भागलपुर : लॉकडाउन के कारण आर्थिक संकट झेल रहे कलाकारों को मदद करने के लिए बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग ने जो रूपरेखा तय की उसका विरोध होने लगा है. भागलपुर में जिला प्रशासन के साथ जुड़कर हमेशा सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार और लोगों में जागरूकता लाने के लिए जागरूकता अभियान में जुड़कर गायन, बजायन, नाटक आदि कर अपना रोजी रोटी कमाने वाले शहरी कलाकारों पर परिवार चलाने का संकट आ गया है. ऐसे में बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग द्वारा कलाकारों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बांट कर देखने के नजरिए पर सवाल उठाया है.
'शहरी क्षेत्र के कलाकारों में नाराजगी'
रेडियो स्टेशन के गायक बलवीर सिंह ने सरकार की रूपरेखा पर आश्चर्य जताया है. उन्होंने कहा कि इस महामारी के समय में कलाकारों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बांट कर नहीं देखा जाना चाहिए था. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के कलाकारों के साथ-साथ शहरी क्षेत्र के कलाकार भी इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. हम लोगों का भी रोजगार छिन गया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से राज्य सरकार ने यह नियम लगाया है, इससे शहरी क्षेत्र के कलाकार में नाराजगी है.
'शहरी क्षेत्र के कलाकार को भी दिया जाए मौका'
गायक अजय अटल ने कहा कि शहरी क्षेत्र के कलाकार भी स्थानीय भाषा में प्रभावी तरीके से गायन-बजायन और नाटक आदि करते हैं, हम लोग भी कोरोना वायरस को लेकर गीत-संगीत और नाटक तैयार कर सकते थे. हम लोग भी लोकगीत गाते हैं, इसलिए हम लोगों को भी मौका दिया जाना चाहिए था, क्योंकि हम लोग कला की प्रस्तुति करके ही कुछ रुपैया कमाते थे और परिवार चलाते थे. वहीं, उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत के माध्यम से मैं बिहार सरकार से अपील करना चाहता हूं कि शहरी क्षेत्र के कलाकार को भी मौका दिया जाए. जिससे सभी लोग आर्थिक तंगी से थोड़ा बहुत उभर सके.
'ग्रामीण क्षेत्रों पर ही ध्यान केंद्रित'
तबला वादक नीतीश मिश्रा ने कहा कि सरकार ग्रामीण और शहरी कलाकार में भेदभाव पैदा करना चाह रहे हैं, जबकि हम लोग का रोजी-रोटी गायन बजाय से ही चलता था, लेकिन जिस तरह से सरकार का ग्रामीण क्षेत्रों पर ही ध्यान केंद्रित है, हम लोगों को छोड़ दिया यह उचित नहीं है. वहीं, उन्होंने कहा कि शहर वाले को चार हाथ नहीं होता है, और ग्रामीण को दो हाथ शहर वाले को भी दो ही हाथ होता है.
'दोनों के लिए योजना बनाया जाना चाहिए था सरकार को'
हारमोनियम वादक अरविंद कुमार ने कहा कि हम लोगों की रोजी रोटी इसी से चलता था. लॉकडाउन के कारण सब चीज बंद हो गया है. भूखे से मरने के कगार पर हैं. सरकार भी हम लोगों को उपेक्षित कर दिया है. शहर में हजारों कलाकार हैं, जो अपने कला का प्रदर्शन करके ही घर परिवार चलाते थे, उन पर संकट आ गया है. वहीं, सितार वादक मनोज परवाना ने कहा कि गांव में रहकर जब कोई कलाकार अच्छे गाने लगते हैं, तो अपना कैरियर तलाशने के लिए शहर की ओर भागते हैं. तो यहां पर शहर और गांव में बांटना कलाकारों को सही नहीं है. सरकार को दोनों के लिए योजना बनाया ना चाहिए था.
कोरोने से बचने का संदेश देते हुए मांगा था वीडियो
बता दें कि बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग ने कोरोना वायरस की रोकथाम और बचाव के लिए लोगों में जागरूकता के लिए लोक गीत नृत्य आदि के द्वारा कोरोने से बचने का संदेश देते हुए 15 से 20 मिनट का वीडियो मांगा था. वीडियो भेजने पर सभी भेजने वाले कलाकार को एक हजार प्रोत्साहन राशि और बेहतर वीडियो भेजने वाले को जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा रैंकिंग किए जाने के बाद उच्चतर गुणवत्ता वाले को 10 हजार मध्य वाले को 5 हजार और उससे कम वाले को 3 हजार का मानदेय दीया जाना है. कलाकारों ने बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग के मेल पर वीडियो अपलोड कर दिया है. विभाग ने मेल के माध्यम से वीडियो मांगा था.