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जब कन्हैया कुमार की शिक्षिका ने कहा- छात्र पर देशद्रोह का मुकदमा चलता है तो दुख होता है - जेएनयू

कन्हैया कुमार की शिक्षिका आज अपने छात्र को देखकर ठगा हुआ महसूस कर रही है. शिक्षिका उर्वशी देवी का कहना है कि कन्हैया को अभी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.

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Published : Jul 18, 2019, 11:53 PM IST

बेगूसराय: 'किसी शिक्षक के छात्र पर जब मुकदमा चलता है तो दुख होता है. मैंने कभी कन्हैया को गलत शिक्षा नहीं दी. वर्तमान में कन्हैया को भाषा की मर्यादा रखने की जरूरत है. प्रधानमंत्री के लिए कन्हैया जिस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हैं, वह गलत है.' ये शब्द उस शिक्षिका के हैं, जिन्होंने बचपन में कन्हैया कुमार को शिक्षा दी. कन्हैया ने बेगूसराय के मसनदपुर प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई की थी. वह साल 1992 में इस स्कूल में आए थे.

जिस शिक्षिका ने बचपन में कन्हैया कुमार का हाथ पकड़कर पढ़ना-लिखना सिखाया, ईटीवी भारत की टीम उनसे मिलने बेगूसराय पहुंची. कन्हैया की शिक्षिका आज अपने छात्र को देखकर ठगा हुआ महसूस कर रही है. शिक्षिका उर्वशी देवी का कहना है कि कन्हैया को अभी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.

begusarai
शिक्षिका से मिलने पहुंचे ईटीवी संवाददाता

साल 1992 में लिया था दाखिला
मालूम हो कि कन्हैया कुमार ने बचपन की पढ़ाई अपने ही पैतृक गांव बरौनी प्रखंड के मसनदपुर प्राथमिक विद्यालय में की. बाद में वह जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष की कुर्सी तक काबिज हुए. कन्हैया कुमार ने साल 1992 में प्राथमिक विद्यालय मसनदपुर में दाखिला लिया था और पांचवी तक की पढ़ाई इसी विद्यालय से पूरी की थी.

begusarai
रजिस्टर में दर्ज कन्हैया का नाम

बचपन में तेज तर्रार थे कन्हैया
ईटीवी भारत संवाददाता ने इस विद्यालय का दौरा किया. विद्यालय के अभिलेखों में कन्हैया के दाखिले के सबूत मिले हैं. उस समय की एक रिटायर्ड शिक्षिका अभी जीवित हैं. उन्होंने कन्हैया के बारे में विस्तार से बताया. उर्वशी देवी ने बातचीत के दौरान कहा कि बचपन में कन्हैया जब यहां पढ़ने आते थे तो काफी तेज तर्रार छात्र थे. स्कूल में हर तरह की एक्टिविटी में शामिल होते थे.

begusarai
उर्वशी देवी, शिक्षिका

'देशद्रोही के तमगे से आहत हूं'
उर्वशी देवी से जब यह पूछा गया कि कन्हैया कुमार पर जो आरोप लगे हैं, उसे आप क्या मानती हैं? इस पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि बच्चा आगे चलकर क्या कहेगा और क्या करेगा यह कोई शिक्षक नहीं बता सकता. लेकिन, जो आरोप कन्हैया पर लगे हैं, उससे मैं काफी दुखी हूं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

'उससे मिलूंगी तो बहुत कुछ समझाऊंगी'
उर्वशी देवी ने कन्हैया की भाषण शैली और कन्हैया पर लगे आरोपों तथा खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कन्हैया की लगातार अभद्र टिप्पणी पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि आदमी को कभी भी अपना संस्कार नहीं छोड़ना चाहिए. वैसी बातें नहीं बोलनी चाहिए जिससे किसी को तकलीफ हो. आज कन्हैया जिस तरीके से देश के प्रधानमंत्री के बारे में बोलते हैं, उससे मैं काफी दुखी हूं. वे कहती हैं कि जब वह कन्हैया को मिलेंगी तो उन्हें समझाने का प्रयास करेंगी.

फोन पर होती है बात
बेगूसराय के छोटे से गांव से निकलकर जेएनयू में पढ़ाई और फिर जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने और फिर लोकसभा चुनाव तक के सफर पर उर्वशी देवी ने कहा कि वह बार-बार कन्हैया को समझाती हैं. वे कहती हैं कि:
'धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय'
उर्वशी देवी के बयान से यह साफ जाहिर है कि वह कन्हैया से काफी आहत हैं. लेकिन, उन्होंने अंत में यह भी कहा कि 'मुझे माफ करना कन्हैया लेकिन, तुम्हें अपने आप में बदलाव लाना चाहिए. यह बातें मैं तुम्हारी शिक्षिका होने के नाते बोल रही हूं'

बेगूसराय: 'किसी शिक्षक के छात्र पर जब मुकदमा चलता है तो दुख होता है. मैंने कभी कन्हैया को गलत शिक्षा नहीं दी. वर्तमान में कन्हैया को भाषा की मर्यादा रखने की जरूरत है. प्रधानमंत्री के लिए कन्हैया जिस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हैं, वह गलत है.' ये शब्द उस शिक्षिका के हैं, जिन्होंने बचपन में कन्हैया कुमार को शिक्षा दी. कन्हैया ने बेगूसराय के मसनदपुर प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई की थी. वह साल 1992 में इस स्कूल में आए थे.

जिस शिक्षिका ने बचपन में कन्हैया कुमार का हाथ पकड़कर पढ़ना-लिखना सिखाया, ईटीवी भारत की टीम उनसे मिलने बेगूसराय पहुंची. कन्हैया की शिक्षिका आज अपने छात्र को देखकर ठगा हुआ महसूस कर रही है. शिक्षिका उर्वशी देवी का कहना है कि कन्हैया को अभी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है.

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शिक्षिका से मिलने पहुंचे ईटीवी संवाददाता

साल 1992 में लिया था दाखिला
मालूम हो कि कन्हैया कुमार ने बचपन की पढ़ाई अपने ही पैतृक गांव बरौनी प्रखंड के मसनदपुर प्राथमिक विद्यालय में की. बाद में वह जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष की कुर्सी तक काबिज हुए. कन्हैया कुमार ने साल 1992 में प्राथमिक विद्यालय मसनदपुर में दाखिला लिया था और पांचवी तक की पढ़ाई इसी विद्यालय से पूरी की थी.

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रजिस्टर में दर्ज कन्हैया का नाम

बचपन में तेज तर्रार थे कन्हैया
ईटीवी भारत संवाददाता ने इस विद्यालय का दौरा किया. विद्यालय के अभिलेखों में कन्हैया के दाखिले के सबूत मिले हैं. उस समय की एक रिटायर्ड शिक्षिका अभी जीवित हैं. उन्होंने कन्हैया के बारे में विस्तार से बताया. उर्वशी देवी ने बातचीत के दौरान कहा कि बचपन में कन्हैया जब यहां पढ़ने आते थे तो काफी तेज तर्रार छात्र थे. स्कूल में हर तरह की एक्टिविटी में शामिल होते थे.

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उर्वशी देवी, शिक्षिका

'देशद्रोही के तमगे से आहत हूं'
उर्वशी देवी से जब यह पूछा गया कि कन्हैया कुमार पर जो आरोप लगे हैं, उसे आप क्या मानती हैं? इस पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि बच्चा आगे चलकर क्या कहेगा और क्या करेगा यह कोई शिक्षक नहीं बता सकता. लेकिन, जो आरोप कन्हैया पर लगे हैं, उससे मैं काफी दुखी हूं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

'उससे मिलूंगी तो बहुत कुछ समझाऊंगी'
उर्वशी देवी ने कन्हैया की भाषण शैली और कन्हैया पर लगे आरोपों तथा खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कन्हैया की लगातार अभद्र टिप्पणी पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि आदमी को कभी भी अपना संस्कार नहीं छोड़ना चाहिए. वैसी बातें नहीं बोलनी चाहिए जिससे किसी को तकलीफ हो. आज कन्हैया जिस तरीके से देश के प्रधानमंत्री के बारे में बोलते हैं, उससे मैं काफी दुखी हूं. वे कहती हैं कि जब वह कन्हैया को मिलेंगी तो उन्हें समझाने का प्रयास करेंगी.

फोन पर होती है बात
बेगूसराय के छोटे से गांव से निकलकर जेएनयू में पढ़ाई और फिर जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने और फिर लोकसभा चुनाव तक के सफर पर उर्वशी देवी ने कहा कि वह बार-बार कन्हैया को समझाती हैं. वे कहती हैं कि:
'धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय, माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय'
उर्वशी देवी के बयान से यह साफ जाहिर है कि वह कन्हैया से काफी आहत हैं. लेकिन, उन्होंने अंत में यह भी कहा कि 'मुझे माफ करना कन्हैया लेकिन, तुम्हें अपने आप में बदलाव लाना चाहिए. यह बातें मैं तुम्हारी शिक्षिका होने के नाते बोल रही हूं'

Intro:एंकर-किसी शिक्षक के छात्र पर जब देश द्रोह का आरोप लगता हैं तो उसे दुख तो होता है, मैने कभी कन्हैया को गलत शिक्षा नही दी। बचपन मे वो होनहार विद्यार्थी भी था, लेकिन आज जो कन्हैया कर रहा है या जो उसपर आरोप लगे हैं उससे मैं काफी दुखी हूं खासकर पीएम मोदी के खिलाफ वो जिस भाषण शैली का उपयोग करता है उससे मैं काफी आहत हूँ।
ये शब्द उस सेवानिवृत शिक्षिका के हैं जिसने बचपन मे कन्हैया कुमार का हाथ पकड़ कर पढ़ना लिखना सिखाया और आज वो अपने शिष्य के तेवर से काफी ठगी हुई मह्शूश कर रही हैं।


Body:vo-कन्हैया कुमार ने बचपन की पढ़ाई अपने ही पैतृक गांव मसनदपुर प्राथमिक विद्यालय जो बेगूसराय जिला अंतर्गत बरौनी प्रखंड में पड़ता है से पूरी की थी। इसी प्रारंभिक स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के बाद कन्हैया कुमार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष की कुर्सी तक काबिज हुए ।कन्हैया कुमार ने वर्ष 1992 में द्वितीय कक्षा में प्राथमिक विद्यालय मसनदपुर में दाखिला लिया था और पांचवी तक की पढ़ाई इसी विद्यालय से पूरी की थी। ईटीवी भारत की टीम ने कन्हैया कुमार से जुड़ी बचपन की बातों को खंगालने के लिए इस विद्यालय का दौरा किया ।विद्यालय के अभिलेखों में 1992 ईस्वी में कन्हैया कुमार के द्वितीय कक्षा में दाखिले के सबूत हमें मिले, अब सवाल यह उठता था कि कन्हैया कुमार बचपन में किस तरह के छात्र थे। इस बाबत वर्तमान शिक्षक कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं थे। पूछताछ के दौरान यह बात सामने आई की उस समय की एक रिटायर्ड शिक्षिका अभी जीवित हैं और वह कन्हैया के बारे में विस्तार से बता सकती है। हमने उर्वशी देवी रिटायर्ड शिक्षिका मध्य विद्यालय मसनदपुर से खास बातचीत की। बातचीत के दौरान उर्वशी देवी कन्हैया को लेकर काफी असमंजस में दिखीं । उन्होंने कहा कि बचपन में कन्हैया जब यहां पढ़ने आते थे तो काफी तेज तरार छात्र थे और स्कूल में हर तरह की एक्टिविटी में शामिल होते थे। उर्वशी देवी से जब यह पूछा गया कि कन्हैया कुमार पर जो आरोप लगे हैं उसे आप क्या मानती हैं इस पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि बचपन में जो बच्चा जिस तरीके का है वह आगे चलकर क्या कहेगा और क्या करेगा यह कौन कह सकता है, लेकिन जो आरोप कन्हैया पर लगे हैं उससे मैं काफी दुखी हूं मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे किसी छात्र पर इस तरह के आरोप लगेंगे ।आरोप की सत्यता क्या है मैं यह नहीं जानती लेकिन इतना जरूर है की इससे मैं काफी आहत हूं। उर्वशी देवी ने कन्हैया की भाषण शैली और कन्हैया पर लगे आरोपों तथा खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कन्हैया की लगातार अभद्र टिप्पणी पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि आदमी को कभी भी अपना संस्कार नहीं छोड़ना चाहिए वैसी बातें नहीं बोलनी चाहिए जिससे किसी को तकलीफ हो। आज कन्हैया जिस तरीके से देश के प्रधानमंत्री के बारे में बोलते हैं उससे मैं काफी दुखी हूं और कन्हैया को जब भी मिलूंगी तो मैं यह समझाने का प्रयास करूंगी इस तरह की भाषा उसे शोभा नहीं देती है। बेगूसराय के छोटे से गांव से निकलकर जेएनयू में पढ़ाई और जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष की कुर्सी से होते हुए लोकसभा चुनाव तक के सफर पर उर्वशी देवी ने कहा कि मैं बार-बार कन्हैया को समझाती हूं
" धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय
माली सींचे सौ घड़ा ऋतु आवे फल होय ।।
उर्वशी देवी ने कन्हैया कुमार को लेकर जो बातें कही यह हम समझ सकते हैं यह उनके दिल से निकली हुई आवाज है ।कहीं न कहीं कन्हैया कुमार की कार्यशैली से वह काफी आहत हैं । कन्हैया कुमार के शिक्षक होने के बावजूद भी उन्होंने कन्हैया को कहा मुझे माफ करना कन्हैया लेकिन तुम्हें अपने आप में बदलाव लाना चाहिए।
वन टू वन विथ उर्वशी देवी,सेवानिवृत्त शिक्षिका,मसनदपुर विद्यालय
vo- वहीं इस बाबत विद्यालय की वर्तमान प्रधानाचार्य कुमारी पूनम बताती हैं कि मैं कन्हैया कुमार के बारे में कुछ नहीं बता सकती ,विद्यालय के जो अभिलेख हमारे पास उपलब्ध हैं उस हिसाब से कन्हैया कुमार ने 1992 में इस विद्यालय की दूसरी कक्षा में दाखिला लिया था और प्रारंभिक शिक्षा यही पूरी की थी।
बाइट-कुमारी पूनम,प्रधानाचार्य, प्राथमिक विद्यालय मसनदपुर




Conclusion:fvo-बहरहाल जो भी हो इतना तय है कि कन्हैया कुमार को प्रारंभिक शिक्षा देने वाली शिक्षिका ने ये स्पस्ट कर दिया कि कन्हैया कुमार जो अभी कर रहे है वो बचपन मे उनके द्वारा दी गयी शिक्षा के ठीक विपरीत है।
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