बेगूसरायः कहने को साइंस ने बहुत प्रगति कर ली है, लेकिन अगर आप भारत के गांवों में आज भी जाएंगे तो विज्ञान की प्रगती को लेकर पढ़ें जानेवाले जानेवाले कसीदे आपको कोरी बातों को अलावा और कुछ नहीं लगेंगी. बिहार के कई गांवों में आज भी विज्ञान से ज्यादा लोग पारंपरिक दकिसानुसी चीजों पर ज्यादा भरोसा करते हैं. आधुनिक विज्ञान के इस युग में आज भी ग्रामीण इलाकों में अंधविश्वास विज्ञान पर भारी पड़ता दिखता है. कुछ ऐसा ही देखने को मिला है बेगूसराय में, जहां झाड़-फूंक के चक्कर मे एक महिला की मौत हो गई.
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कुत्ते के काटने पर नही लगवाया टीका
मामला बेगूसराय जिले के बखरी थानां क्षेत्र के राटन गांव का है. यहां कि एक महिला की मौत वुधवार को झाड़-फूंक के चक्कर में हो गई. बताया जाता है कि लगभग एक महीने पूर्व उसे आवारा कुत्ते ने काटा था. लेकिन जागरूकता के अभाव में उसके घरवालों ने रैबिज का टीका लगवाने के बजाय झाड़-फ़ूंक वाले के पास लेकर चले गए. एसे में अंततः वही हुआ जिसका डर था, महिला की मौत हो गई. मृत महिला राटन गांव के रहने वाले भोकरण महतों की 48 वर्षीय पत्नी सीता देवी थी.
अचानक बिगड़ने लगी तबीयत
मृतिका के पति ने बताया कि लगभग 1 माह पूर्व एक कुत्ते ने उसकी पत्नी को काटा था. जिसके बाद बेगमपुर स्थित भगवती स्थान जाकर उसने झाड़-फूंक कराया. उसने बताया कि चार दिन पूर्व मृतिका के हाथ में दर्द हुआ और उसे दवाई लाकर दिया. जिससे हाथ का दर्द का हुआ, लेकिन वुधवार को उसकी तबीयत अचानक बिगड़ने लगी. गंभीर स्थिति को भांपते ही इलाज के लिए सदर अस्पताल ले गया.
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पटना ले जाने के क्रम में मौत
भोकरण महतों ने बताया कि डॉक्टरो ने स्थिती को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए पटना एनएमसीएच रेफर कर दिया. रेफर की प्रक्रिया पूरी कर जैसे ही महिला को पटना ले जाया जाने लगा, तभी महिला ने दम तोड़ दिया. इस संबंध में सदर अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर राजू ने बताया कि समय से यदि पहले ही टीकाकरण कराया गया होता तो महीला की जान बच जाती .