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'चमकी' को ऐसे दें मात, कुछ तरीके अपना बरतें एहतियात : शिशु रोग विशेषज्ञ - Acute Encephalitis Syndrome

ईटीवी भारत ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ कृष्ण कुमार से खास बातचीत की. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हम पूरी तरह से चमकी को रोक तो नहीं सकते. लेकिन इससे सावधानी बरत सकते हैं.

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Published : Jun 19, 2019, 9:14 PM IST

बेगूसराय: चमकी बुखार या एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कारण बिहार में त्राहिमाम की स्थिति है. इसको लेकर बच्चों के मरने का सिलसिला जारी है. वहीं, इस रोग पर ईटीवी भारत ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार से खास बातचीत की. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हम पूरी तरह से चमकी को रोक तो नहीं सकते. लेकिन इससे सावधानी बरत सकते हैं.

वैसे तो इस बीमारी का अभी तक कोई अधिकृत कारण पता नहीं चल सका है. लेकिन जैसे ही बीमारी बच्चों को अपने चपेट में लेती है. उस समय अगर हम प्रारंभिक सावधानी बरतें तो बच्चे को बचाया जा सकता है.

शिशु रोग स्पेशलिस्ट

खासतौर पर ध्यान देने वाली बात यह होती है किसी भी कीमत पर हम यह प्रयास करें कि बच्चे का बुखार 100 डिग्री क्रॉस ना करे. इसके लिए घर में पेरासिटामोल की टेबलेट या सिरप अवश्य रखें.

चमकी रोग के प्रमुख लक्षण

  • तेज बुखार आना या उल्टी होना
  • 100 डिग्री से ज्यादा बुखार होने पर शरीर मे चमकी आना या झटका लगना
  • शरीर मे चमकी शुरू होने के बाद बच्चे का बेहोश हो जाना.
  • बच्चे के हाथ पैर और शरीर मे अकड़न होना.
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    कुछ यूं अकड़ जाता है बच्चे का शरीर

प्रमुख सुझाव

  1. आपको जैसे ही यह एहसास हो कि बच्चे को चमकी बीमारी के लक्षण हैं. तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाएं या घरेलू उपचार शुरू कर दें.
  2. एक से पंद्रह वर्ष आयुवर्ग के बच्चों वाले घर मे
  3. पेरासिटामोल की दवा और सिरप ,ओआरएस का पैकेट, ग्लूकोज आदि अवश्य खरीद कर रखें.
  4. बच्चों को ज्यादातर खुले और हवादार जगहों पर रखें ,गर्मी और उमस वाले स्थान से बचाकर रखे.
  5. बच्चे को जैसे ही बुखार हो तुरंत उसे पेरासिटामोल की दवा या सिरप पिला दें, ओआरएस और ग्लूकोज पिलाएं. ध्यान रखें कि ज्यादातर ठंडे पदार्थ या तरल पदार्थ बच्चों को देना है.
  6. अगर बच्चे का बुखार नहीं कम रहा है. ऐसी स्थिति में बच्चे को पानी से एक दो बार नहला दें और सिर पर बर्फ से भींगी हुई पट्टी रखें.
  7. प्रारंभिक लक्षणों का पता चलते ही बच्चे को किसी सरकारी अस्पताल या अच्छे चिकित्सक के यहां अभिलंब ले जाएं.

बीमारी के मुख्य कारण क्या हैं और उससे बचने का तरीका क्या हैं ये स्पष्ट नहीं है. चमकी को रोक पाना मुश्किल है लेकिन समय रहते एहतियात बरतने की जरूरत है.

बेगूसराय: चमकी बुखार या एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कारण बिहार में त्राहिमाम की स्थिति है. इसको लेकर बच्चों के मरने का सिलसिला जारी है. वहीं, इस रोग पर ईटीवी भारत ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार से खास बातचीत की. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हम पूरी तरह से चमकी को रोक तो नहीं सकते. लेकिन इससे सावधानी बरत सकते हैं.

वैसे तो इस बीमारी का अभी तक कोई अधिकृत कारण पता नहीं चल सका है. लेकिन जैसे ही बीमारी बच्चों को अपने चपेट में लेती है. उस समय अगर हम प्रारंभिक सावधानी बरतें तो बच्चे को बचाया जा सकता है.

शिशु रोग स्पेशलिस्ट

खासतौर पर ध्यान देने वाली बात यह होती है किसी भी कीमत पर हम यह प्रयास करें कि बच्चे का बुखार 100 डिग्री क्रॉस ना करे. इसके लिए घर में पेरासिटामोल की टेबलेट या सिरप अवश्य रखें.

चमकी रोग के प्रमुख लक्षण

  • तेज बुखार आना या उल्टी होना
  • 100 डिग्री से ज्यादा बुखार होने पर शरीर मे चमकी आना या झटका लगना
  • शरीर मे चमकी शुरू होने के बाद बच्चे का बेहोश हो जाना.
  • बच्चे के हाथ पैर और शरीर मे अकड़न होना.
    opinion-of-pediatrician-for-chamki-fever
    कुछ यूं अकड़ जाता है बच्चे का शरीर

प्रमुख सुझाव

  1. आपको जैसे ही यह एहसास हो कि बच्चे को चमकी बीमारी के लक्षण हैं. तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाएं या घरेलू उपचार शुरू कर दें.
  2. एक से पंद्रह वर्ष आयुवर्ग के बच्चों वाले घर मे
  3. पेरासिटामोल की दवा और सिरप ,ओआरएस का पैकेट, ग्लूकोज आदि अवश्य खरीद कर रखें.
  4. बच्चों को ज्यादातर खुले और हवादार जगहों पर रखें ,गर्मी और उमस वाले स्थान से बचाकर रखे.
  5. बच्चे को जैसे ही बुखार हो तुरंत उसे पेरासिटामोल की दवा या सिरप पिला दें, ओआरएस और ग्लूकोज पिलाएं. ध्यान रखें कि ज्यादातर ठंडे पदार्थ या तरल पदार्थ बच्चों को देना है.
  6. अगर बच्चे का बुखार नहीं कम रहा है. ऐसी स्थिति में बच्चे को पानी से एक दो बार नहला दें और सिर पर बर्फ से भींगी हुई पट्टी रखें.
  7. प्रारंभिक लक्षणों का पता चलते ही बच्चे को किसी सरकारी अस्पताल या अच्छे चिकित्सक के यहां अभिलंब ले जाएं.

बीमारी के मुख्य कारण क्या हैं और उससे बचने का तरीका क्या हैं ये स्पष्ट नहीं है. चमकी को रोक पाना मुश्किल है लेकिन समय रहते एहतियात बरतने की जरूरत है.

Intro:एंकर- चमकी बीमारी के कारण बिहार में त्राहिमाम की स्थिति है और इसको लेकर लगातार बच्चों के मरने का सिलसिला जारी है। वैसे तो इस बीमारी का अभी तक कोई अधिकृत कारण पता नहीं चल सका है लेकिन जैसे ही बीमारी बच्चों को अपने चपेट में लेता है ,उस समय अगर हम प्रारंभिक सावधानी बरतें तो बच्चे को बचाया जा सकता है। खासतौर पर ध्यान देने वाली बात यह होती है किसी भी कीमत पर हम यह प्रयास करें कि बच्चे को बुखार 100 से ज्यादा ना होने पाए। इसके लिए घर में पेरासिटामोल की टेबलेट या सिरप अवश्य रखें और जैसे ही लगे कि बच्चा इसकी चपेट में है बच्चे को ओआरएस का घोल, सादा पानी और बुखार आने पर दवाई के बाद तुरंत पट्टी देना शुरू कर दें। यह तब तक करें जब तक आप किसी अच्छे चिकित्सक के पास नहीं पहुंच जाते हैं।


Body:vo- वैसे तो चमकी रोग किस वजह से फैलती है इसका अधिकृत जानकारी स्वास्थ्य विभाग नहीं लगा पाया है लेकिन जो आंकड़े और जो तरीके चमकी के हैं उसे यह बात स्पष्ट है कि चमकी बीमारी ज्यादातर गरीब परिवार के बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है ।चमकी बीमारी वैसे बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है जो फुंस या करकट के घरों में या उसम भरे गर्मी के माहौल में रह रहे हैं ,जिनके पास गर्मी में रहने के सिवा कोई विकल्प नहीं है।चमकी के शिकार ज्यादातर बच्चे वैसे ही घरों से आते हैं जहां गर्मी के कारण उन्हें यह परेशानी उठानी पड़ती है। दूसरा बड़ा कारण जो डॉक्टर अभी तक अनुमान लगा पा रहे हैं शारीरिक रूप से कमजोर या कुपोषित बच्चे जल्दी इसके चपेट में आ जाते हैं।
इन तमाम बिंदुओं पर ईटीवी भारत ने शिशु रोग विशेषज्ञ व एक्सपर्ट के तौर पर डॉ कृष्ण कुमार से खास बातचीत की जिन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हम पूरी तरह से चमकी को रोक तो नहीं सकते लेकिन टालने का प्रयास जरूर कर सकते हैं।

चमकी रोग के प्रमुख लक्षण
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1-तेज बुखार आना

2-उल्टी होना

3-100 से ज्यादा बुखार होने पर शरीर मे चमकी आना या झटका लगना

4-शरीर मे चमकी शुरू होने के बाद बच्चे का बेहोश हो जाना

5-बच्चे का हाथ पैर और शरीर मे अकड़न होना

प्रमुख सुझाव
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1- आपको जैसे ही यह एहसास हो कि बच्चे को चमकी बीमारी के लक्षण हैं तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाएं या घरेलू उपचार शुरू कर दें

2- एक से पंद्रह वर्ष आयुवर्ग के बच्चों वाले घर मे
पेरासिटामोल की दवा और सिरप ,ओआरएस का पैकेट, ग्लूकोज आदि अवश्य खरीद कर रखें।

3-बच्चों को ज्यादातर खुले और हवादार जगहों पर रखें ,गर्मी और गुमस वाले स्थान से बच्चों को बचाकर रखे।

4- बच्चे को जैसे ही बुखार हो तुरंत उसे पेरासिटामोल की दवा या सिरप पिला दे, ओआरएस के घोल पिलाएं और ग्लूकोज पिलाएं ध्यान रखें कि ज्यादातर ठंडे पदार्थ या तरल पदार्थ बच्चों को देना है।

5- आप देखें कि बुखार नहीं कम रहा है ऐसी स्थिति में बच्चे को पानी से एक दो बार नहला दे और सर पर बर्फ से भींगी हुई पट्टी दें इससे बुखार 100 से नीचे आ जाएगा।

6- प्रारंभिक लक्षणों का पता चलते ही बच्चे को किसी सरकारी अस्पताल या अच्छे चिकित्सक के यहां अभिलंब ले जाएं।

वन टू वन विथ डॉ कृष्ण कुमार



Conclusion:fvo-ये बात तय है कि बीमाड़ी का मुख्य कारण क्या है और उससे बचने का तरीका क्या है ये स्पस्ट नही है ।चमकी को रोक पाना मुश्किल है लेकिन समय रहते एहतियाती कदम उठाकर हम इसे टालने या बच्चों को बचाने का प्रयाश जरूर कर सकते हैं।
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