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विकास पर वोट मांगने वाला कन्हैया बेगूसराय से हुआ गुम, लोग पूछ रहे-कहां हो तुम? - begusarai news

बीजेपी के गिरिराज सिंह के हाथों कन्हैया कुमार को मिली करारी शिकस्त के बाद से कन्हैया कुमार लगातार बेगूसराय से गायब हैं. आखिर कन्हैया कुमार कहां गायब हैं और क्यों गायब हैं इसकी पड़ताल हमने की.

कन्हैया कुमार
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Published : Jun 6, 2019, 1:20 AM IST

बेगूसराय : कहते हैं चुनाव के वक्त जब तक लाइट, कैमरा, एक्शन रहता है तब तक नेता खूब ताम-झाम करते हैं. वक्त निकलते ही वह भी निकल जाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल दिख रहा है कन्हैया कुमार का.

लोगों से बात करते संवाददाता

बीजेपी के गिरिराज सिंह के हाथों कन्हैया कुमार को मिली करारी शिकस्त के बाद से कन्हैया कुमार लगातार बेगूसराय से गायब हैं. आखिर कन्हैया कुमार कहां गायब हैं और क्यों गायब हैं इसकी पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम ने कन्हैया कुमार के गांव समेत इलाके के लोगों से बात की. हमने जानने का प्रयास किया कि चुनाव में कन्हैया की हार के बाद लोग कन्हैया के बारे में क्या सोचते हैं?

where-is-kanhaiya
साभार- सोशल मीडिया

विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की बात करने वाले कन्हैया कुमार छह महीने तक मीडिया और खासकर सोशल मीडिया के हॉट केक बने रहे. देश की सर्वाधिक हॉट सीट में शुमार बेगूसराय संसदीय सीट के लिए सीपीआई के कन्हैया कुमार और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह के बीच हुए भीषण संग्राम हुआ. जिसमें आहुति देने के लिए देश के तमाम बड़े नेता और सेलिब्रिटी बेगूसराय चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे.

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साभार- सोशल मीडिया

समर्थन में पहुंचे थे बड़े नेता और सेलिब्रिटी

कन्हैया कुमार को सीपीआई ने प्रोजेक्ट कर नरेंद्र मोदी या बीजेपी के खिलाफ बड़ा चेहरा बनाने की हरसंभव कोशिश की. कन्हैया के समर्थन में देश के कई बड़े नामचीन लोग बेगूसराय आकर वोट मांगते देखे गए. सीताराम येचुरी से लेकर योगेंद्र यादव, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, प्रकाश राज, स्वरा भास्कर, जिग्नेश मेवानी, शहला रशीद, नजीब की मां भी बेगूसराय की धरती पर पहुंची.

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साभार- सोशल मीडिया

कन्हैया कुमार ने चुनाव के दौरान वोटों का ध्रुवीकरण रोकने के लिए हर चुनावी सभा में विकास को मुद्दा बनाया. यह प्रमाणित करने की कोशिश की कि वह बेगूसराय के बेटे हैं. बेगूसराय के तमाम लंबित विकास के काम को वह पूरा करेंगे. बहुत हद तक एक बड़े मतदाता समूह को अपने भाषणों और लुभावने वादों से कन्हैया कुमार आकर्षित करने में सफल भी रहे.

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साभार- सोशल मीडिया

दो माह तक सोशल मीडिया पर छाए रहे कन्हैया

तमाम नेता, सेलिब्रिटी और फिल्म अभिनेता, कन्हैया कुमार के लिए प्रचार को पहुंच. तमाम लोगों ने विकास के नाम पर कन्हैया को वोट देने की अपील भी की. कन्हैया कुमार को देश का उभरता सितारा बताया. 2 माह तक कन्हैया कुमार सोशल मीडिया पर छाए रहे. कन्हैया मीडिया की सुर्खिया बटोरते रहे. हालांकि परिणाम उनके ठीक विपरीत निकला.

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साभार- सोशल मीडिया

वैसे तो कन्हैया कुमार की हार अप्रत्याशित नहीं थी. यह तो शुरू से तय माना जा रहा था कि कन्हैया कुमार, गिरिराज सिंह के सामने बौने साबित हो सकते हैं. लेकिन जीत का अंतर इतना बड़ा होगा यह शायद ही कोई चुनावी विश्लेषक को कोई अनुमान था. 2014 के मोदी लहर में बीजेपी के भोला सिंह को कुल 4,22,000 मत प्राप्त हुए थे और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी राजद के तनवीर हसन को 3,69,000 मत मिले थे. इस बार के चुनाव में मोदी लहर में गिरिराज सिंह को लगभग 7 लाख वोट पड़े और कन्हैया कुमार और गिरिराज सिंह के बीच जीत का अंतर 4,22,000 के पार जा पहुंचा.

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साभार- सोशल मीडिया

अपना किला नहीं बचा पाई सीपीआई

चुनाव की विशेषता यह रही कि सीपीआई के गढ़ वाले तेघड़ा, बछवाड़ा और मटिहानी विधानसभा इलाका जो वामदल का अभेद्य किला समझा जाता था जो पूरी तरह से ध्वस्त हो गया. तीनों विधानसभा क्षेत्रों में कन्हैया की तुलना में गिरिराज को दोगुना मत आया. कन्हैया ने जिस बूथ पर मतदान किया उस बूथ पर वो गिरिराज को 60 वोट से परास्त कर पाए. बांकी कन्हैया के गांव के अन्य बूथ पर गिरिराज का पलड़ा भारी रहा. कन्हैया अपने गांव में भी हार गए.

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साभार- सोशल मीडिया

हार के बाद गायब हैं कन्हैया

निश्चित तौर से इतनी बड़ी हार से कन्हैया एंड टीम आहत है. यही वजह है कि चुनाव हारने के बाद से लगातार कन्हैया कुमार भूमिगत हैं. अब ना ही कैमरे की लाइट है ना ही जनसभाओं में उमड़ती भीड़. चुनावी शोर थमने के बाद से कन्हैया कुमार किसी से नहीं मिले हैं.

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साभार- सोशल मीडिया

ईटीवी भारत​​​​​​​ की टीम ने लिया जायजा
हमारी टीम ने कन्हैया के गांव बीहट और कुछ इलाकों का दौरा किया. हमने यह जानने का प्रयास किया कि जिन लोगों ने कन्हैया को वोट दिया था वह अब क्या सोचते हैं? आम मतदाता कन्हैया के बारे में अब क्या राय रखते हैं? इसमें हमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. एक तरफ जो कन्हैया के अंध सपोर्टर थे वह कन्हैया की हार से बहुत आहत हैं. उन्हें लगता है कि कन्हैया की हार से जो उन्होंने विकास का सपना देखा था या जो उम्मीद थी वह धराशाई हो चुकी है. कुछ ऐसे भी मतदाता मिले जिन्होंने कहा कि उन्होंने तो कन्हैया को वोट दिया लेकिन उनकी पत्नी और घर के अन्य सदस्य बीजेपी को वोट दे दिए.

लोगों से बात करते संवाददाता

मुस्लिम महिलाओं ने भी गिरिराज को दिया समर्थन
कुछ मतदाताओं ने दावा किया कि सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम परिवार की महिलाओं ने गिरिराज सिंह को वोट दिए. जिस वजह से गिरिराज सिंह को अप्रत्याशित जीत और कन्हैया को इतनी बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. यह पूछे जाने पर कन्हैया कुमार है कहां तो इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है. कोई कहता है घर पर होंगे. कोई कहता है दिल्ली गए हैं. कोई कहता है बाहर गए हैं. लेकिन सभी यही बताते हैं कि कन्हैया कुमार अभी गांव में नहीं हैं. इसलिए लोगों से नहीं मिल पा रहे हैं.

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साभार- सोशल मीडिया

आखिर कन्हैया हैं कहां?

इतना तय है कि मतगणना के परिणाम कन्हैया के लिए दुखदायी जरूर हैं. लेकिन क्या कन्हैया के चुनाव हार जाने से बेगूसराय के विकास के मुद्दे दफन हो गए या कन्हैया अपने आप को जबाबदेही से मुक्त मानते हैं. बहरहाल जो भी हो इतना तय है कन्हैया के चाहने वाले और कन्हैया को जानने वाले लोग ये जानने का प्रयास जरूर कर रहे हैं कि कन्हैया हैं तो हैं कहां?

बेगूसराय : कहते हैं चुनाव के वक्त जब तक लाइट, कैमरा, एक्शन रहता है तब तक नेता खूब ताम-झाम करते हैं. वक्त निकलते ही वह भी निकल जाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल दिख रहा है कन्हैया कुमार का.

लोगों से बात करते संवाददाता

बीजेपी के गिरिराज सिंह के हाथों कन्हैया कुमार को मिली करारी शिकस्त के बाद से कन्हैया कुमार लगातार बेगूसराय से गायब हैं. आखिर कन्हैया कुमार कहां गायब हैं और क्यों गायब हैं इसकी पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम ने कन्हैया कुमार के गांव समेत इलाके के लोगों से बात की. हमने जानने का प्रयास किया कि चुनाव में कन्हैया की हार के बाद लोग कन्हैया के बारे में क्या सोचते हैं?

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साभार- सोशल मीडिया

विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की बात करने वाले कन्हैया कुमार छह महीने तक मीडिया और खासकर सोशल मीडिया के हॉट केक बने रहे. देश की सर्वाधिक हॉट सीट में शुमार बेगूसराय संसदीय सीट के लिए सीपीआई के कन्हैया कुमार और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह के बीच हुए भीषण संग्राम हुआ. जिसमें आहुति देने के लिए देश के तमाम बड़े नेता और सेलिब्रिटी बेगूसराय चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे.

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समर्थन में पहुंचे थे बड़े नेता और सेलिब्रिटी

कन्हैया कुमार को सीपीआई ने प्रोजेक्ट कर नरेंद्र मोदी या बीजेपी के खिलाफ बड़ा चेहरा बनाने की हरसंभव कोशिश की. कन्हैया के समर्थन में देश के कई बड़े नामचीन लोग बेगूसराय आकर वोट मांगते देखे गए. सीताराम येचुरी से लेकर योगेंद्र यादव, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, प्रकाश राज, स्वरा भास्कर, जिग्नेश मेवानी, शहला रशीद, नजीब की मां भी बेगूसराय की धरती पर पहुंची.

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साभार- सोशल मीडिया

कन्हैया कुमार ने चुनाव के दौरान वोटों का ध्रुवीकरण रोकने के लिए हर चुनावी सभा में विकास को मुद्दा बनाया. यह प्रमाणित करने की कोशिश की कि वह बेगूसराय के बेटे हैं. बेगूसराय के तमाम लंबित विकास के काम को वह पूरा करेंगे. बहुत हद तक एक बड़े मतदाता समूह को अपने भाषणों और लुभावने वादों से कन्हैया कुमार आकर्षित करने में सफल भी रहे.

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साभार- सोशल मीडिया

दो माह तक सोशल मीडिया पर छाए रहे कन्हैया

तमाम नेता, सेलिब्रिटी और फिल्म अभिनेता, कन्हैया कुमार के लिए प्रचार को पहुंच. तमाम लोगों ने विकास के नाम पर कन्हैया को वोट देने की अपील भी की. कन्हैया कुमार को देश का उभरता सितारा बताया. 2 माह तक कन्हैया कुमार सोशल मीडिया पर छाए रहे. कन्हैया मीडिया की सुर्खिया बटोरते रहे. हालांकि परिणाम उनके ठीक विपरीत निकला.

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साभार- सोशल मीडिया

वैसे तो कन्हैया कुमार की हार अप्रत्याशित नहीं थी. यह तो शुरू से तय माना जा रहा था कि कन्हैया कुमार, गिरिराज सिंह के सामने बौने साबित हो सकते हैं. लेकिन जीत का अंतर इतना बड़ा होगा यह शायद ही कोई चुनावी विश्लेषक को कोई अनुमान था. 2014 के मोदी लहर में बीजेपी के भोला सिंह को कुल 4,22,000 मत प्राप्त हुए थे और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी राजद के तनवीर हसन को 3,69,000 मत मिले थे. इस बार के चुनाव में मोदी लहर में गिरिराज सिंह को लगभग 7 लाख वोट पड़े और कन्हैया कुमार और गिरिराज सिंह के बीच जीत का अंतर 4,22,000 के पार जा पहुंचा.

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अपना किला नहीं बचा पाई सीपीआई

चुनाव की विशेषता यह रही कि सीपीआई के गढ़ वाले तेघड़ा, बछवाड़ा और मटिहानी विधानसभा इलाका जो वामदल का अभेद्य किला समझा जाता था जो पूरी तरह से ध्वस्त हो गया. तीनों विधानसभा क्षेत्रों में कन्हैया की तुलना में गिरिराज को दोगुना मत आया. कन्हैया ने जिस बूथ पर मतदान किया उस बूथ पर वो गिरिराज को 60 वोट से परास्त कर पाए. बांकी कन्हैया के गांव के अन्य बूथ पर गिरिराज का पलड़ा भारी रहा. कन्हैया अपने गांव में भी हार गए.

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हार के बाद गायब हैं कन्हैया

निश्चित तौर से इतनी बड़ी हार से कन्हैया एंड टीम आहत है. यही वजह है कि चुनाव हारने के बाद से लगातार कन्हैया कुमार भूमिगत हैं. अब ना ही कैमरे की लाइट है ना ही जनसभाओं में उमड़ती भीड़. चुनावी शोर थमने के बाद से कन्हैया कुमार किसी से नहीं मिले हैं.

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साभार- सोशल मीडिया

ईटीवी भारत​​​​​​​ की टीम ने लिया जायजा
हमारी टीम ने कन्हैया के गांव बीहट और कुछ इलाकों का दौरा किया. हमने यह जानने का प्रयास किया कि जिन लोगों ने कन्हैया को वोट दिया था वह अब क्या सोचते हैं? आम मतदाता कन्हैया के बारे में अब क्या राय रखते हैं? इसमें हमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. एक तरफ जो कन्हैया के अंध सपोर्टर थे वह कन्हैया की हार से बहुत आहत हैं. उन्हें लगता है कि कन्हैया की हार से जो उन्होंने विकास का सपना देखा था या जो उम्मीद थी वह धराशाई हो चुकी है. कुछ ऐसे भी मतदाता मिले जिन्होंने कहा कि उन्होंने तो कन्हैया को वोट दिया लेकिन उनकी पत्नी और घर के अन्य सदस्य बीजेपी को वोट दे दिए.

लोगों से बात करते संवाददाता

मुस्लिम महिलाओं ने भी गिरिराज को दिया समर्थन
कुछ मतदाताओं ने दावा किया कि सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम परिवार की महिलाओं ने गिरिराज सिंह को वोट दिए. जिस वजह से गिरिराज सिंह को अप्रत्याशित जीत और कन्हैया को इतनी बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. यह पूछे जाने पर कन्हैया कुमार है कहां तो इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है. कोई कहता है घर पर होंगे. कोई कहता है दिल्ली गए हैं. कोई कहता है बाहर गए हैं. लेकिन सभी यही बताते हैं कि कन्हैया कुमार अभी गांव में नहीं हैं. इसलिए लोगों से नहीं मिल पा रहे हैं.

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साभार- सोशल मीडिया

आखिर कन्हैया हैं कहां?

इतना तय है कि मतगणना के परिणाम कन्हैया के लिए दुखदायी जरूर हैं. लेकिन क्या कन्हैया के चुनाव हार जाने से बेगूसराय के विकास के मुद्दे दफन हो गए या कन्हैया अपने आप को जबाबदेही से मुक्त मानते हैं. बहरहाल जो भी हो इतना तय है कन्हैया के चाहने वाले और कन्हैया को जानने वाले लोग ये जानने का प्रयास जरूर कर रहे हैं कि कन्हैया हैं तो हैं कहां?

Intro:नोट-इस खबर को चलाने से पहले कृपया सुजीत सर से मार्गदर्शन ले लें।कुछ त्रुटि रही हो तो उसे ठीक करने का प्रयाश किया जाएगा।

एंकर- बीजेपी के गिरिराज सिंह के हाथों कन्हैया कुमार को मिली करारी शिकस्त के बाद से कन्हैया कुमार लगातार बेगूसराय से गायब हैं आखिर कन्हैया कुमार कहां गायब हैं और क्यों गायब है इसकी पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम ने कन्हैया कुमार के गांव समेत इलाके के लोगों से बात की और जानने का प्रयाश किया की चुनाव में कन्हैया की हार के बाद अब वो कन्हैया के बारे में क्या सोचते हैं।बताते चले कि विकाश के मुद्दे पर चुनाव लड़ने की बात करने वाले कन्हैया कुमार बीते छह माह तक मीडिया और खासकर शोशल मीडिया के हॉट केक बने रहे और देश के बड़े बड़े नेता और सेलेब्रेटी उसके प्रचार में बेगूसराय आये थे ।
एक रिपोर्ट


Body:vo- देश के सर्वाधिक हॉट सीट में शुमार बेगूसराय संसदीय सीट के लिए सीपीआई के कन्हैया कुमार और बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह के बीच हुए भीषण संग्राम में आहुति देने के लिए देश के तमाम बड़े नेता और सेलिब्रिटी बेगूसराय चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे। खास करके कन्हैया कुमार की बात करें तो जिस तरीके से सीपीआई ने कन्हैया कुमार को प्रोजेक्ट किया और नरेंद्र मोदी या बीजेपी के खिलाफ बरा चेहरा बनाने की कोशिश की उसमें देश के कई बड़े नामचीन लोग बेगूसराय आकर कन्हैया के लिए वोट मांगते देखे गए ।प्रमुख रूप से जो सुर्खियों में रहे वह नाम है सीताराम येचुरी, योगेंद्र यादव ,जावेद अख्तर, शबाना आज़मी, प्रकाश राज, स्वरा भास्कर ,जिग्नेश मेवानी ,शहला रशीद, नजीब की मां आदि प्रमुख हैं। कन्हैया कुमार ने चुनाव के दौरान वोटों के ध्रुवीकरण को रोकने के लिए हर चुनावी सभा में विकास को मुद्दा बनाया और यह प्रमाणित करने की कोशिश की कि वह बेगूसराय का बेटा है और बेगूसराय के तमाम लंबित विकास के काम वह पूरे करेगा। बहुत हद तक एक बड़े मतदाता समूह को अपने भाषणों और लुभावने वादों से कन्हैया कुमार आकर्षित करने में सफल भी रहे जितने भी नेता सेलिब्रिटी और फिल्म अभिनेता कन्हैया कुमार के लिए प्रचार को पहुंचे तमाम लोगों ने कन्हैया को वोट देने के लिए विकास के नाम पर वोट देने के लिए अपील की सभी लोगों ने कन्हैया कुमार को देश का उभरता सितारा बताया । जिस तरीके से 2 माह तक कन्हैया कुमार सोशल मीडिया पर छाए रहे और सभी मीडिया हाउस ने कन्हैया को तरजीह दी परिणाम उसके ठीक विपरीत निकला ।कन्हैया कुमार की हार अप्रत्याशित नहीं थी यह शुरू से तय माना जा रहा था कि कन्हैया कुमार गिरिराज सिंह के सामने बौने साबित हो जाएंगे, लेकिन जीत का अंतर इतना बड़ा होगा यह शायद ही कोई चुनावी विश्लेषक अनुमान लगा पाए होंगे। आपको बताते चलें कि वर्ष 2014 के चुनाव में बीजेपी के भोला सिंह को कुल 422000 मत प्राप्त हुए थे और उनके निकटतम प्रतिद्वंदी राजद के तनवीर हसन को 369000 मत मिले थे जिसके बाद भोला बाबू विजय घोषित किए गए थे, लेकिन इस बार के चुनाव में मोदी लहर में गिरिराज सिंह को लगभग सात लाख वोट पड़े और कन्हैया कुमार और गिरिराज सिंह के जीत का अंतर 422000 के पार जा पहुंचा । चुनाव की विशेषता ये रही कि सीपीआई के गढ़ वाले तेघड़ा,बछवाड़ा और मटिहानी विधानसभा इलाका जो वामदल का अभेद्य किला समझा जाता था पूरी तरह से ध्वस्त हो गया और तीनों विधानसभा इलाको में कन्हैया के तुलना में गिरिराज को दुगुना मत आया ।कन्हैया ने जिस बूथ पर मतदान किया उस बूथ पर वो गिरिराज को 60 वोट से परास्त कर पाए बांकी कन्हैया के गाँव के अन्य बूथ पर गिरिराज का पलड़ा भारी रहा और कन्हैया अपने गाँव मे भी हार गए। निश्चित तौर से इतनी बड़ी हार से कन्हैया एंड टीम आहत है यही वजह है की चुनाव हारने के बाद से लगातार कन्हैया कुमार भूमिगत है। अब नाही कैमरे की लाइट है नाही जनसभाओं में उमड़ती भीड़ ,चुनावी शोर थमने के बाद से कन्हैया कुमार किसी से नहीं मिले हैं इसकी पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम ने कन्हैया के गांव बीहट और कुछ इलाकों का दौरा किया और यह जानने का प्रयास किया कि जिन लोगों ने कन्हैया को वोट दिए वह अब क्या सोचते हैं और आम मतदाता कन्हैया के बारे में अब क्या सोचते हैं, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। एक तरफ जो कन्हैया के अंध सपोर्टर थे वह कन्हैया की हार से बहुत आहत हैं ।उन्हें लगता है कि कन्हैया की हार से जो उन्होंने विकास का सपना देखा था या जो उम्मीद थी वह धराशाई हो चुका है। कुछ ऐसे भी मतदाता मिले जिन्होंने कहा कि उन्होंने तो कन्हैया को वोट दिया लेकिन उनकी पत्नी और घर के अन्य सदस्य बीजेपी को वोट दे दिए कुछ मतदाताओं ने दावा किया सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम परिवार मर्द वोटर छोड़कर अन्य लोग बीजेपी के गिरिराज सिंह को वोट दे दिए जिस वजह से गिरिराज सिंह को अप्रत्याशित जीत और कन्हैया को इतनी बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। यह पूछे जाने पर कन्हैया कुमार है कहां तो इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है कोई कहता है घर पर होंगे कोई कहता है दिल्ली गए हैं कोई कहता है बाहर गए हैं लेकिन सभी यही बताते हैं कि कन्हैया कुमार अभी गांव में नहीं हैं इसलिए लोगों से नहीं मिल पा रहे हैं।
one to one with shivshankar sinh relative kanhaiya
बाइट-सोनू कुमार,ग्रामीण
बाइट-आलोक चौधरी,ग्रामीण
वन टू वन अन्य दो लोगो के साथ बरौनी के रहने वाले


Conclusion:fvo-इतना तय है कि मतगणना के परिणाम कन्हैया के लिए दुखदायी जरूर हैं लेकिन क्या कन्हैया के चुनाव हार जाने से बेगूसराय के विकास के मुद्दे दफन हो गए या कन्हैया अपने आप को जबाबदेही से मुक्त मानते हैं बहरहाल जो भी हो इतना तय है कन्हैया के चाहने वाले और कन्हैया को जानने वाले लोग ये जानने का प्रयाश जरूर कर रहे हैं कि कन्हैया हैं तो हैं कहाँ ?
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