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सुल्तानगंज से बैद्यनाथ धाम के लिए निकला 54 फीट का आकर्षक कांवड़, जत्थे में शामिल हैं 500 से अधिक कांवड़िया

पटना सिटी के मारूफगंज से 54 फीट का अद्भुत कांवड़ लेकर 500 कांवड़ियों का जत्था आज अजगैबीनाथ धाम से जल भरकर बाबाधाम के लिए रवाना हुए. इस कांवड़ को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. पढ़ें पूरी खबर..

कांवड़ लेकर निकाल 500 लोगों का जत्था
कांवड़ लेकर निकाल 500 लोगों का जत्था
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Published : Jul 20, 2022, 10:53 PM IST

भागलपुर(सुल्तानगंज): श्रावण का महीना चल रहा है. बाबा भोलेनाथ के दरबार में भक्त लगातार अपनी हाजिरी लगा रहे हैं. बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज स्थित अजगैबीनाथ धाम से जल भरकर कांवड़िया लगातार बाबा बैद्यनाथ धाम (Baba Baidyanath Dham in Deoghar) के लिए रवाना हो रहे हैं. बाबा धाम जाने से पहले बाबा भोलेनाथ के भक्त अजगैबीनाथ में पूजा-अर्चना करते हैं, जिसके बाद गंगा तट से जल भरकर देवघर के लिए रवाना होते हैं.

ये भी पढ़ें-सुल्तानगंज से बाबाधाम तक आज से बम-बम भोले.. उपमुख्यमंत्री करेंगे श्रावणी मेला 2022 का उद्घाटन

देवघर के लिए रवाना हुआ 54 फीट का कांवड़ : इसी कड़ी में बुधवार को पटना सिटी के मारूफगंज से 54 फीट का अद्भुत कांवड़ लेकर 500 से अधिक संख्या में कांवड़िया सुल्तानगंज पहुंचे. जहां उत्तरवाहिनी गंगा से जल उठा कर ढोल नगाड़ों के साथ झुमते-नाचते बाबा बैधनाथ धाम देवघर की ओर रवाना हुए. 54 फीट की इस कांवड़ की काफी विशेषताएं हैं. जैसे इस कांवर के ऊपर आपको पटना सिटी के मारूफगंज की श्री श्री बड़ी पटन देवी जी, रानीपुर मां काली की प्रतिमा और खुद भोलेनाथ का दर्शन होगा. इस कांवड़ में 6 कलश में गंगा जल हैं और 500 से ज्यादा कांवड़िया बारी-बारी से कांवड़ को कांधे पर रखकर ले जा रहे हैं.

जत्थे में शामिल हैं 500 से अधिक कांवड़िया: 54 फीट का यह अनुठा कांवड़ जिस भी रास्ते से गुजरता है. वहां श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है. यह जत्था 105 किलोमीटर की इस पैदल यात्रा को 54 घंटों में तय करता है. पिछले 14 वर्षों से यह सिलसिला चलता आ रहा है. शिव भक्त बताते हैं कि बाबा भोलेनाथ की कृपा सदा उनलोगों पर बनी हुई है और बाबा सारी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं. कांवड़ के साथ चल रहे का कांवड़ियों का कहना है कि वह पिछले 10 साल से अधिक समय से इस कावड़ के साथ चलते आ रहे हैं और जलाभिषेक करते आ रहे हैं.

कोरोना काल में बंद था कांवड़ यात्रा: कांवड़ियों ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से करोना काल के कारण कावड़ यात्रा पर रोक लगी थी. जिस कारण उनका जत्था जल नहीं चढ़ा सका था. उन्होंने कहा कि इस सावन में धूप और कांवरिया पथ पर बिछाए गए बालू के कारण काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. फिर भी वे लोग बाबा का नाम लेते हुए हर-हर महादेव का गुण गान करते हुए देवघर पहुंचते हैं. बाबा सारी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं.

ये भी पढ़ें- 14 जुलाई से श्रावणी मेला शुरू, कांवरियों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात

भागलपुर(सुल्तानगंज): श्रावण का महीना चल रहा है. बाबा भोलेनाथ के दरबार में भक्त लगातार अपनी हाजिरी लगा रहे हैं. बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज स्थित अजगैबीनाथ धाम से जल भरकर कांवड़िया लगातार बाबा बैद्यनाथ धाम (Baba Baidyanath Dham in Deoghar) के लिए रवाना हो रहे हैं. बाबा धाम जाने से पहले बाबा भोलेनाथ के भक्त अजगैबीनाथ में पूजा-अर्चना करते हैं, जिसके बाद गंगा तट से जल भरकर देवघर के लिए रवाना होते हैं.

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देवघर के लिए रवाना हुआ 54 फीट का कांवड़ : इसी कड़ी में बुधवार को पटना सिटी के मारूफगंज से 54 फीट का अद्भुत कांवड़ लेकर 500 से अधिक संख्या में कांवड़िया सुल्तानगंज पहुंचे. जहां उत्तरवाहिनी गंगा से जल उठा कर ढोल नगाड़ों के साथ झुमते-नाचते बाबा बैधनाथ धाम देवघर की ओर रवाना हुए. 54 फीट की इस कांवड़ की काफी विशेषताएं हैं. जैसे इस कांवर के ऊपर आपको पटना सिटी के मारूफगंज की श्री श्री बड़ी पटन देवी जी, रानीपुर मां काली की प्रतिमा और खुद भोलेनाथ का दर्शन होगा. इस कांवड़ में 6 कलश में गंगा जल हैं और 500 से ज्यादा कांवड़िया बारी-बारी से कांवड़ को कांधे पर रखकर ले जा रहे हैं.

जत्थे में शामिल हैं 500 से अधिक कांवड़िया: 54 फीट का यह अनुठा कांवड़ जिस भी रास्ते से गुजरता है. वहां श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है. यह जत्था 105 किलोमीटर की इस पैदल यात्रा को 54 घंटों में तय करता है. पिछले 14 वर्षों से यह सिलसिला चलता आ रहा है. शिव भक्त बताते हैं कि बाबा भोलेनाथ की कृपा सदा उनलोगों पर बनी हुई है और बाबा सारी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं. कांवड़ के साथ चल रहे का कांवड़ियों का कहना है कि वह पिछले 10 साल से अधिक समय से इस कावड़ के साथ चलते आ रहे हैं और जलाभिषेक करते आ रहे हैं.

कोरोना काल में बंद था कांवड़ यात्रा: कांवड़ियों ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से करोना काल के कारण कावड़ यात्रा पर रोक लगी थी. जिस कारण उनका जत्था जल नहीं चढ़ा सका था. उन्होंने कहा कि इस सावन में धूप और कांवरिया पथ पर बिछाए गए बालू के कारण काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. फिर भी वे लोग बाबा का नाम लेते हुए हर-हर महादेव का गुण गान करते हुए देवघर पहुंचते हैं. बाबा सारी मनोकामनाएं भी पूर्ण करते हैं.

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