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कावर झील को मिली देश के 100 प्रमुख झीलों में जगह, सौंदर्यीकरण के लिए केंद्र देगी पैसा

राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने बताया कि केंद्र सरकार ने न सिर्फ 30 से 32 लाख रुपये तत्काल कावर झील के सौंदर्यीकरण के लिए आवंटित किया है. बल्कि देश में अवस्थित हजारों झीलों में 100 प्रमुख जिलों की लिस्ट में कावर झील को शामिल किया है. यह न सिर्फ बेगूसराय के लिए गौरव की बात है. बल्कि पूरे बिहार के लिए भी गौरव का विषय है.

कावर झील
कावर झील
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Published : Dec 4, 2019, 9:46 AM IST

बेगूसराय: जिले में एशिया के सबसे बड़े मीठे पानी का झील कावर झील कहलाता है. इस झील की स्थिति काफी खराब है. लेकिन ईटीवी भारत की ओर से इसके हालात पर कवरेज करने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता ,अधिकारी और सांसद तक इसके विकास को लेकर सक्रिय हो गए. वहीं देश के 100 प्रमुख झीलों की सूची में कावर झील को शामिल किया गया है तथा एक बड़ी राशि इसके विकास के लिए केंद्र सरकार ने जारी की है.

कावर झील
सौंदर्यीकरण के लिए देगी केंद्र पैसा

100 प्रजाति के पक्षी आते हैं कावर झील
जिले का कावर झील जो एशिया में मीठे जल की झील के नाम से प्रसिद्ध है. ठंड के दिनों में यहां अफ्रिका और अन्य देशों के तकरीबन 100 प्रजाति के पक्षी इस झील के आसपास पहुंचते हैं. ये पक्षी 4 महीने तक यहां प्रवास करते हैं. विदेशी मेहमानों के आगमन से यह पूरा क्षेत्र गुंजायमान रहता है और लोगों के लिए आकर्षण का खास केंद्र भी रहा है.

100 प्रमुख झीलों में शामिल हुआ कावर झील
कावर झील के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने सदन में 2 बार इस मुद्दे को उठाया. इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने लगभग 30 लाख की राशि आवंटित करते हुए देश के 100 प्रमुख झीलों की सूची में कावर झील को शामिल कर लिया है.

कावर झील
श के एक सौ प्रमुख झीलों में जगह

52 शक्तिपीठों का है कावर झील का स्थान
कावर झील पर्यटन के साथ- साथ धार्मिक दृष्टिकोण से भी खास मायने रखता है. क्योंकि 52 शक्तिपीठों में से एक माता जयमंगला का मंदिर भी इसी के बगल में अवस्थित हैं. इन दोनों वजहों से जिले के आसपास ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां जल विहार एवं माता का दर्शन करने पहुंचते हैं. स्थानीय लोग और यहां आने वाले पर्यटक सालों से इस स्थान को बड़े पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मांग करते आए हैं. उनका मानना है कि सरकार चाहे तो इस ऐतिहासिक धरोहर को देश के बड़े तीर्थ स्थल और पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर सकती है.

केद्र सरकार की ओर से 32 लाख रुपये
राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने बताया कि बड़ी खुशी की बात है कि केंद्र सरकार ने ना सिर्फ 30 से 32 लाख रुपये तत्काल कावर झील के सौंदर्यीकरण के लिए आवंटित किया है. बल्कि देश में अवस्थित हजारों झीलों में 100 प्रमुख जिलों की लिस्ट में कावर झील को शामिल किया है. यह ना सिर्फ बेगूसराय के लिए गौरव की बात है बल्कि पूरे बिहार के लिए भी गौरव का विषय है.

कावर झील को मिली देश के एक सौ प्रमुख झीलों में जगह

कार्य योजना पर हो रहा है काम
डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि फिलहाल तो कोई पत्र नहीं मिला है लेकिन अन्य स्रोतों के जरिए जो जानकारी मिली है उसके बाद जिला प्रशासन पूरी तरह से कावर झील को विकसित करने की कार्य योजना पर काम कर रही है. हमारा प्रयास यह भी है की गर्मी के समय में जल स्रोत सूखने की स्थिति में जो हालात पैदा होते हैं उसे रोका जा सके और संभव हो तो गंडक नदी से कावर झील को जोड़ने की योजना पर भी सहमति बन सकती है. अगर ऐसा हुआ तो स्थाई रूप से वहां जल की समस्या का निदान हो जाएगा.

बेगूसराय: जिले में एशिया के सबसे बड़े मीठे पानी का झील कावर झील कहलाता है. इस झील की स्थिति काफी खराब है. लेकिन ईटीवी भारत की ओर से इसके हालात पर कवरेज करने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता ,अधिकारी और सांसद तक इसके विकास को लेकर सक्रिय हो गए. वहीं देश के 100 प्रमुख झीलों की सूची में कावर झील को शामिल किया गया है तथा एक बड़ी राशि इसके विकास के लिए केंद्र सरकार ने जारी की है.

कावर झील
सौंदर्यीकरण के लिए देगी केंद्र पैसा

100 प्रजाति के पक्षी आते हैं कावर झील
जिले का कावर झील जो एशिया में मीठे जल की झील के नाम से प्रसिद्ध है. ठंड के दिनों में यहां अफ्रिका और अन्य देशों के तकरीबन 100 प्रजाति के पक्षी इस झील के आसपास पहुंचते हैं. ये पक्षी 4 महीने तक यहां प्रवास करते हैं. विदेशी मेहमानों के आगमन से यह पूरा क्षेत्र गुंजायमान रहता है और लोगों के लिए आकर्षण का खास केंद्र भी रहा है.

100 प्रमुख झीलों में शामिल हुआ कावर झील
कावर झील के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने सदन में 2 बार इस मुद्दे को उठाया. इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने लगभग 30 लाख की राशि आवंटित करते हुए देश के 100 प्रमुख झीलों की सूची में कावर झील को शामिल कर लिया है.

कावर झील
श के एक सौ प्रमुख झीलों में जगह

52 शक्तिपीठों का है कावर झील का स्थान
कावर झील पर्यटन के साथ- साथ धार्मिक दृष्टिकोण से भी खास मायने रखता है. क्योंकि 52 शक्तिपीठों में से एक माता जयमंगला का मंदिर भी इसी के बगल में अवस्थित हैं. इन दोनों वजहों से जिले के आसपास ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां जल विहार एवं माता का दर्शन करने पहुंचते हैं. स्थानीय लोग और यहां आने वाले पर्यटक सालों से इस स्थान को बड़े पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मांग करते आए हैं. उनका मानना है कि सरकार चाहे तो इस ऐतिहासिक धरोहर को देश के बड़े तीर्थ स्थल और पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर सकती है.

केद्र सरकार की ओर से 32 लाख रुपये
राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने बताया कि बड़ी खुशी की बात है कि केंद्र सरकार ने ना सिर्फ 30 से 32 लाख रुपये तत्काल कावर झील के सौंदर्यीकरण के लिए आवंटित किया है. बल्कि देश में अवस्थित हजारों झीलों में 100 प्रमुख जिलों की लिस्ट में कावर झील को शामिल किया है. यह ना सिर्फ बेगूसराय के लिए गौरव की बात है बल्कि पूरे बिहार के लिए भी गौरव का विषय है.

कावर झील को मिली देश के एक सौ प्रमुख झीलों में जगह

कार्य योजना पर हो रहा है काम
डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि फिलहाल तो कोई पत्र नहीं मिला है लेकिन अन्य स्रोतों के जरिए जो जानकारी मिली है उसके बाद जिला प्रशासन पूरी तरह से कावर झील को विकसित करने की कार्य योजना पर काम कर रही है. हमारा प्रयास यह भी है की गर्मी के समय में जल स्रोत सूखने की स्थिति में जो हालात पैदा होते हैं उसे रोका जा सके और संभव हो तो गंडक नदी से कावर झील को जोड़ने की योजना पर भी सहमति बन सकती है. अगर ऐसा हुआ तो स्थाई रूप से वहां जल की समस्या का निदान हो जाएगा.

Intro:एंकर- एक बार फिर ईटीवी भारत द्वारा छेड़ी गई मुहिम अपने अंजाम तक पहुंची है। दरअसल जून माह में ईटीवी भारत ने। एशिया के सबसे बड़े मीठे पानी की झील कावर झील की दुर्दशा को प्रमुखता से प्रसारित किया था, जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता ,अधिकारी और सांसद तक इसके विकास को लेकर सक्रिय हो गए ।राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा के प्रयास से देश के 100 प्रमुख झीलों की सूची में कावर झील को शामिल किया गया है तथा एक बड़ी राशि इसके विकास के लिए केंद्र सरकार ने जारी की है ।
एक रिपोर्ट


Body:vo- बेगूसराय का कावर झील जो एशिया में मीठे जल की झील के नाम से प्रसिद्ध है और ठंड के दिनों में यहां अफ्रिका तथा अन्य देशों के तकरीबन 100 प्रजाति के पक्षी इस झील के आसपास पहुंचते हैं और 4 महीने तक यहां प्रवास करते हैं। विदेशी मेहमानों के आगमन से यह पूरा क्षेत्र गुंजायमान रहता है तथा लोगों के आकर्षण का खास केंद्र भी रहा है। इसको देखते हुए कावर झील के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने सदन में दो बार इस मुद्दे को उठाया ।इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने लगभग 30 लाख की राशि आवंटित करते हुए देश के 100 प्रमुख झीलों की सूची में कावर झील को शामिल कर लिया है।
कावर झील पर्यटन के साथ साथ धार्मिक दृष्टिकोण से भी खास मायने रखता है, क्योंकि 52 शक्तिपीठों में से एक माता जयमंगला का मंदिर भी इसी के बगल में अवस्थित हैं और इन दोनों वजहों से जिले के आसपास ही नहीं वरन देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां जल विहार एवं माता का दर्शन करने पहुंचते हैं। स्थानीय लोग और यहां आने वाले पर्यटक वर्षों से इस स्थान को बड़े पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मांग करते आए हैं और उनका मानना है कि सरकार चाहे तो इस ऐतिहासिक धरोहर को देश के बड़े तीर्थ स्थल और पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है।
बाइट-रघुवीर सिंह,लघु फ़िल्म निर्देशक(पर्यटक)
बाइट-प्रभात भारती, स्थानीय,सामाजिक कार्यकर्ता
vo- वही इस बाबत राज सभा सांसद राकेश सिन्हा बताते हैं की बड़ी खुशी की बात है कि केंद्र सरकार ने ना सिर्फ 30 से ₹32 लाख रुपये तत्काल कावर झील के सौन्दरी करन के लिए आवंटित किया है बल्कि देश में अवस्थित हजारों झीलों में 100 प्रमुख जिलों की लिस्ट में कावर झील को शामिल किया है। यह ना सिर्फ बेगूसराय के लिए गौरव की बात है बल्कि पूरे बिहार के लिए भी गौरव का पल है ।अब बहुत जल्द व्यापक कार्य योजना बनाकर कावर झील को बेहतर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
बाइट-राकेश सिन्हा, राज्यसभा सदस्य
vo- वहीं इस बाबत डीएम अरविंद कुमार वर्मा बताते हैं कि फिलवक्त तो कोई पत्र नहीं मिला है लेकिन अन्य स्रोतों के जरिए जो जानकारी मिली है उसके बाद जिला प्रशासन पूरी तरह से कावर झील को विकसित करने की कार्य योजना पर काम कर रहा है और हमारा प्रयास यह भी है की गर्मी के समय में जल स्रोत सूखने की स्थिति में जो हालात पैदा होते हैं उसे रोका जा सके और संभव हो तो गंडक नदी से कावर झील को जोड़ने की योजना पर भी सहमति बन सकती है, अगर ऐसा हुआ तो स्थाई रूप से वहां जल की समस्या का निदान हो जाएगा।
बाइट-अरविंद कुमार वर्मा,डीएम बेगूसराय
vo-ईटीवी भारत द्वारा सर्वप्रथम कावर झील की दुर्दशा से संबंधित खबर दिखाए जाने के बाद इसके जीर्णोद्धार के लिए ब्यापक स्तर पर लोग इस अभियान में जुड़ गए जो आज अंजाम तक पहुंच गया है।

पीटीसी-आशीष कुमार,संवाददाता


Conclusion:fvo-इतना तय है कि मुद्दा राज्यसभा में उठने और केंद्र सरकार द्वारा देश के सौ झीलों के लिस्ट में कावर को शामिल किए जाने के बाद ये मान सकते हैं कि इस इस इलाके के" अच्छे दिन आने वाले हैं।"
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