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बेगूसराय: गंगा सफाई पर सरकार के दावे खोखले, जगह-जगह है कचरे का अंबार

लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां से जल भरकर देवघर, हरी गिरी धाम, मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ समेत तमाम प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों पर जल अर्पण करते हैं.

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Published : Aug 22, 2019, 12:06 AM IST

बेगूसराय: पौराणिक मान्यताओं वाले सिमरिया का गंगा घाट प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो गया है. इस घाट पर साल भर हजारों की संख्या में लोग अपने धार्मिक रीति रिवाज से जुड़े कर्मो के निष्पादन के लिए पहुंचते रहते हैं.

पितृ कर्म और दाह संस्कार करने पहुंचते हैं लाखों लोग

सावन के मास में भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां से जल भरकर देवघर, हरी गिरी धाम, मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ समेत तमाम प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों पर जल अर्पण करते हैं. वहीं कार्तिक मास में 1 माह तक यहां कल्पवास का आयोजन होता है. वहीं हजारों की संख्या में लोग साल भर देव कर्म और पितृ कर्म सहित दाह संस्कार तक के लिए पहुंचते हैं

begusarai
नहीं देखने को मिल रहा घाट पर गंगा सफाई योजना का लाभ
घाट की प्रमुख समस्या
  • जगह-जगह कचरे का अंबार लगा है.
  • घाट पर शौचालय की समुचित व्यवस्था नहीं है.
  • घाट पर महिलाओं के कपड़े बदलने का कक्ष नहीं है.
  • पीने के पानी का अभाव है.
  • स्नान करने के लिए सीधा घाट नहीं है.
    सिमरिया घाट पर कचरे का अंबार

प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
वहीं स्थानीय पंडा रघुवीर झा बताते हैं कि पौराणिक इस घाट पर हजारों की संख्या में प्रतिदिन लोग आते हैं. लेकिन जिस अनुपात में यहां साफ-सफाई और सुविधाएं होनी चाहिए वह नहीं हैं. जिसके कारण आने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि प्रशासन लापरवाही कर रहा है.

बेगूसराय: पौराणिक मान्यताओं वाले सिमरिया का गंगा घाट प्रशासनिक लापरवाही का शिकार हो गया है. इस घाट पर साल भर हजारों की संख्या में लोग अपने धार्मिक रीति रिवाज से जुड़े कर्मो के निष्पादन के लिए पहुंचते रहते हैं.

पितृ कर्म और दाह संस्कार करने पहुंचते हैं लाखों लोग

सावन के मास में भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां से जल भरकर देवघर, हरी गिरी धाम, मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ समेत तमाम प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों पर जल अर्पण करते हैं. वहीं कार्तिक मास में 1 माह तक यहां कल्पवास का आयोजन होता है. वहीं हजारों की संख्या में लोग साल भर देव कर्म और पितृ कर्म सहित दाह संस्कार तक के लिए पहुंचते हैं

begusarai
नहीं देखने को मिल रहा घाट पर गंगा सफाई योजना का लाभ
घाट की प्रमुख समस्या
  • जगह-जगह कचरे का अंबार लगा है.
  • घाट पर शौचालय की समुचित व्यवस्था नहीं है.
  • घाट पर महिलाओं के कपड़े बदलने का कक्ष नहीं है.
  • पीने के पानी का अभाव है.
  • स्नान करने के लिए सीधा घाट नहीं है.
    सिमरिया घाट पर कचरे का अंबार

प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
वहीं स्थानीय पंडा रघुवीर झा बताते हैं कि पौराणिक इस घाट पर हजारों की संख्या में प्रतिदिन लोग आते हैं. लेकिन जिस अनुपात में यहां साफ-सफाई और सुविधाएं होनी चाहिए वह नहीं हैं. जिसके कारण आने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि प्रशासन लापरवाही कर रहा है.

Intro:नोट-मुझे थोड़ी खांसी है इसलिए मैं vo नही कर पाया हूँ ।


एंकर- लाखों लोगों की आस्था का केंद्र सिमरिया गंगा घाट आज प्रशासनिक उपेक्षा के कारण कचरे के ढेर में तब्दील हो गया है सिमरिया घाट की प्रसिद्धि का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां हजारों की संख्या में सालों भर लोग देव कर्म और पितृ कर्म सहित दाह संस्कार तक के लिए पहुंचते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार राजा जनक खुद यहां आकर गंगा स्नान और पूजन किए थे और तब से लेकर आज तक सिमरिया को मिथिला का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।


Body:vo- देश के पौराणिक मान्यताओं वाले गंगा घाट में शुमार सिमरिया गंगा घाट एक बार फिर प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गया है ।गौरतलब हो की सालों भर हजारों की संख्या में लोग प्रतिदिन अपने धार्मिक रीति रिवाज से जुड़े कर्मों के निष्पादन के लिए पहुंचते रहते हैं। एक तरफ जहां श्रावण मास में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां से जल भरकर देवघर, हरी गिरी धाम, मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ समेत तमाम प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों पर जल अर्पण करते हैं, वहीं कार्तिक मास में 1 माह तक यहां कल्पवास का आयोजन होता है ,जिसमें देश विदेश के लोग 1 माह तक मोह माया त्याग कर गंगा का सेवन और पूजन करते हैं ।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा जनक कई बार सिमरिया गंगा तट पहुंचे थे और गंगा स्नान के बाद उन्होंने यहां पूजा-अर्चना की थी ।यहां से लेकर मिथिलांचल के इलाकों की सांस्कृतिक विरासत काफी मेल खाती है। राजा जनक और मिथिलांचल से जुड़े इतिहास के कारण ही सिमरिया को मिथिलांचल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है ।इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद भी गंगा तट पर समस्याओं का अंबार लगा हुआ है।
जो प्रमुख समस्याएं गंगा घाट पर हावी हैं वह हैं ।
1-जगह-जगह कचरे का अंबार लगा होना
2- घाट पर शौचालय की समुचित व्यवस्था नहीं होना
3- घाट पर महिलाओं के वस्त्र बदलने का कक्ष नहीं होना
4- पीने के पानी का घोर अभाव ।
5-स्नान करने के लिए सीधी घाट नहीं होना।

यहां गंगा स्नान करने पहुंचे वैसे श्रद्धालुओं से ईटीवी भारत की टीम ने बात की जो यहां स्नान के बाद जल लेकर विभिन्न देव स्थलों के लिए प्रस्थान कर रहे थे उन लोगों ने गंगा तट पर गंदगी के अंबार और कुव्यवस्थाओं से काफी नाराजगी दिखाई ।उन लोगों का कहना था की सिमरिया गंगा तट की प्रसिद्धि जितनी है उस हिसाब से यहां सुविधाओं का टोटा है ।ना नहाने के लिए सीढ़ी घाट है ना महिलाओं के वस्त्र बदलने के लिए कक्ष बनाए गए हैं। ना शौचालय की व्यवस्था है ना पीने का पानी है ,जिससे काफी परेशानी होती है। वहीं कांवड़ियों ने मोदी सरकार द्वारा गंगा सफाई अभियान पर जोर देने की बात पर उम्मीद जताई कि आज न कल मोदी जी का ध्यान टूटेगा और इस घाट का कायाकल्प होगा, लेकिन जब तक यह होगा तब तक आम लोगों और भक्तों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
बाइट-रविन्द्र कुमार,कावरिया
बाइट-प्रभु यादव,कावरिया
बाइट-गौरव कुमार, कावरिया
vo- वहीं स्थानीय पंडा रघुवीर झा बताते हैं की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा जनक स्वेम कई बार यहां आए थे और गंगा स्नान के बाद देव पूजन किया था इस घाट पर हजारों की संख्या में प्रतिदिन लोग यहां आते हैं चाहे वह देव कर्म के लिए आए या पितृ कर्म के लिए लेकिन जिस अनुपात में यहां साफ-सफाई और सुविधाएं होनी चाहिए वह नहीं हो पाती जिस वजह से आने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी हो रही है ।साफ सफाई का काम टेंडर होता है लेकिन ना उस एजेंसी के लोग यहां आते हैं और ना ही प्रशासन के द्वारा व्यवस्था सुधारने के लिए कोई प्रयास किया जा रहा है।
बाइट रघुवीर झा स्थानीय पंडा


Conclusion:fvo-निश्चित रूप से सिमरिया गंगा तट की पौराणिक मान्यताओं और प्रसिद्धि की बात करें तो देश भर के लोगों के लिए ये आस्था का केंद्र माना जाता है,लेकिन जो जमीनी हकीकत है वो शर्मिंदा करने लायक है।केंद्र और राज्य सरकार स्वच्छ भारत श्रेष्ठ भारत,नमामि गंगे और गंगा सफाई अभियान का ढिंढोरा पीटने में लगी है लेकिन सिमरिया गंगा तट पर कचड़े का अंबार और कुब्यवस्था सरकारी तंत्र को चुनौती दे रही है,अब देखने वाली बात ये होगी की सरकार कब इसे गंभीरता से लेगी और कब सिमरिया गंगा तट का कायाकल्प होगा।
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