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ग्राम रक्षा दल ने स्थायीकरण और मानदेय की मांग को लेकर दिया धरना

ग्राम रक्षा दल के परिवार और बाल-बच्चों के सामने भुखमरी की स्थिति आ गई है. क्योंकि सरकार ने आज तक इन पर कोई ध्यान नहीं दिया. जबकि गांव के विकास से लेकर आपदा तक में ये अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

ग्राम रक्षा दल
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Published : Sep 13, 2019, 3:20 PM IST

बेगूसरायः गांव के विकास से लेकर आपदा तक में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ग्राम रक्षा दल सह पुलिस मित्र ने अपने स्थायीकरण और मानदेय की मांग को लेकर धरना दिया. साल 2011 से ही ग्राम रक्षा दल को सरकार की ओर से एक रुपया भी भुगतान नहीं दिया गया. यही वजह के ये लोग अब सरकार से नाराज होकर अपनी मांगों के समर्थन में धरना पर उतर आए हैं.

begusarai
विरोध करते ग्राम रक्षा दल के लोग

परिवार के सामने भुखमरी की नौबत
धरना में शामिल पुलिस मित्रों का कहना है कि सरकार के पास इनके लिए कोई प्रावधान है. ऐसे में इनके परिवार और बाल बच्चों के सामने भुखमरी की स्थिति आ गई है. कइयों की पत्नियों ने निकम्मा कहकर अपने पति को छोड़ दिया है. बता दें कि जिला में तकरीबन 1500 ग्राम रक्षा दल सह पुलिस मित्र काम कर रहे हैं.

begusarai
पुलिस मित्र

हर तरह से करते हैं सरकार की मदद
गांव में शांति व्यवस्था बनाए रखने, आपदा के समय में आम लोगों की मदद करना, बाल विवाह कानून की रक्षा करने समेत शराबबंदी कानून में सरकार की मदद करना जैसे कई मसले हैं, जिन पर ग्राम रक्षा दल व पुलिस मित्र काम करते हैं. बावजूद इसके इन्हें सरकार की तरफ से एक रुपया नहीं मिलता. धरना प्रदर्शन और मंत्रियों के दरवाजे पर चक्कर लगाते-लगाते अब यह थक चुके हैं.

विरोध करते ग्राम रक्षा दल के लोग

'अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला'
पुलिस मित्रों का कहना है कि सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया था कि इन्हें चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा. लेकिन आश्वासन के घुट के सिवा कुछ भी नहीं मिला. ऐसे में इन्होंने एक बार फिर से मानदेय और स्थायीकरण की मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत की.

बेगूसरायः गांव के विकास से लेकर आपदा तक में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ग्राम रक्षा दल सह पुलिस मित्र ने अपने स्थायीकरण और मानदेय की मांग को लेकर धरना दिया. साल 2011 से ही ग्राम रक्षा दल को सरकार की ओर से एक रुपया भी भुगतान नहीं दिया गया. यही वजह के ये लोग अब सरकार से नाराज होकर अपनी मांगों के समर्थन में धरना पर उतर आए हैं.

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विरोध करते ग्राम रक्षा दल के लोग

परिवार के सामने भुखमरी की नौबत
धरना में शामिल पुलिस मित्रों का कहना है कि सरकार के पास इनके लिए कोई प्रावधान है. ऐसे में इनके परिवार और बाल बच्चों के सामने भुखमरी की स्थिति आ गई है. कइयों की पत्नियों ने निकम्मा कहकर अपने पति को छोड़ दिया है. बता दें कि जिला में तकरीबन 1500 ग्राम रक्षा दल सह पुलिस मित्र काम कर रहे हैं.

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पुलिस मित्र

हर तरह से करते हैं सरकार की मदद
गांव में शांति व्यवस्था बनाए रखने, आपदा के समय में आम लोगों की मदद करना, बाल विवाह कानून की रक्षा करने समेत शराबबंदी कानून में सरकार की मदद करना जैसे कई मसले हैं, जिन पर ग्राम रक्षा दल व पुलिस मित्र काम करते हैं. बावजूद इसके इन्हें सरकार की तरफ से एक रुपया नहीं मिलता. धरना प्रदर्शन और मंत्रियों के दरवाजे पर चक्कर लगाते-लगाते अब यह थक चुके हैं.

विरोध करते ग्राम रक्षा दल के लोग

'अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला'
पुलिस मित्रों का कहना है कि सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया था कि इन्हें चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा. लेकिन आश्वासन के घुट के सिवा कुछ भी नहीं मिला. ऐसे में इन्होंने एक बार फिर से मानदेय और स्थायीकरण की मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत की.

Intro:गांव के विकास से लेकर आपदा तक में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ग्राम रक्षा दल सह पुलिस मित्र अपने स्थायीकरण और मानदेय की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं । पिछले 2011 से अपने दायित्व का निर्वहन करने वाले ग्राम रक्षा दल सह पुलिस मित्र को इसके बदले में सरकार की ओर से भुगतान के रूप में एक रुपया भी नही दिया गया है । न ही सरकार के पास ऐसा कोई प्रावधान है । ऐसे में इनके , इनके परिवार का और बाल बच्चों के।सामने भुखमरी की स्थिति है तो कइयों की पत्नियों ने निकम्मा कहकर पति को छोड़ दिया है । जिला में तकरिवान 1500 ग्राम रक्षा दल सह पुलिस मित्र काम कर रहे हैं।


Body:गांव में शांति व्यवस्था बनाए रखने, आपदा के समय में आम लोगों की मदद करना, बाल विवाह कानून की रक्षा करना सहित शराबबंदी कानून में सरकार की मदद करना जैसे कई मसले हैं जिन पर ग्राम रक्षा दल व पुलिस मित्र काम करते हैं । बावजूद इसके इन्हें सरकार की तरफ से एक रुपया
भी भुगतान के तौर पर नहीं मिलता है । लगातार धरना प्रदर्शन और मंत्रियों के दरवाजे पर चक्कर लगाते लगाते अब यह बिल्कुल थक चुके हैं । इनका कहना है कि सरकार ने उन्हें आश्वस्त किया था कि इन्हें चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा लेकिन सिर्फ सिर्फ आश्वासन के घुट के सिवा कुछ भी नहीं मिल पाया है। ऐसे में इन्होंने एक बार फिर से मानदेय और स्थायीकरण की मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत की है।
बाइट - जितेंद्र पासवान -
बाइट _ राजा कुमार -


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