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बेगूसराय में धूमधाम से मनाया गया शब-ए-बरात, 'फैसले की इस रात' पर भी रहा कोरोना का असर

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Published : Mar 30, 2021, 7:05 AM IST

बेगूसराय में धूमधाम से शब-ए-बरात मनाया गया. इस दौरान जहां, ईदगाह, कब्रिस्तान और मस्जिदों में तिजारत की गई. जिले के बड़ी जामा मस्जिद में इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कुरान की तिलावत की. शांतिपूर्ण तरीके से मुसलमानों का ये त्योहार खत्म हो गया.

शब-ए-बरात
शब-ए-बरात

बेगूसरायः जिले में शब-ए-बरात काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान जहां, ईदगाह, कब्रिस्तान और मस्जिदों में तिजारत की गई. साथ ही कब्रिस्तान, ईदगाह की साफ-सफाई भी की गई. हालांकि कोरोना संक्रमण को लेकर मस्जिदों और दरगाहों में कम भीड़ देखी गई. अधिकांश लोगों ने घर पर ही इबादत की.

इसे भी पढ़ेंः होली और शब-ए-बारात को लेकर बैठक, कोरोना गाइडलाइन्स पर रहा जोर

शब-ए-बरात का खास महत्व
इस्लाम धर्म में शब-ए-बरात का अपना खास महत्व है. यह रात मुसलमानों के लिए मुकद्दस की रात होती है. इस्लाम में ऐसा माना जाता है, कि इस रात को खुदा के सामने मांगी गई दुआएं पूरी होती हैं. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शाबान महीने की 15 तारीख को यह रात आती है. और इसे ही शब-ए-बरात कहा जाता है.

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इसे भी पढ़ेंः किशनगंज में दिखी शब-ए-बारात की रौनक, पूर्वजों को याद करने कब्रिस्तान पहुंचे लोग

फैसले की रात भी है नाम
शब-ए-बरात के दिन लोग पूरी रात इबादत करते हैं. इस रात को फैसले की रात भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस रात को अगर सच्चे दिल से इबादत किया जाए तो अल्लाह इंसान के हर गुनाह को माफ कर देते हैं. जिले के बड़ी जामा मस्जिद में इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कुरान की तिलावत की. शांतिपूर्ण तरीके से यह त्योहार का समापन हो गया.

बेगूसरायः जिले में शब-ए-बरात काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान जहां, ईदगाह, कब्रिस्तान और मस्जिदों में तिजारत की गई. साथ ही कब्रिस्तान, ईदगाह की साफ-सफाई भी की गई. हालांकि कोरोना संक्रमण को लेकर मस्जिदों और दरगाहों में कम भीड़ देखी गई. अधिकांश लोगों ने घर पर ही इबादत की.

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शब-ए-बरात का खास महत्व
इस्लाम धर्म में शब-ए-बरात का अपना खास महत्व है. यह रात मुसलमानों के लिए मुकद्दस की रात होती है. इस्लाम में ऐसा माना जाता है, कि इस रात को खुदा के सामने मांगी गई दुआएं पूरी होती हैं. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शाबान महीने की 15 तारीख को यह रात आती है. और इसे ही शब-ए-बरात कहा जाता है.

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फैसले की रात भी है नाम
शब-ए-बरात के दिन लोग पूरी रात इबादत करते हैं. इस रात को फैसले की रात भी कहा जाता है. माना जाता है कि इस रात को अगर सच्चे दिल से इबादत किया जाए तो अल्लाह इंसान के हर गुनाह को माफ कर देते हैं. जिले के बड़ी जामा मस्जिद में इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कुरान की तिलावत की. शांतिपूर्ण तरीके से यह त्योहार का समापन हो गया.

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