बेगूसराय: जिले में सौभाग्य की प्राप्ति के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की अराधना का निर्जला व्रत तीज श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया गया. भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि शुक्रवार को मनाए गए तीज को लेकर महिलाओं ने 24 घंटे का निर्जला व्रत किया.महिलाएं सुबह से ही सोलह श्रृंगार करके गौरी- शंकर की पूजा अर्चना में लगी रही. वहीं, लॉकडाउन के कारण मंदिर बंद रहने से इस साल शिवालयों में भीड़़ नहीं जुटी और महिलाओं ने घर पर ही शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर विधिवत पूजन और कथा सुना.
महिलाओं ने रखा निर्जला व्रत
मान्यता है कि कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर के लिए इस व्रत को रखती हैं. जबकि सुहागन महिलाएं अपने अक्षत सुहाग की कामना के लिए व्रत रखती हैं. कहते हैं कि एक बार व्रत रखने के बाद इस व्रत को जीवनभर रखा जाता है. शास्त्रों के अनुसार तीज व्रत में कथा का विशेष महत्व होता है. कथा के बिना इस व्रत को अधूरा माना जाता है. इसलिए हरतालिका तीज व्रत रखने वाले को कथा जरूर सुनना या पढ़नी चाहिए. सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार हिमवान की पुत्री माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए बाल्यकाल में हिमालय पर्वत पर अन्न त्याग कर घोर तपस्या शुरू कर दी थी. इस बात से पार्वती के माता-पिता काफी परेशान थे. तभी एक दिन नारद जी राजा हिमवान के पास पार्वती के लिए भगवान विष्णु की ओर से विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंचे. लेकिन मां पार्वती ने इस शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया.
भगवान शिव की होती है अराधना
पार्वती ने अपनी एक सहेली से कहा कि वह सिर्फ भोलेनाथ को ही पति के रूप में स्वीकार करेंगी. सखी की सलाह पर पार्वती ने घने वन में एक गुफा में भगवान शिव की अराधना की. अराधना के दौरान भाद्रपद के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती ने मिट्टी से शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजा की और रातभर जागरण किया. माता पार्वती के तप से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया और तभी से तीज की परंपरा चल रही है.