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बेगूसराय: जर्जर हालत में है एनएच 31 पर बना राजेन्द्र पुल, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

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Published : Aug 18, 2019, 12:16 PM IST

स्थानीय लोग बताते हैं कि कई जगह से पुल टूटे होने के कारण अक्सर यहां दुर्घटनाएं होती हैं. खास तौर पर पुल के किनारे से बाइक लेकर जा रहे कई बाइक सवार पुल का साइडर छज्जा टूटने के कारण नीचे रेल पटरी पर बाइक सहित जा गिरते हैं. जिससे उनकी मौत हो जाती है.

जर्जर स्थिति में है एनएच 31 पर स्थित राजेन्द्र पुल

बेगूसराय: सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण समझे जाने वाले एनएच 31 पर स्थित राजेंद्र सेतु एक बार फिर जर्जरता होने के कारण बंद होने के कगार पर है. राजेंद्र रेल सह सड़क पुल अपने निर्माण काल से लेकर अब तक ना सिर्फ बिहार के अन्य जिलों को राजधानी पटना और देश के अन्य भागों में जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, बल्कि पूर्वोत्तर के राज्यों को भी सीधा जोड़ने के कारण इसका व्यापक महत्व है.

जर्जर हालत में है राजेन्द्र पुल
हो चुकी हैं कई दुर्घटनाएंवर्ष 1959 में निर्मित राजेंद्र पुल अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. कई जगह से क्षतिग्रस्त होने के कारण इस पुल पर कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं. लंबे समय तक आवागमन बाधित रहने के बाद जब दोबारा वर्ष 15-16 में रिपेयरिंग के बाद पुल चालू किया गया, तो लोगों को लगा कि अब कुछ वर्षों के लिए परेशानी नहीं होगी. लेकिन इसके विपरीत जो स्थितियां बन गयी हैं, उससे लगता है कि अब इस पुल पर कभी भी आवागमन रोकने का आदेश दिया जा सकता है.
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कई जगह से टूट चुका है पुल

पहले भी क्षतिग्रस्त हो चुका है पुल
जिस समय इस पुल का निर्माण हुआ था, उस समय के लोग बताते हैं कि तब अन्य राज्यों में ऐसे मजबूत पुल का निर्माण नहीं हो पाया था. भारी वाहनों के बिना रोक टोक परिचालन और प्रशासनिक मिलीभगत के कारण यह पुल समय से पूर्व जर्जर हो गया. कुछ वर्ष पूर्व जब यह पुल काफी क्षतिग्रस्त हो गया था, तो इसकी रिपेयरिंग में लंबा समय लगा था. जिसके बाद वर्ष 2015- 16 में इसे दोबारा सुचारू रूप से चालू किया गया. तब लोगों को लगा था कि अब लंबे समय तक इस पुल से आवागमन होता रहेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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एनएच 31 पर स्थित राजेन्द्र पुल
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
स्थानीय लोग बताते हैं कि कई जगह से पुल टूटे होने के कारण यहां अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं. खास तौर पर पुल के किनारे से बाइक लेकर जा रहे कई बाइक सवार पुल का साइडर छज्जा टूटने के कारण नीचे रेल पटरी पर गिर जाते हैं. जिससे उनकी मौत हो जाती है. उनका कहना है कि रिपेयरिंग और देखरेख के नाम पर सिर्फ यहां लूट खसोट मची हुई है. जिस वजह से पुल का यह हाल है. अगर अब भी ध्यान नहीं दिया गया तो, इस पुल पर आवागमन ठप हो सकता है.
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क्षतिग्रस्त होने के कारण हो चुकी हैं कई दुर्घटनाएं

बेगूसराय: सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण समझे जाने वाले एनएच 31 पर स्थित राजेंद्र सेतु एक बार फिर जर्जरता होने के कारण बंद होने के कगार पर है. राजेंद्र रेल सह सड़क पुल अपने निर्माण काल से लेकर अब तक ना सिर्फ बिहार के अन्य जिलों को राजधानी पटना और देश के अन्य भागों में जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है, बल्कि पूर्वोत्तर के राज्यों को भी सीधा जोड़ने के कारण इसका व्यापक महत्व है.

जर्जर हालत में है राजेन्द्र पुल
हो चुकी हैं कई दुर्घटनाएंवर्ष 1959 में निर्मित राजेंद्र पुल अब पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. कई जगह से क्षतिग्रस्त होने के कारण इस पुल पर कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं. लंबे समय तक आवागमन बाधित रहने के बाद जब दोबारा वर्ष 15-16 में रिपेयरिंग के बाद पुल चालू किया गया, तो लोगों को लगा कि अब कुछ वर्षों के लिए परेशानी नहीं होगी. लेकिन इसके विपरीत जो स्थितियां बन गयी हैं, उससे लगता है कि अब इस पुल पर कभी भी आवागमन रोकने का आदेश दिया जा सकता है.
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कई जगह से टूट चुका है पुल

पहले भी क्षतिग्रस्त हो चुका है पुल
जिस समय इस पुल का निर्माण हुआ था, उस समय के लोग बताते हैं कि तब अन्य राज्यों में ऐसे मजबूत पुल का निर्माण नहीं हो पाया था. भारी वाहनों के बिना रोक टोक परिचालन और प्रशासनिक मिलीभगत के कारण यह पुल समय से पूर्व जर्जर हो गया. कुछ वर्ष पूर्व जब यह पुल काफी क्षतिग्रस्त हो गया था, तो इसकी रिपेयरिंग में लंबा समय लगा था. जिसके बाद वर्ष 2015- 16 में इसे दोबारा सुचारू रूप से चालू किया गया. तब लोगों को लगा था कि अब लंबे समय तक इस पुल से आवागमन होता रहेगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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एनएच 31 पर स्थित राजेन्द्र पुल
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
स्थानीय लोग बताते हैं कि कई जगह से पुल टूटे होने के कारण यहां अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं. खास तौर पर पुल के किनारे से बाइक लेकर जा रहे कई बाइक सवार पुल का साइडर छज्जा टूटने के कारण नीचे रेल पटरी पर गिर जाते हैं. जिससे उनकी मौत हो जाती है. उनका कहना है कि रिपेयरिंग और देखरेख के नाम पर सिर्फ यहां लूट खसोट मची हुई है. जिस वजह से पुल का यह हाल है. अगर अब भी ध्यान नहीं दिया गया तो, इस पुल पर आवागमन ठप हो सकता है.
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क्षतिग्रस्त होने के कारण हो चुकी हैं कई दुर्घटनाएं
Intro:एंकर- वर्ष 1959 में निर्मित राजेंद्र पुल अब पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है ।पूल कई जगह क्षतिग्रस्त होने के कारण दुर्घटनाओं में कई लोगों की जान जा चुकी है लंबे समय तक आवागमन वाधित रहने के बाद जब दुबारा वर्ष 15-16 में रिपेयरिंग के बाद पूल चालू किया गया तो लोगों को लगा की कुछ वर्षों के लिए अब परेसानी नही होगी, लेकिन इसके उलट जो स्थितियां बन गयी है अब इस पूल पर कभी भी आवागमन रोकने का आदेश प्रशासन के द्वारा दिया जा सकता है।


Body:vo- सामरिक और आर्थिक दृष्टिकोण से अति महत्वपूर्ण समझे जाने वाले एनएच 31 पर स्थित राजेंद्र सेतु एक बार फिर जर्जरता के कारण बंद होने के कगार पर है ।राजेंद्र रेल सह सड़क पुल अपने निर्माण काल से लेकर अब तक ना सिर्फ बिहार के अन्य जिलों को राजधानी पटना और देश के अन्य भागों में जोड़ने में महती भूमिका निभाते रहा बल्कि पूर्वोत्तर के राज्यों को भी सीधा जोड़ने के कारण सामरिक दृष्टिकोण से इसका व्यापक महत्व है। जिस समय इस पूल का निर्माण हुआ था उस समय के लोग बताते हैं कि उस समय अन्य राज्यों में ऐसे मजबूत पुल का निर्माण नहीं हो पाया था। भारी वाहनों के बेरोकटोक परिचालन और प्रशासनिक मिलीभगत के कारण यह पुल समय से पूर्व जर्जर हो गया। कुछ वर्ष पूर्व जब यह पुल काफी क्षतिग्रस्त हो गया तो इसकी रिपेयरिंग में लंबा समय लगने के बाद वर्ष 2015- 16 में इसे दोबारा सुचारू रूप से चालू किया गया, तब लोगों को लगा था अब लंबे समय तक इस पुल से निर्वाध आवागमन होता रहेगा लेकिन एक बार फिर पूल अपनी जर्जरता की पराकाष्ठा पर है। स्थानीय लोग बताते हैं की कई जगह पुल टूटे फूटे होने के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं खास तौर पर पुल के किनारे से बाइक लेकर जा रहे कई बाइक सवार पूल का साइडर छज्जा टूटने के कारण नीचे रेल पटरी पर बाइक सहित जा गिरे और उनकी मौत हो गई है। रिपेयरिंग और देखरेख के नाम पर सिर्फ यहां लूट खसोट और फेका फेकी मची हुई है ,जिस वजह से पूल का यह हाल है अगर अब भी ध्यान नही दिया गया तो इस पुल पर आवागमन ठप्प हो सकता है ।

PTC-Aashish-दो पीटीसी है जो बेहतर है लगा दें।

vo-स्थानीय लोग बताते हैं बीते दस वर्षों से पूल काफी जर्जर हुआ है जब परेसानी ज्यादा होती है तो आवागमन रोककर रिपेयरिंग का काम शुरू कर दिया जाता है फिर वही हाल हो जाता है।पूल क्षतिग्रस्त होने के कारण ही साइडर टूटने के कारण कई बाइक सवार पूल से नीचे रेल ट्रैक पर गिरे और उनकी मौत हो गई।
बाइट-राजेश सिंह,स्थानीय
बाइट-गजेंद्र महतो,स्थानीय


Conclusion:fvo-प्रशासन ने समय रहते राजेंद्र पूल के मुद्दे को गंभीरता से नही लिया तो ये पूल एक बड़े हादसे का गवाह बन सकता है।निश्चित तौर पर प्रशासन को इसमें पहल करते हुए अविलम्ब इसके मरम्मती का काम शुरू करवाकर यातायात सुचारू रखने के साथ साथ लोगो की सुरक्षा के दायित्व का निर्वहन करना चाहिए।
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