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बेगूसराय: SC-ST अत्याचार अधिनियम का हो रहा दुरुपयोग , एक साल में 194 मामले दर्ज - sc st sct latest news

बेगूसराय व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता दिवाकर बर्धन सिंह बताते हैं कि इस एक्ट का धड़ल्ले से दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति लोगों में समा गई है. ज्यादातर झूठे मामले ही एससी एसटी एक्ट से संबंधित दर्ज करवाए जा रहे हैं

बेगूसराय में अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम का हो रहा दुरुपयोग
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Published : Aug 24, 2019, 8:44 AM IST

बेगूसराय : जिले में एससी एसटी एक्ट का धड़ल्ले से दूरूपयोग हो रहा है. जिसकी वजह से विभिन्न थानों में एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामलों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है. बीते वर्ष जून महीने से लेकर जून 2019 तक 194 मामले इससे संबंधित दर्ज किए गए हैं. कानून के जानकार बताते हैं कि ज्यादातर मामले जांच में फर्जी निकलते हैं और मुआवजे की राशि लेने के लिए अब इसका उपयोग हो रहा है. इससे ना सिर्फ सरकारी सिस्टम पर बोझ बढ़ता है,बल्कि आमलोग इससे प्रताड़ित और अपमानित हो रहे हैं.

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एक साल में 194 मामले हुए दर्ज


इससे संबंधित जातियों को विशेष अधिकार प्राप्त है
सरकार कोई भी कानून बनाती है, तो उसके पीछे एक सोच होती है. आम लोगों की भलाई और सामाजिक समानता स्थापित करना. लेकिन कुछ ऐसे भी कानून हैं, जिनका लोग दुरुपयोग करते हैं. अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत इससे संबंधित जातियों को विशेष अधिकार प्राप्त है. इसके तहत अगर समाज में उन्हें अन्य जाति के लोग जातिसूचक शब्दों का प्रयोग या जातीय आधार पर हिंसा करते हैं, तो जिले के किसी भी थाने या विशेष रूप से बनाये गए हरिजन थाना में वो उसके खिलाफ मामला दर्ज करवा सकते हैं.

बेगूसराय में अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम का हो रहा दुरुपयोग


एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामलों में हुई है वृद्धि
सरकारी प्रावधान के अनुरूप अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम का उल्लंघन होने पर पीड़ित पक्ष को सरकार ने मुआवजे देने का भी प्रावधान किया है. जांच में मामला सही पाए जाने पर पीड़ित पक्ष को सरकार की ओर से मुआवजा भी दिया जाता है. शुरुआत में तो इस कानून का व्यापक असर हुआ. इससे ना सिर्फ पीड़ित अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को न्याय की उम्मीद जगी. बल्कि वैसे लोग जो जातीय आधार पर टिप्पणी करते थे या प्रताड़ित करते थे, उन लोगों ने भी इस कानून के भय से इस तरह की हिंसा से परहेज करना शुरू कर दिया. लेकिन बाद के दिनों में जैसे जैसे लोगों को पता चला कि केस दर्ज होने के बाद सरकार की ओर से मुआवजे की राशि भी मिलती है, तब से लगातार जिले में एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामलों की बाढ़ सी आ गई है.

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कुंदन कुमार सिंह, डीएसपी


क्या कहते हैं अधिकारी
इस बाबत मुख्यालय डीएसपी कुंदन कुमार सिंह बताते हैं कि सरकार ने जो भी कानून बनाए हैं, उनका सदुपयोग भी होता है और दुरुपयोग भी होता है. लेकिन एससी एसटी एक्ट के मामले में मुआवजे का प्रावधान का लाभ उठाने का भी कई बार लोगों ने प्रयास किया है. ऐसे कई मामले हैं जो पुलिस अनुसंधान में झूठे साबित किए गए हैं. सरकारी मुआवजे की राशि देने की प्रक्रिया में सरकार ने संसोधन कर दिया है. अब जो मामले सत्य पाए जाएंगे उसी में पीड़ित को मुआवजा दिया जाएगा.

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दिवाकर बर्धन सिंह, अधिवक्ता

न्यायालय का समय होता है बर्बाद
वहीं कानून के जानकार और बेगूसराय व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता दिवाकर बर्धन सिंह बताते हैं कि इस एक्ट का धड़ल्ले से दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति लोगों में समा गई है. ज्यादातर झूठे मामले ही एससी एसटी एक्ट से संबंधित दर्ज करवाए जा रहे हैं, जो कोर्ट में आकर खारिज हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकारी सिस्टम पर केस को खत्म करने का बोझ बढ़ता है. तो दुसरी तरफ इससे न्यायालय का समय बर्बाद होता है. इसके साथ ही जिनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है, उन्हें मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है.


कानून का हो रहा दुरुपयोग
निश्चित तौर पर जिस तरीके से एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामले दर्ज करवाने की जिले में होड़ सी लगी है. इससे ना सिर्फ कानून का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि सरकारी सिस्टम भी इस तरह के मामले को निपटाने में अपना समय गवा रहे हैं. क्योंकि कुछ मामलों को छोड़ दें तो ज्यादातर मामले अनुसंधान के बाद असत्य पाए जा रहे हैं.

बेगूसराय : जिले में एससी एसटी एक्ट का धड़ल्ले से दूरूपयोग हो रहा है. जिसकी वजह से विभिन्न थानों में एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामलों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है. बीते वर्ष जून महीने से लेकर जून 2019 तक 194 मामले इससे संबंधित दर्ज किए गए हैं. कानून के जानकार बताते हैं कि ज्यादातर मामले जांच में फर्जी निकलते हैं और मुआवजे की राशि लेने के लिए अब इसका उपयोग हो रहा है. इससे ना सिर्फ सरकारी सिस्टम पर बोझ बढ़ता है,बल्कि आमलोग इससे प्रताड़ित और अपमानित हो रहे हैं.

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एक साल में 194 मामले हुए दर्ज


इससे संबंधित जातियों को विशेष अधिकार प्राप्त है
सरकार कोई भी कानून बनाती है, तो उसके पीछे एक सोच होती है. आम लोगों की भलाई और सामाजिक समानता स्थापित करना. लेकिन कुछ ऐसे भी कानून हैं, जिनका लोग दुरुपयोग करते हैं. अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम के तहत इससे संबंधित जातियों को विशेष अधिकार प्राप्त है. इसके तहत अगर समाज में उन्हें अन्य जाति के लोग जातिसूचक शब्दों का प्रयोग या जातीय आधार पर हिंसा करते हैं, तो जिले के किसी भी थाने या विशेष रूप से बनाये गए हरिजन थाना में वो उसके खिलाफ मामला दर्ज करवा सकते हैं.

बेगूसराय में अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम का हो रहा दुरुपयोग


एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामलों में हुई है वृद्धि
सरकारी प्रावधान के अनुरूप अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम का उल्लंघन होने पर पीड़ित पक्ष को सरकार ने मुआवजे देने का भी प्रावधान किया है. जांच में मामला सही पाए जाने पर पीड़ित पक्ष को सरकार की ओर से मुआवजा भी दिया जाता है. शुरुआत में तो इस कानून का व्यापक असर हुआ. इससे ना सिर्फ पीड़ित अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को न्याय की उम्मीद जगी. बल्कि वैसे लोग जो जातीय आधार पर टिप्पणी करते थे या प्रताड़ित करते थे, उन लोगों ने भी इस कानून के भय से इस तरह की हिंसा से परहेज करना शुरू कर दिया. लेकिन बाद के दिनों में जैसे जैसे लोगों को पता चला कि केस दर्ज होने के बाद सरकार की ओर से मुआवजे की राशि भी मिलती है, तब से लगातार जिले में एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामलों की बाढ़ सी आ गई है.

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कुंदन कुमार सिंह, डीएसपी


क्या कहते हैं अधिकारी
इस बाबत मुख्यालय डीएसपी कुंदन कुमार सिंह बताते हैं कि सरकार ने जो भी कानून बनाए हैं, उनका सदुपयोग भी होता है और दुरुपयोग भी होता है. लेकिन एससी एसटी एक्ट के मामले में मुआवजे का प्रावधान का लाभ उठाने का भी कई बार लोगों ने प्रयास किया है. ऐसे कई मामले हैं जो पुलिस अनुसंधान में झूठे साबित किए गए हैं. सरकारी मुआवजे की राशि देने की प्रक्रिया में सरकार ने संसोधन कर दिया है. अब जो मामले सत्य पाए जाएंगे उसी में पीड़ित को मुआवजा दिया जाएगा.

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दिवाकर बर्धन सिंह, अधिवक्ता

न्यायालय का समय होता है बर्बाद
वहीं कानून के जानकार और बेगूसराय व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता दिवाकर बर्धन सिंह बताते हैं कि इस एक्ट का धड़ल्ले से दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति लोगों में समा गई है. ज्यादातर झूठे मामले ही एससी एसटी एक्ट से संबंधित दर्ज करवाए जा रहे हैं, जो कोर्ट में आकर खारिज हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकारी सिस्टम पर केस को खत्म करने का बोझ बढ़ता है. तो दुसरी तरफ इससे न्यायालय का समय बर्बाद होता है. इसके साथ ही जिनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है, उन्हें मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है.


कानून का हो रहा दुरुपयोग
निश्चित तौर पर जिस तरीके से एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामले दर्ज करवाने की जिले में होड़ सी लगी है. इससे ना सिर्फ कानून का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि सरकारी सिस्टम भी इस तरह के मामले को निपटाने में अपना समय गवा रहे हैं. क्योंकि कुछ मामलों को छोड़ दें तो ज्यादातर मामले अनुसंधान के बाद असत्य पाए जा रहे हैं.

Intro:एंकर- बेगूसराय जिले में एससी एसटी एक्ट का धड़ल्ले से दूरपयोग हो रहा है जिस कारण विभिन्न थानों में एससी एसटी एक्ट के जुड़े मामलों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की गई है। बीते वर्ष जून माह से लेकर जून2019 तक 194 मामले इससे संबंधित दर्ज किए गए हैं। कानून के जानकार बताते हैं कि ज्यादातर मामले जांच में फर्जी निकलते हैंऔर मुआवजे की राशि लेने के लिए अब इसका उपयोग हो रहा है। इससे ना सिर्फ सरकारी सिस्टम पर इसका बोझ बढ़ता है बल्कि आमलोग इससे प्रताड़ित और अपमानित हो रहे हैं।


Body:vo- सरकार कोई भी कानून बनाती है उसके पीछे सोच होती है आम लोगों की भलाई और सामाजिक समानता स्थापित करना लेकिन कुछ ऐसे भी कानून हैं जिसके खामियों का फायदा उठाकर लोग उसका दुरुपयोग करते हैं, जिससे ना सिर्फ जिसके खिलाफ इस कानून का उपयोग होता है उन्हें मानसिक और आर्थिक पीड़ा झेलनी पड़ती है बल्कि सरकारी सिस्टम पर भी अतिरिक्त बोझ पड़ता है। हम बात कर रहे हैं अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम की इसके तहत इससे संबंधित जातियों को विशेष अधिकार प्राप्त है इसके तहत अगर समाज में उन्हें अन्य जाती के लोग जातिसूचक शब्दों का प्रयोग या जातीय आधार पर हिंसा करते हैं तो जिले के किसी भी थाने या विशेष रूप से बनाये गए हरिजन थाना में वो उसके खिलाफ मामला दर्ज करवा सकते हैं। सरकारी प्रावधान के अनुरूप अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम का उल्लंघन होने पर पीड़ित पक्ष को सरकार के द्वारा मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है जांच में मामला सही पाए जाने पर पीड़ित पक्ष को सरकार की ओर से मुआवजा भी दिया जाता है। शुरुआत में तो इस कानून का व्यापक असर हुआ। इससे ना सिर्फ पीड़ित अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों को न्याय की उम्मीद जगी वैसे लोग जो जातीय आधार पर टिप्पणी करते थे या प्रताड़ित करते थे उन लोगों ने भी इस कानून के भय से इस तरह की हिंसा से परहेज करना शुरू कर दिया लेकिन बाद के दिनों में जैसे जैसे लोगों को पता चला की केस दर्ज होने के बाद सरकार की ओर से मुआवजे की राशि भी मिलती है लगातार जिले में एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामलों की बाढ़ सी आ गई है। साल दर साल एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामलों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की जा रही है बीते वर्ष2018 जून माह से वर्ष 2019 जून माह तक पूरे जिले में 194 एससी एसटी एक्ट उल्लंघन के मामले दर्ज किए गए हैं ।अब आप सोच सकते हैं की लगभग 200 मामले पूरे जिले में दर्ज होना क्या दर्शाता है। इस बाबत मुख्यालय डीएसपी कुंदन कुमार सिंह बताते हैं की सरकार द्वारा बनाए गए हर कानून का सदुपयोग भी होता है और दुरुपयोग भी होता है लेकिन एससी एसटी एक्ट के मामले में मुआवजे का प्रावधान का लाभ उठाने का भी कई बार लोगों के द्वारा प्रयास किया जाता है ऐसे कई मामले हैं जो पुलिस अनुसंधान में झूठे साबित किए गए हैं ।उन्होंने बताया की वर्ष 2018 के जून माह से वर्ष 2019 के जून माह तक जिले में 194 मामले दर्ज किए गए हैं जो अन्य वर्षो की तुलना में औसत से ज्यादा है ।इस बाबत कुंदन सिंह ने बताया कि मामले झूठे दर्ज हो या सच्चे पुलिस अपने हिसाब से अनुसंधान कर कार्रवाई करती है और जो लोग दोषी नहीं होते हैं उन्हें निर्दोष भी किया जाता है।सरकारी मुआवजे की राशि देने की प्रक्रिया में सरकार ने संसोधन कर दिया है अब जो मामले सत्य पाए जाएंगे उसी में पीड़ित को मुआवजा दिया जाएगा।
वाइट कुंदन कुमार सिंह डीएसपी मुख्यालय ।
vo-वही कानून के जानकार और बेगूसराय व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता दिवाकर बर्धन सिंह बताते हैं कि इस एक्ट का धड़ल्ले से दुरुपयोग करने की प्रवृत्ति लोगों में समा गई है। ज्यादातर झूठे मामले ही एससी एसटी एक्ट से संबंधित दर्ज करवाए जा रहे हैं, जो कोर्ट में आकर खारिज हो जाते हैं। सिर्फ और सिर्फ एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामले दर्ज करवाने के पीछे सरकार द्वारा दी जा रही मुआवजे की राशि हड़पने का षड्यंत्र है जो कहीं से जायज नहीं है ।एक तरफ सरकारी सिस्टम पर केश के निष्पादन का बोझ बढ़ता है न्यायालय का समय बर्बाद होता है और जिनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है उन्हें मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ता है ।कहीं न कहीं सरकार को चाहिए कि इस तरह के कानून के दुरुपयोग को रोका जाए।
बाइट-दिवाकर बर्धन सिंह,वरीय अधिवक्ता, ब्यवहार न्यायालय ,बेगूसराय


Conclusion:fvo- निश्चित तौर पर जिस तरीके से एससी एसटी एक्ट से जुड़े मामले दर्ज करवाने की जिले में होड़ सी लगी है कहीं न कहीं इस कानून के दुरुपयोग से ना सिर्फ आम लोग अब त्रस्त हो रहे हैं बल्कि सरकारी सिस्टम भी इस तरह के मामले को निपटाने में अपना समय है गवा रहा है ,क्योंकि कुछ मामलों को छोड़ दें तो ज्यादातर मामले अनुसंधान के बाद असत्य पाए जा रहे हैं।
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