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भागलपुर से आयी अच्छी खबर: 48 गांवों में मिला कोयले का भंडार, 2026 से खनन

कोलकाता से आई जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने इसे खोजा था. जीएसआई की टीम ने केंद्र सरकार को बताया कि भागलपुर के इन इलाकों में जी-3 से लेकर जी-14 तक की क्वालिटी का कोयला मौजूद है, जो कि कोयले की सबसे उत्तम क्वालिटी हैं.

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Published : Dec 25, 2019, 5:58 AM IST

भागलपुर: साल 2000 में बिहार विभाजन के बाद सारी खनिज सम्पदायें झारखंड चली गई. बिहार खनिज के क्षेत्र में पिछड़ गया. लेकिन, साल 2019 में भागलपुर जिले से अच्छी खबर आई. पीरपैंती और कहलगांव के लगभग 48 गांवों में कोयले का भंडार मिला. कोलकाता से आई जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने इसे खोजा था.

जीएसआई की टीम ने केंद्र सरकार को बताया कि भागलपुर के इन इलाकों में जी-3 से लेकर जी-14 तक की क्वालिटी का कोयला मौजूद है, जो कि कोयले की सबसे उत्तम क्वालिटी हैं. हालांकि, जीएसआई की टीम ने इसे साल 2018 में ही खोज निकाला था. लेकिन, इस काम को तेजी 2019 में मिली. इसके बाद ये चर्चा तेज हुई कि अब बिहार में सस्ते दर में कोयला मिलेगा.

Bhagalpur
जीएसआई टीम ने की खोज

7 सालों से रिसर्च कर रही थी टीम
बता दें कि साल 2012 से ही बिहार के पीरपैंती में जीएसआई की टीम सर्वे कर रही थी. 7 साल बाद वैज्ञानिकों की टीम ने इलाके में कोयले का बड़ा भंडारण होने की संभावना जताई. जिसके बाद 20 मार्च 2018 को टीम ने बीसीसीएल धनबाद और सीएमपीडीआई की टीम को रिपोर्ट सौंपी. जिसके बाद केंद्रीय टीम ने इस ओर ध्यान देते हुए काम में तेजी लाने के निर्देश दिए.

केंद्र ने दिए भू-अर्जन के निर्देश
कोयला मिलने की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने बिहार सरकार को भू अर्जन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा. मौजूदा जानकारी के मुताबिक पीरपैंती प्रखंड के इन गांवों में साल 2026 से खनन शुरू होगा. पीरपैंती प्रखंड और कहलगांव के जिन गांवों में कोयला मिला है उनकी सूची इस प्रकार हैं:

देखें पूरी रिपोर्ट

इन गांवों में मिला कोयला

पीरपैंती के जिन गांवों में कोयला मिला उनमें लक्ष्मीपुर, गोविंदपुर,चौधरीबसंत, हीरानंद बंसीचक नौवाटोली, शेरमारी शादीपुर,रिफातपुर, जगदीशपुर,सीमानपुर, पसाहीचक, महादेव टिकर, प्यालापुर, गोकुल मथुरा, सगुनी, रोशनपुर,महतोटोला रिफातपुर, बदलूगंज, बाबूपुर, पचरुखी, बारा, इसीपुर, हरदेवचक, दौलतपुर ,कमलचक, मिर्जागांव सोनरचक, राजगंज, काजीबाड़ा, बसबिट्टा और बल्ली टीकर शामिल हैं. वहीं, कहलगांव के जिन गांवों में कोयला मिला उनमें सिंघाडी, गंगारामपुर, नवादा, मंसूरपुर का नाम है.

Bhagalpur
भागलपुर में मिला कोयला

80 से लेकर 400 फीट तक कोयला मौजूद
जीएसआई की सर्वे टीम के सहायक नागे ने बताया कि पीरपैंती के उत्तरी भाग में भी प्रचुर मात्रा में कोयला है. पिछले दो महीने पहले फिर से सर्वे शुरू किया गया है. कोयले के सैंपल को इकट्ठा कर जियोलॉजिस्ट को भेजा जा रहा है. सर्वे के रिपोर्ट के मुताबिक 80 फीट से लेकर 300 से 400 फीट तक कोयला मौजूद है.

सालाना हो सकेगा 60 मिलियन टन कोयला खनन
जानकारी के मुताबिक इन इलाकों से प्रतिवर्ष 60 मिलियन टन कोयला खनन किया जा सकता है. फिलहाल, सरकार के सामने तकरीबन 6 साल का समय है. इस बीच उन्हें भू-स्वामियों की सूची तैयार कर उन्हें दूसरे गांवों और इलाकों में शिफ्ट करना होगा. ताकि 2026 से कोयले का खनन शुरू किया जा सके.

भागलपुर: साल 2000 में बिहार विभाजन के बाद सारी खनिज सम्पदायें झारखंड चली गई. बिहार खनिज के क्षेत्र में पिछड़ गया. लेकिन, साल 2019 में भागलपुर जिले से अच्छी खबर आई. पीरपैंती और कहलगांव के लगभग 48 गांवों में कोयले का भंडार मिला. कोलकाता से आई जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने इसे खोजा था.

जीएसआई की टीम ने केंद्र सरकार को बताया कि भागलपुर के इन इलाकों में जी-3 से लेकर जी-14 तक की क्वालिटी का कोयला मौजूद है, जो कि कोयले की सबसे उत्तम क्वालिटी हैं. हालांकि, जीएसआई की टीम ने इसे साल 2018 में ही खोज निकाला था. लेकिन, इस काम को तेजी 2019 में मिली. इसके बाद ये चर्चा तेज हुई कि अब बिहार में सस्ते दर में कोयला मिलेगा.

Bhagalpur
जीएसआई टीम ने की खोज

7 सालों से रिसर्च कर रही थी टीम
बता दें कि साल 2012 से ही बिहार के पीरपैंती में जीएसआई की टीम सर्वे कर रही थी. 7 साल बाद वैज्ञानिकों की टीम ने इलाके में कोयले का बड़ा भंडारण होने की संभावना जताई. जिसके बाद 20 मार्च 2018 को टीम ने बीसीसीएल धनबाद और सीएमपीडीआई की टीम को रिपोर्ट सौंपी. जिसके बाद केंद्रीय टीम ने इस ओर ध्यान देते हुए काम में तेजी लाने के निर्देश दिए.

केंद्र ने दिए भू-अर्जन के निर्देश
कोयला मिलने की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने बिहार सरकार को भू अर्जन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा. मौजूदा जानकारी के मुताबिक पीरपैंती प्रखंड के इन गांवों में साल 2026 से खनन शुरू होगा. पीरपैंती प्रखंड और कहलगांव के जिन गांवों में कोयला मिला है उनकी सूची इस प्रकार हैं:

देखें पूरी रिपोर्ट

इन गांवों में मिला कोयला

पीरपैंती के जिन गांवों में कोयला मिला उनमें लक्ष्मीपुर, गोविंदपुर,चौधरीबसंत, हीरानंद बंसीचक नौवाटोली, शेरमारी शादीपुर,रिफातपुर, जगदीशपुर,सीमानपुर, पसाहीचक, महादेव टिकर, प्यालापुर, गोकुल मथुरा, सगुनी, रोशनपुर,महतोटोला रिफातपुर, बदलूगंज, बाबूपुर, पचरुखी, बारा, इसीपुर, हरदेवचक, दौलतपुर ,कमलचक, मिर्जागांव सोनरचक, राजगंज, काजीबाड़ा, बसबिट्टा और बल्ली टीकर शामिल हैं. वहीं, कहलगांव के जिन गांवों में कोयला मिला उनमें सिंघाडी, गंगारामपुर, नवादा, मंसूरपुर का नाम है.

Bhagalpur
भागलपुर में मिला कोयला

80 से लेकर 400 फीट तक कोयला मौजूद
जीएसआई की सर्वे टीम के सहायक नागे ने बताया कि पीरपैंती के उत्तरी भाग में भी प्रचुर मात्रा में कोयला है. पिछले दो महीने पहले फिर से सर्वे शुरू किया गया है. कोयले के सैंपल को इकट्ठा कर जियोलॉजिस्ट को भेजा जा रहा है. सर्वे के रिपोर्ट के मुताबिक 80 फीट से लेकर 300 से 400 फीट तक कोयला मौजूद है.

सालाना हो सकेगा 60 मिलियन टन कोयला खनन
जानकारी के मुताबिक इन इलाकों से प्रतिवर्ष 60 मिलियन टन कोयला खनन किया जा सकता है. फिलहाल, सरकार के सामने तकरीबन 6 साल का समय है. इस बीच उन्हें भू-स्वामियों की सूची तैयार कर उन्हें दूसरे गांवों और इलाकों में शिफ्ट करना होगा. ताकि 2026 से कोयले का खनन शुरू किया जा सके.

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2012 से पीरपैंती में जांच कर रहे जीएसआई टीम को मिला कोयले का बड़ा भंडार, बिहार में सस्ते दर पर मिलेगा कोयला

जीएसआई कोलकाता की टीम ने सर्वे के दौरान भारी मात्रा में जताई थी कोयला के भंडार की संभावना

साल 2012 से ही बिहार के पीरपैंती में सर्वे कर रही GSI (जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के वैज्ञानिकों की टीम को 2018 में कोयले का बड़ा भंडारण की संभावना जताई थी 20 मार्च 2018 को पीरपैंती और कहलगांव के लगभग 48 गांवों में कोयला का रिपोर्ट मिलने के बाद बीसीसीएल धनबाद एवं सीएमपीडीआई की संयुक्त केंद्रीय टीम में इसकी जांच की थी 2012 से पीरपैंती के विभिन्न क्षेत्रों में सर्वे कर रहे जीएसआई की टीम ने पर्याप्त मात्रा में कोयला की मौजूदगी की बात बताई थी ।


20 मार्च 2018 को केंद्रीय टीम को 48 गांव में मिला था कोयला का भंडार

20 मार्च 2018 को पीरपैंती और कहलगांव के 48 गांव में GSI की रिपोर्ट मिलने के बाद बीसीसीएल धनबाद सीएमपीडीआई की संयुक्त केंद्रीय टीम ने जांच कर कोयला मिलने का रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजा था केंद्र ने बिहार सरकार को भू अर्जन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा ।

पीरपैंती प्रखंड के इन गांवों में मिला है कोयला का भंडार 2026 से होगा खनन प्रारंभ

पीरपैंती प्रखंड के जिन गांवों में कोयला मिला है गांव की सूची भी तैयार कर ली गई है जिसमें 2025 तक भू अर्जन होने के बाद 2026 से खनन शुरू किया जाएगा कृपया क्षेत्र के लक्ष्मीपुर, गोविंदपुर ,चौधरीबसंत,हीरानंद ,बंसीचक ,नौवाटोली, शेरमारी शादीपुर ,रिफातपुर, जगदीशपुर ,सीमानपुर , पसाहीचक, महादेव टिकर , प्यालापुर, गोकुल मथुरा, सगुनी, रोशनपुर ,महतोटोला रिफ़ातपुर, बदलूगंज, बाबूपुर, पचरुखी ,बारा, इसीपुर हरदेवचक दौलतपुर ,कमलचक, मिर्जागांव ,सोनरचक,राजगंज, काजीबाड़ा, बसबिट्टा, बल्ली टीकर ।

कहलगांव के गांव जिन्हें कोयले के खनन के लिए चिन्हित किया गया है होगा खनन

सिंघाडी, गंगारामपुर, नवादा ,मंसूरपुर में भी कोयले को लेकर खुदाई का काम प्रारंभ किया जाएगा ।कहलगांव के इन गांवों को चिन्हित कर लिया गया है जहां से कोयले का खनन होगा






Body:भू अर्जन की प्रक्रिया 2025 तक पूरा कर 2026 से खनन शुरू करने की कही बात

पीरपैंती और कहलगांव में बीसीसीएल धनबाद के तत्कालीन जीएम सोमेन चटर्जी एवं योजना विभाग के निदेशक आनंद जी प्रसाद योजना अधिकारी नीरज कुमार एवं जियोलॉजिस्ट सुभाष सुरेश की टीम ने पीरपैंती के तत्कालीन सीओ नागेंद्र कुमार से मुलाकात कर कोयला मौजूद भूखंडों के बारे में जानकारी देते हुए उनसे भू स्वामियों की सूची की मांग भी की थी ताकि जल्द से जल्द भू अर्जन की प्रक्रिया को शुरू कर 2025 तक पूरी करने की भी बात कही थी ताकि 2026 से कोयला का खनन शुरू हो सके।


80 फीट से लेकर 300 से 400 फीट तक गहराई में है कोयला मौजूद

GSI की सर्वे टीम के सहायक नागे ने बताया की पीरपैंती के उत्तरी भाग में भी प्रचुर मात्रा में कोयले है मौजूद जिसके लिए करीबन पिछले दो माह से फिर से सर्वे शुरू किया जा रहा है और साथ ही साथ अलग अलग दूरी पर मिल रहे कोयले के सैंपल को इकट्ठा कर जियोलॉजिस्ट को भेजा जा रहा है सर्वे के रिपोर्ट में 80 फीट के बाद से कोयले की मौजूदगी की बात बताई गई है जो कि करीब 300 से 400 सीट है


Conclusion:प्रति वर्ष 60 मिलियन टर्न कोयला के खनन की बात भी रिपोर्ट में सौंपी गई ।

पीरपैंती और कहलगांव के भूभाग में करीबन 200 से 300 मिलियन टन कोयला होने की बात संयुक्त टीम के द्वारा बताई गई थी जिससे 60 मिलियन टन कोयला प्रतिवर्ष खनन किया जा सकता है सरकार के सामने करीबन 6 वर्ष का समय है जिसमें भू स्वामियों की सूची को तैयार कर कई गांव को दूसरे इलाके में शिफ्ट करने की क्रिया भी पूरी करनी है ताकि 2026 से कोयले का खनन शुरू किया जा सके।

ग्रेड 3 से लेकर ग्रेड 4 तक के कोई ले भंडार में है मौजूद इससे बिजली उत्पादन में बिजली घरों में किया जा सकता है इस्तेमाल

इस इलाके में जो कोयले की गुणवत्ता है वह G3 से लेकर G14 तक है इस तरह के कोयले का इस्तेमाल कोल बेस पावर प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है और काफी उत्कृष्ट माना जाता है । इसका इस्तेमाल बिजली घरों में किया जा सकता है ।
बिहार का पहला कोयला भंडार पीरपैंती में कोयले से बिजली उत्पादन करने वाले पावर प्लांट के लिए है उत्कृष्ट होता है जिसे कोयला आधारित विद्युत संयंत्र में इस्तेमाल किया जा सकता है।

स्थानीय सहयोगी संवाददाता सोनू कुमार के अनुसार जीएसआई की टीम ने प्याला पुर मंदार एवं अन्य कई गांव में कोयला की बात बताई है और कहा कोई मिलने की वजह से बिहार का एकमात्र खनिज पदार्थ पैदा करने वाला एकमात्र प्रखंड है जो कि बिहार के लिए काफी बड़ी बात है ।

वन टू वन संतोष श्रीवास्तव संवाददाता भागलपुर सोनू कुमार स्थानीय संवाददाता पीरपैंती लाल बंडी में
वन टू वन संतोष श्रीवास्तव संवाददाता भागलपुर नागे कुमार सहायक जीएसआई सर्वे टीम हाफ स्ट्राइप स्वेटर में
वन टू वन संतोष श्रीवास्तव संवादाता भागलपुर निर्मल कुमार पांडे स्वेटर और टोपी में

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