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बेगूसराय: 75 वर्षीय RTI कार्यकर्ता ने पुलिस पर लगाया पिटाई का आरोप, CM नीतीश से न्याय की गुहार

गिरीश कुमार गुप्ता ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि घर पर पिटाई के बाद पुलिस ने फुलवरिया थाना स्थित एक जर्जर मकान में ले जाकर अधिकारियों की मौजूदगी में उनकी पिटाई की.

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Published : Apr 21, 2020, 12:49 PM IST

75 वर्षीय RTI कार्यकर्ता को पीटा
75 वर्षीय RTI कार्यकर्ता को पीटा

बेगूसराय: जिले से एक आरटीआई कार्यकर्ता की पिटाई का मामला सामने आया है. मंगलवार को पीड़ित 75 वर्षीय आरटीआई कार्यकर्ता ने प्रशासनिक अधिकारियों की देख-रेख में पुलिसकर्मियों पर बिना वजह पिटाई का गंभीर आरोप लगाया है. पीड़ित गिरीश प्रसाद गुप्ता के अनुसार जन मुद्दों को आरटीआई के जरिए उठाने के कारण उनकी पिटाई की गई है. उन्होंने मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मुख्य सचिव सहित कई अधिकारियों से दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने के साथ-साथ न्याय की गुहार लगाई है. वहीं, पुलिस ने मामले को निराधार बताते हुए गिरीश प्रसाद गुप्ता पर ही लॉकडाउन उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज होने की बात कह रही है.

बेगूसराय
मदद की गुहार लगाता पीड़ित परिवार

दरअसल, बेगूसराय में एक आरटीआई कार्यकर्ता को आरटीआई लगाना काफी महंगा पड़ गया. गिरीश के अनुसार प्रशासनिक अधिकारियों ने लॉकडाउन के बहाने उनकी पिटाई करके अपनी खुन्नस निकाली है. फुलवरिया थाना क्षेत्र के राजेंद्र रोड निवासी गिरीश कुमार गुप्ता ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया है कि 15 अप्रैल की रात तेघड़ा एसडीओ, बीडीओ, पशु चिकित्सा पदाधिकारी और फुलवरिया के थाना प्रभारी उनके आवास पर दलबल के साथ पहुंचकर उनको सोये अवस्था से जगाकर लॉकडाउन उल्लंघन का आरोप लगाते हुए जमकर पिटाई कर दी.

बेगूसराय
कुंदन कुमार सिंह - पुलिस प्रवक्ता सह डीएसपी मुख्यालय

'बीमारियों का हवाला देने पर भी नहीं पसीजे पुलिस'
गिरीश ने आगे बताया कि घर पर पिटाई के बाद पुलिस ने फुलवरिया थाना स्थित एक जर्जर मकान में ले जाकर अधिकारियों की मौजूदगी में उनकी पिटाई की. साथ ही आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि मौके पर मैंने अपने कई बीमारियों का हवाला देकर पिटाई नहीं करने की गुहार भी लगाई. इसके बावजूद पुलिस नहीं मानी, लगातार उनकी पिटाई करती रही. बाद में उनकी तबियत बिगड़ती देख एक सादे कागजात पर दस्तखत कराकर उन्हें छोड़ दिया गया. उन्होंने कहा कि घर पर बीच-बचाव करने के दौरान उनकी पत्नी और बेटे के साथ भी मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पुलिस ने किया घटना से इनकार
मामले में गिरीश की पत्नी प्रतिमा गुप्ता ने बताया कि पुलिस वालों ने उनके साथ गाली-गलौज के साथ ही मारपीट की घटना को भी अंजाम दिया है. बीच बचाव करने के दौरान उनके बेटे को भी पुलिस वालों ने पिटाई कर दी है. वहीं, इस मामले में पुलिस के अधिकारी ऐसी किसी घटना से इनकार करते हुए गिरीश कुमार गुप्ता पर ही लॉक डाउन तोड़ने का आरोप लगाते हुए फुलवरिया थाने में मामला दर्ज करने की बात कही है. गौरतलब है कि पत्रकारिता का काम करने वाले गिरीश प्रसाद गुप्ता 2006 से आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर स्थानीय अधिकारियों से आरटीआई के तहत जानकारी जुटाते रहे हैं.

बेगूसराय: जिले से एक आरटीआई कार्यकर्ता की पिटाई का मामला सामने आया है. मंगलवार को पीड़ित 75 वर्षीय आरटीआई कार्यकर्ता ने प्रशासनिक अधिकारियों की देख-रेख में पुलिसकर्मियों पर बिना वजह पिटाई का गंभीर आरोप लगाया है. पीड़ित गिरीश प्रसाद गुप्ता के अनुसार जन मुद्दों को आरटीआई के जरिए उठाने के कारण उनकी पिटाई की गई है. उन्होंने मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, मुख्य सचिव सहित कई अधिकारियों से दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने के साथ-साथ न्याय की गुहार लगाई है. वहीं, पुलिस ने मामले को निराधार बताते हुए गिरीश प्रसाद गुप्ता पर ही लॉकडाउन उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज होने की बात कह रही है.

बेगूसराय
मदद की गुहार लगाता पीड़ित परिवार

दरअसल, बेगूसराय में एक आरटीआई कार्यकर्ता को आरटीआई लगाना काफी महंगा पड़ गया. गिरीश के अनुसार प्रशासनिक अधिकारियों ने लॉकडाउन के बहाने उनकी पिटाई करके अपनी खुन्नस निकाली है. फुलवरिया थाना क्षेत्र के राजेंद्र रोड निवासी गिरीश कुमार गुप्ता ने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया है कि 15 अप्रैल की रात तेघड़ा एसडीओ, बीडीओ, पशु चिकित्सा पदाधिकारी और फुलवरिया के थाना प्रभारी उनके आवास पर दलबल के साथ पहुंचकर उनको सोये अवस्था से जगाकर लॉकडाउन उल्लंघन का आरोप लगाते हुए जमकर पिटाई कर दी.

बेगूसराय
कुंदन कुमार सिंह - पुलिस प्रवक्ता सह डीएसपी मुख्यालय

'बीमारियों का हवाला देने पर भी नहीं पसीजे पुलिस'
गिरीश ने आगे बताया कि घर पर पिटाई के बाद पुलिस ने फुलवरिया थाना स्थित एक जर्जर मकान में ले जाकर अधिकारियों की मौजूदगी में उनकी पिटाई की. साथ ही आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि मौके पर मैंने अपने कई बीमारियों का हवाला देकर पिटाई नहीं करने की गुहार भी लगाई. इसके बावजूद पुलिस नहीं मानी, लगातार उनकी पिटाई करती रही. बाद में उनकी तबियत बिगड़ती देख एक सादे कागजात पर दस्तखत कराकर उन्हें छोड़ दिया गया. उन्होंने कहा कि घर पर बीच-बचाव करने के दौरान उनकी पत्नी और बेटे के साथ भी मारपीट की घटना को अंजाम दिया गया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पुलिस ने किया घटना से इनकार
मामले में गिरीश की पत्नी प्रतिमा गुप्ता ने बताया कि पुलिस वालों ने उनके साथ गाली-गलौज के साथ ही मारपीट की घटना को भी अंजाम दिया है. बीच बचाव करने के दौरान उनके बेटे को भी पुलिस वालों ने पिटाई कर दी है. वहीं, इस मामले में पुलिस के अधिकारी ऐसी किसी घटना से इनकार करते हुए गिरीश कुमार गुप्ता पर ही लॉक डाउन तोड़ने का आरोप लगाते हुए फुलवरिया थाने में मामला दर्ज करने की बात कही है. गौरतलब है कि पत्रकारिता का काम करने वाले गिरीश प्रसाद गुप्ता 2006 से आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर स्थानीय अधिकारियों से आरटीआई के तहत जानकारी जुटाते रहे हैं.

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