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बेगूसराय: पुराना दुर्गा मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, तंत्र सिद्धी के लिए मशहूर

तकरीबन ढाई सौ साल पुराना यह दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र माना जाता है. साथ ही दुर्गा अष्टमी के दिन इस मंदिर का खास महत्व है.

पुराना दुर्गा मंदिर शक्तिपीठ बखरी
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Published : Oct 6, 2019, 11:55 PM IST

बेगूसराय: रविवार को दुर्गा अष्टमी के अवसर पर जिले के बखरी गांव के पुराना दुर्गा मंदिर में मां के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है. ऐसे में लोगों ने मां की भक्ति में लीन होकर पूजा-अर्चना की और उनसे मुरादें मांगी.

दुर्गा अष्टमी में मंदिर का है महत्व
तकरीबन ढाई सौ साल पुराना यह दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र माना जाता है. साथ ही, दुर्गा अष्टमी के दिन इस मंदिर का खास महत्व है. कहा जाता है कि आज से सैकड़ों वर्ष पहले बहुरा माम नाम की एक महिला ने सामंतों से लड़ने के लिए तंत्र साधना की थी. दुर्गा अष्टमी के दिन मंदिर में लोग तंत्र सिद्धी के लिए पूजा करते हैं. गांव के लोगों का मानना है कि यहां पूजा करने से जितनी भी तांत्रिक शक्तियां हैं, उनसे मुक्ति मिल जाती है.

पुराना दुर्गा मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

तंत्र सिद्धी के लिए आते हैं लोग
दुर्गा अष्टमी के दिन दूर-दराज से लोग मां को दर्शन करने मंदिर पहुंचे. ऐसे में झारखंड और नेपाल से आए लोगों ने तंत्र सिद्धी के लिए पूजा-अर्चना की और मां से मुरादें मांगी.

बेगूसराय: रविवार को दुर्गा अष्टमी के अवसर पर जिले के बखरी गांव के पुराना दुर्गा मंदिर में मां के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है. ऐसे में लोगों ने मां की भक्ति में लीन होकर पूजा-अर्चना की और उनसे मुरादें मांगी.

दुर्गा अष्टमी में मंदिर का है महत्व
तकरीबन ढाई सौ साल पुराना यह दुर्गा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र माना जाता है. साथ ही, दुर्गा अष्टमी के दिन इस मंदिर का खास महत्व है. कहा जाता है कि आज से सैकड़ों वर्ष पहले बहुरा माम नाम की एक महिला ने सामंतों से लड़ने के लिए तंत्र साधना की थी. दुर्गा अष्टमी के दिन मंदिर में लोग तंत्र सिद्धी के लिए पूजा करते हैं. गांव के लोगों का मानना है कि यहां पूजा करने से जितनी भी तांत्रिक शक्तियां हैं, उनसे मुक्ति मिल जाती है.

पुराना दुर्गा मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

तंत्र सिद्धी के लिए आते हैं लोग
दुर्गा अष्टमी के दिन दूर-दराज से लोग मां को दर्शन करने मंदिर पहुंचे. ऐसे में झारखंड और नेपाल से आए लोगों ने तंत्र सिद्धी के लिए पूजा-अर्चना की और मां से मुरादें मांगी.

Intro:बिहार झारखंड और नेपाल के सबसे बड़े तंत्र साधना का केंद्र बेगुसराय के बखरी में माँ का पट खुलते ही तंत्र साधको ने तंत्र साधना की सिद्दी की । इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की और उनसे अपने मन की मुराद मांगी । पुराना दुर्गा मंदिर शक्तिपीठ में अष्टमी की रात का खास महत्व होता है । तंत्र साधक इस दिन अपने तंत्र साधना को अंजाम देते हैं। तकरीबन ढाई सौ वर्ष पुराना ये मंदिर देश के प्रमुख आस्था का केंद्र है।Body:कहते हैं कि कभी बकरी नामक इस स्थान की लकड़िया भी डायन हुआ करती थी । आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व सामंतों से लड़ने के लिए तंत्र साधना एक बड़ा अस्त्र था । बात के दिनों में यह स्तर इतना प्रचलित हुआ कि दूर-दराज के लोग यहां तंत्र साधना के लिए पहुंचने लगे । ऐसे ही तमाम तरह की मान्यताओं वाला बकरी का यह शक्तिपीठ मंदिर एक बार फिर से भक्ति में हो गया जब मां दुर्गा का पट खुला । पट खुलने से पहले हजारों लोग मां के दर्शन को आतुर थे और जैसे ही पट खुला लोग आह्लादित और भक्ति मैं होकर मां दुर्गे की आराधना को ।।मुगलकालीन इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई मन की हर मुराद पूरी होती है। देश की चर्चित तंत्र साधिका यहाँ आज भी पूजी जाती है । यहां के लोगो ने बहुरा मामा की एक मंदिर बना रखी है, जहां लोग देवी देवताओं के समान ही बहुरा मामा की पूजा अर्चना करते हैं , बहुरा मामा ने सामंत वादियों से लाने के लिए तंत्र साधना को अपना ढाल बनाया था , जिसकी चर्चा किताबों में आज भी वर्णित है । दुर्गा पूजा आते ही दूर-दराज के लोग बखरी पहुंचकर तंत्र साधना करते और अष्टमी के बाद अपने अपने घरों को लौट जाते हैं
बाइट - अमित परमार - स्थानीय परमार बंश के सदस्य Conclusion:
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