भागलपुरः कत्थक और लोकनृत्य को बढ़ावा देने के लिए आयोजित 7 दिवसीय निशुल्क प्रशिक्षण शिविर भव्य समारोह के साथ संपन्न हुआ. प्रशिक्षण शिविर के आखिरी दिन बच्चों ने कत्थक लोक नृत्य, बिहार के प्रसिद्ध लोक नृत्य झिझिया, दादरा, कजरी की प्रस्तुति दी. समापन समारोह पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर डॉ. ज्योति चौधरी, डॉ. उपेंद्र शाह, सुनील जैन, विजया मोहिनी, रेखा जयसवाल ने की.
क्लासिकल गीत-संगीत को बढ़ावा
निशुल्क शिविर के बारे में जानकारी देते हुए कार्यक्रम की संचालिका श्वेता भारती ने बताया कि मेरा यह शिविर सफल रहा. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य ये है कि बच्चों में क्लासिकल गीत-संगीत और लोकनृत्य के प्रति रुचि बढ़े. बच्चे इनके बारे में जानें. उन्होंने कहा कि बच्चे प्रैक्टिकल तो करते हैं, सीखते हैं. लेकिन उन्हें थ्योरी का ज्ञान नहीं होता है. उसी थ्योरी को इस शिविर में बताया गया. समारोह में प्रतिभागियों ने नवरस भक्ति, कला नायक, नेता, अभिनय आदि विषय पर जानकारी हासिल की.
'क्लासिकल गीत-संगीत को गहराई से जानना जरूरी'
उन्होंने कहा कि बिहार के कई लोक नृत्य हैं जिसके बारे में गहराई हमारे से बच्चों को जानना चाहिए. तभी उन्हें समझ में आएगा. उन्होंने कत्थक को लेकर कहा कि कत्थक में बहुत सारी विधाएं हैं जिसको लेकर शिविर में बच्चे को जानकारी दी गई. उन्होंने कहा कि बच्चे को कत्थक के दौरान उनके स्टेज लाइट, भाव, नायक-नायिका इन चीजों को जानना चाहिए. जिससे कि उनकी प्रस्तुति और भी मजबूत हो.