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बच्चों ने सीखी कत्थक और लोकनृत्य की बारीकियां, खूब किया मनोरंजन - Kathak

इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में क्लासिकल गीत-संगीत और लोकनृत्य के प्रति रुचि बढ़ाना था.

डांस करते कलाकार
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Published : May 27, 2019, 1:51 PM IST

भागलपुरः कत्थक और लोकनृत्य को बढ़ावा देने के लिए आयोजित 7 दिवसीय निशुल्क प्रशिक्षण शिविर भव्य समारोह के साथ संपन्न हुआ. प्रशिक्षण शिविर के आखिरी दिन बच्चों ने कत्थक लोक नृत्य, बिहार के प्रसिद्ध लोक नृत्य झिझिया, दादरा, कजरी की प्रस्तुति दी. समापन समारोह पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर डॉ. ज्योति चौधरी, डॉ. उपेंद्र शाह, सुनील जैन, विजया मोहिनी, रेखा जयसवाल ने की.

समापन समारोह में मौजूद लोग और जानकारी देती संचालिका श्वेता भारती

क्लासिकल गीत-संगीत को बढ़ावा
निशुल्क शिविर के बारे में जानकारी देते हुए कार्यक्रम की संचालिका श्वेता भारती ने बताया कि मेरा यह शिविर सफल रहा. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य ये है कि बच्चों में क्लासिकल गीत-संगीत और लोकनृत्य के प्रति रुचि बढ़े. बच्चे इनके बारे में जानें. उन्होंने कहा कि बच्चे प्रैक्टिकल तो करते हैं, सीखते हैं. लेकिन उन्हें थ्योरी का ज्ञान नहीं होता है. उसी थ्योरी को इस शिविर में बताया गया. समारोह में प्रतिभागियों ने नवरस भक्ति, कला नायक, नेता, अभिनय आदि विषय पर जानकारी हासिल की.

dance
डांस करते कलाकार

'क्लासिकल गीत-संगीत को गहराई से जानना जरूरी'
उन्होंने कहा कि बिहार के कई लोक नृत्य हैं जिसके बारे में गहराई हमारे से बच्चों को जानना चाहिए. तभी उन्हें समझ में आएगा. उन्होंने कत्थक को लेकर कहा कि कत्थक में बहुत सारी विधाएं हैं जिसको लेकर शिविर में बच्चे को जानकारी दी गई. उन्होंने कहा कि बच्चे को कत्थक के दौरान उनके स्टेज लाइट, भाव, नायक-नायिका इन चीजों को जानना चाहिए. जिससे कि उनकी प्रस्तुति और भी मजबूत हो.

भागलपुरः कत्थक और लोकनृत्य को बढ़ावा देने के लिए आयोजित 7 दिवसीय निशुल्क प्रशिक्षण शिविर भव्य समारोह के साथ संपन्न हुआ. प्रशिक्षण शिविर के आखिरी दिन बच्चों ने कत्थक लोक नृत्य, बिहार के प्रसिद्ध लोक नृत्य झिझिया, दादरा, कजरी की प्रस्तुति दी. समापन समारोह पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर डॉ. ज्योति चौधरी, डॉ. उपेंद्र शाह, सुनील जैन, विजया मोहिनी, रेखा जयसवाल ने की.

समापन समारोह में मौजूद लोग और जानकारी देती संचालिका श्वेता भारती

क्लासिकल गीत-संगीत को बढ़ावा
निशुल्क शिविर के बारे में जानकारी देते हुए कार्यक्रम की संचालिका श्वेता भारती ने बताया कि मेरा यह शिविर सफल रहा. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य ये है कि बच्चों में क्लासिकल गीत-संगीत और लोकनृत्य के प्रति रुचि बढ़े. बच्चे इनके बारे में जानें. उन्होंने कहा कि बच्चे प्रैक्टिकल तो करते हैं, सीखते हैं. लेकिन उन्हें थ्योरी का ज्ञान नहीं होता है. उसी थ्योरी को इस शिविर में बताया गया. समारोह में प्रतिभागियों ने नवरस भक्ति, कला नायक, नेता, अभिनय आदि विषय पर जानकारी हासिल की.

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डांस करते कलाकार

'क्लासिकल गीत-संगीत को गहराई से जानना जरूरी'
उन्होंने कहा कि बिहार के कई लोक नृत्य हैं जिसके बारे में गहराई हमारे से बच्चों को जानना चाहिए. तभी उन्हें समझ में आएगा. उन्होंने कत्थक को लेकर कहा कि कत्थक में बहुत सारी विधाएं हैं जिसको लेकर शिविर में बच्चे को जानकारी दी गई. उन्होंने कहा कि बच्चे को कत्थक के दौरान उनके स्टेज लाइट, भाव, नायक-नायिका इन चीजों को जानना चाहिए. जिससे कि उनकी प्रस्तुति और भी मजबूत हो.

Intro:भागलपुर में कत्थक और लोकनृत्य को बढ़ावा देने के लिए 7 दिनों से आयोजित निशुल्क प्रशिक्षण शिविर का भव्य समारोह के साथ कला केंद्र में संपन्न हुआ । प्रशिक्षण शिविर के आखिरी दिन बच्चों ने कत्थक लोक नृत्य बिहार के प्रसिद्ध लोक नृत्य झिझिया, दादरा , कजरी की प्रस्तुति दी । समापन समारोह पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर डॉ ज्योति चौधरी , डॉक्टर उपेंद्र शाह , सुनील जैन ,विजया मोहिनी , रेखा जयसवाल ने की । कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने नवरस भक्ति , कला नायक , नेता , अभिनय आदि विषय पर जानकारी हासिल की ।


Body:लोक नृत्य और कथक को बढ़ावा देने के लिए 7 दिनों से आयोजित है निशुल्क शिविर का समापन के बारे में जानकारी देते हुए कार्यक्रम की संचालिका श्वेता भारती ने बताया कि मेरा यह शिविर सफल रहा । उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम का उद्देश्य होता है बच्चों में क्लासिकल ,गीत - संगीत और लोकनृत्य के प्रति रुचि बड़े । बच्चे इनके बारे में नॉलेज ले । उन्होंने कहा कि बच्चे प्रैक्टिकल तो करते हैं सीखते हैं मगर उनके थ्योरी को समझ नहीं पाते । उसी तेरी को इस शिविर में बताया गया । उन्होंने कहा कि बिहार के कई लोक नृत्य हैं जिसके बारे में गहराई से बच्चे को जानना चाहिए तभी उन्हें समझ में आएगा ।.उन्होंने कत्थक को लेकर कहा कि कत्थक में बहुत सारी विधाएं हैं जिसको लेकर शिविर में बच्चे को जानकारी दी गई । उन्होंने कहा कि बच्चे को कत्थक के दौरान उनके स्टेज लाइट , भाव ,नायक - नायिका इन चीजों को जानी चाहिए जिससे कि उनकी प्रस्तुति और भी मजबूती से हो पाए और सबल बनने और निखर कर आए । वे कहती है कि भागलपुर में उनका यह शिविर सफल रहा । इसमें बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया उनके माता-पिता भी काफी उत्साहित होकर सहयोग भी किए ।


Conclusion:VISUAL
BYTE - श्वेता भारती ( संचालिका )
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