में अरंडी के पत्तों पर 14000 कीट पाले जाते हैं, एक कीट रेशम बनाने में 25 दिन का समय लगाता है. इस प्रकार अपने पूरे जीवन काल में एक अरंडी पौधे से तीन बार रेशम कीट पालन किया जाता है. एक एकड़ खेत में पाले गए रेशम कीट से 21 किलोग्राम रेशम प्राप्त होता है.

Last Updated : Sep 19, 2020, 4:53 PM IST
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