भागलपुर: साल 2000 में बिहार विभाजन के बाद सारी खनिज सम्पदायें झारखंड चली गई. बिहार खनिज के क्षेत्र में पिछड़ गया. लेकिन, साल 2019 में भागलपुर जिले से अच्छी खबर आई. पीरपैंती और कहलगांव के लगभग 48 गांवों में कोयले का भंडार मिला. कोलकाता से आई जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने इसे खोजा था.
जीएसआई की टीम ने केंद्र सरकार को बताया कि भागलपुर के इन इलाकों में जी-3 से लेकर जी-14 तक की क्वालिटी का कोयला मौजूद है, जो कि कोयले की सबसे उत्तम क्वालिटी हैं. हालांकि, जीएसआई की टीम ने इसे साल 2018 में ही खोज निकाला था. लेकिन, इस काम को तेजी 2019 में मिली. इसके बाद ये चर्चा तेज हुई कि अब बिहार में सस्ते दर में कोयला मिलेगा.
7 सालों से रिसर्च कर रही थी टीम
बता दें कि साल 2012 से ही बिहार के पीरपैंती में जीएसआई की टीम सर्वे कर रही थी. 7 साल बाद वैज्ञानिकों की टीम ने इलाके में कोयले का बड़ा भंडारण होने की संभावना जताई. जिसके बाद 20 मार्च 2018 को टीम ने बीसीसीएल धनबाद और सीएमपीडीआई की टीम को रिपोर्ट सौंपी. जिसके बाद केंद्रीय टीम ने इस ओर ध्यान देते हुए काम में तेजी लाने के निर्देश दिए.
केंद्र ने दिए भू-अर्जन के निर्देश
कोयला मिलने की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने बिहार सरकार को भू अर्जन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा. मौजूदा जानकारी के मुताबिक पीरपैंती प्रखंड के इन गांवों में साल 2026 से खनन शुरू होगा. पीरपैंती प्रखंड और कहलगांव के जिन गांवों में कोयला मिला है उनकी सूची इस प्रकार हैं:
इन गांवों में मिला कोयला
पीरपैंती के जिन गांवों में कोयला मिला उनमें लक्ष्मीपुर, गोविंदपुर,चौधरीबसंत, हीरानंद बंसीचक नौवाटोली, शेरमारी शादीपुर,रिफातपुर, जगदीशपुर,सीमानपुर, पसाहीचक, महादेव टिकर, प्यालापुर, गोकुल मथुरा, सगुनी, रोशनपुर,महतोटोला रिफातपुर, बदलूगंज, बाबूपुर, पचरुखी, बारा, इसीपुर, हरदेवचक, दौलतपुर ,कमलचक, मिर्जागांव सोनरचक, राजगंज, काजीबाड़ा, बसबिट्टा और बल्ली टीकर शामिल हैं. वहीं, कहलगांव के जिन गांवों में कोयला मिला उनमें सिंघाडी, गंगारामपुर, नवादा, मंसूरपुर का नाम है.
80 से लेकर 400 फीट तक कोयला मौजूद
जीएसआई की सर्वे टीम के सहायक नागे ने बताया कि पीरपैंती के उत्तरी भाग में भी प्रचुर मात्रा में कोयला है. पिछले दो महीने पहले फिर से सर्वे शुरू किया गया है. कोयले के सैंपल को इकट्ठा कर जियोलॉजिस्ट को भेजा जा रहा है. सर्वे के रिपोर्ट के मुताबिक 80 फीट से लेकर 300 से 400 फीट तक कोयला मौजूद है.
सालाना हो सकेगा 60 मिलियन टन कोयला खनन
जानकारी के मुताबिक इन इलाकों से प्रतिवर्ष 60 मिलियन टन कोयला खनन किया जा सकता है. फिलहाल, सरकार के सामने तकरीबन 6 साल का समय है. इस बीच उन्हें भू-स्वामियों की सूची तैयार कर उन्हें दूसरे गांवों और इलाकों में शिफ्ट करना होगा. ताकि 2026 से कोयले का खनन शुरू किया जा सके.