बेगूसराय: चमकी बुखार या एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कारण बिहार में त्राहिमाम की स्थिति है. इसको लेकर बच्चों के मरने का सिलसिला जारी है. वहीं, इस रोग पर ईटीवी भारत ने शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार से खास बातचीत की. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि हम पूरी तरह से चमकी को रोक तो नहीं सकते. लेकिन इससे सावधानी बरत सकते हैं.
वैसे तो इस बीमारी का अभी तक कोई अधिकृत कारण पता नहीं चल सका है. लेकिन जैसे ही बीमारी बच्चों को अपने चपेट में लेती है. उस समय अगर हम प्रारंभिक सावधानी बरतें तो बच्चे को बचाया जा सकता है.
खासतौर पर ध्यान देने वाली बात यह होती है किसी भी कीमत पर हम यह प्रयास करें कि बच्चे का बुखार 100 डिग्री क्रॉस ना करे. इसके लिए घर में पेरासिटामोल की टेबलेट या सिरप अवश्य रखें.
चमकी रोग के प्रमुख लक्षण
- तेज बुखार आना या उल्टी होना
- 100 डिग्री से ज्यादा बुखार होने पर शरीर मे चमकी आना या झटका लगना
- शरीर मे चमकी शुरू होने के बाद बच्चे का बेहोश हो जाना.
- बच्चे के हाथ पैर और शरीर मे अकड़न होना.
प्रमुख सुझाव
- आपको जैसे ही यह एहसास हो कि बच्चे को चमकी बीमारी के लक्षण हैं. तुरंत उसे डॉक्टर के पास ले जाएं या घरेलू उपचार शुरू कर दें.
- एक से पंद्रह वर्ष आयुवर्ग के बच्चों वाले घर मे
- पेरासिटामोल की दवा और सिरप ,ओआरएस का पैकेट, ग्लूकोज आदि अवश्य खरीद कर रखें.
- बच्चों को ज्यादातर खुले और हवादार जगहों पर रखें ,गर्मी और उमस वाले स्थान से बचाकर रखे.
- बच्चे को जैसे ही बुखार हो तुरंत उसे पेरासिटामोल की दवा या सिरप पिला दें, ओआरएस और ग्लूकोज पिलाएं. ध्यान रखें कि ज्यादातर ठंडे पदार्थ या तरल पदार्थ बच्चों को देना है.
- अगर बच्चे का बुखार नहीं कम रहा है. ऐसी स्थिति में बच्चे को पानी से एक दो बार नहला दें और सिर पर बर्फ से भींगी हुई पट्टी रखें.
- प्रारंभिक लक्षणों का पता चलते ही बच्चे को किसी सरकारी अस्पताल या अच्छे चिकित्सक के यहां अभिलंब ले जाएं.
बीमारी के मुख्य कारण क्या हैं और उससे बचने का तरीका क्या हैं ये स्पष्ट नहीं है. चमकी को रोक पाना मुश्किल है लेकिन समय रहते एहतियात बरतने की जरूरत है.