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बेगूसराय: बाढ़ की चपेट में है जिले का 5 पंचायत, सरकार की ओर से नहीं की गई कोई व्यवस्था

लगातार बढ़ते पानी से परेशान लोग अब अपने आशियाने को छोड़कर ऊंची स्थान की तलाश में निकल पड़े हैं. लेकिन स्थानीय लोगों ने बताया कि कोई अधिकारी अब तक उन्हें देखने तक नहीं आया है.

बाढ़ की चपेट में है जिले का 5 पंचायत
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Published : Sep 27, 2019, 4:20 PM IST

बेगूसराय: जिले के बछवारा प्रखंड के चमथा दियारा का 5 पंचायत पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में है. माना जा रहा है कि तकरीबन 80 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है. 2016 के बाद बाढ़ ने एक बार फिर कई इलाकों में अपना कहर बरपाया है. जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. लोग किसी तरह जान जोखिम में डालकर अपने और अपने जानवरों को इस संकट से निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

flood in five panchayat of begusarai
जानवरों को लेकर उंचे स्थान पर जाते लोग

'कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया है'
लगातार बढ़ते पानी से परेशान लोग अब अपने आशियाने को छोड़कर ऊंची स्थान की तलाश में निकल पड़े हैं. लेकिन स्थानीय लोगों ने बताया कि राहत क्या होती है. यह उन्हें नहीं पता. लेकिन उन्हें तो कोई अधिकारी अब तक देखने तक नहीं आया है. बिगड़ते हालात के बीच अब लोग गांव से अपने जानवरों के साथ पलायन करने को मजबूर हैं. राहत के नाम पर सिर्फ हौसला देने वाली सरकार है. यह वही इलाका है, जहां बाढ़ को लेकर 2 महीने पहले ही सरकार के मुख्य सचिव ने एक हाई लेवल की मीटिंग बुलाई थी और इन इलाकों में बाढ़ से बचाने का खाका तैयार किया था, लेकिन हालात अभी भी वही है.

स्थानीय लोगों का बयान

खोखले साबित हो रहे हैं दावे
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मानें तो वह लगातार अधिकारियों को बाढ़ पीड़ितों के हालात की जानकारी देते रहे हैं. लेकिन अधिकारी उनकी नहीं सुनते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी हालात में हम क्या करें, समझ में नहीं आता है. बाढ़ पीड़ितों के लिए ना तो कोई राहत शिविर है, न ही दूसरी कोई व्यवस्था है. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि सरकार की मुकम्मल व्यवस्था का दावा कितना खोखला और कागजी साबित हो रहा है.

बेगूसराय: जिले के बछवारा प्रखंड के चमथा दियारा का 5 पंचायत पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में है. माना जा रहा है कि तकरीबन 80 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है. 2016 के बाद बाढ़ ने एक बार फिर कई इलाकों में अपना कहर बरपाया है. जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. लोग किसी तरह जान जोखिम में डालकर अपने और अपने जानवरों को इस संकट से निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

flood in five panchayat of begusarai
जानवरों को लेकर उंचे स्थान पर जाते लोग

'कोई अधिकारी देखने तक नहीं आया है'
लगातार बढ़ते पानी से परेशान लोग अब अपने आशियाने को छोड़कर ऊंची स्थान की तलाश में निकल पड़े हैं. लेकिन स्थानीय लोगों ने बताया कि राहत क्या होती है. यह उन्हें नहीं पता. लेकिन उन्हें तो कोई अधिकारी अब तक देखने तक नहीं आया है. बिगड़ते हालात के बीच अब लोग गांव से अपने जानवरों के साथ पलायन करने को मजबूर हैं. राहत के नाम पर सिर्फ हौसला देने वाली सरकार है. यह वही इलाका है, जहां बाढ़ को लेकर 2 महीने पहले ही सरकार के मुख्य सचिव ने एक हाई लेवल की मीटिंग बुलाई थी और इन इलाकों में बाढ़ से बचाने का खाका तैयार किया था, लेकिन हालात अभी भी वही है.

स्थानीय लोगों का बयान

खोखले साबित हो रहे हैं दावे
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मानें तो वह लगातार अधिकारियों को बाढ़ पीड़ितों के हालात की जानकारी देते रहे हैं. लेकिन अधिकारी उनकी नहीं सुनते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी हालात में हम क्या करें, समझ में नहीं आता है. बाढ़ पीड़ितों के लिए ना तो कोई राहत शिविर है, न ही दूसरी कोई व्यवस्था है. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि सरकार की मुकम्मल व्यवस्था का दावा कितना खोखला और कागजी साबित हो रहा है.

Intro:पीटूसी
बाढ़ एक विभिषिका है जो अपने साथ न जाने कितनी जिंदगी की खुशियां बहा कर ले जाती है । बाढ़ की इस त्रासदी से निपटने के लिए सरकार भले ही मुक्कमल व्यवस्था का दावा करती हो पर हालात ऐसी है कि लोग अपने गांव से पलायन करने को मजबूर हैं । भूख से सिसकती जिंदगी और चारे के आभाव में मरते जानवरो के लिए बाढ़ काल बनकर आया है । पलायन कर रहे लोगो को ये नही पता है वो किस मंजिल की ओर जा रहे है बस ठिकाना ठूंडने के लिए वो पानी का रास्ता चिर कर मंजिल तलाश रहे है । बेगुसराय में कुछ ऐसी ही हालात है बछवाड़ा प्रखंड के चमथा दियारा का जहा बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी पूरी तरह तंग और तवाह हो गई है । खास बात ये है कि जब इन इलाके के लोगो से मिलने जब हम वहां पहुंचे तो लोगो ने सरकार और सरकारी अधिकारियों की पोल पट्टी खोल दी । लोगो ने बताया की राहत तो छोड़िए कोई अधिकारी उनको देखने तक नही पहुंचा । बिगड़ते हालात के बीच अब वो गावँ से अपने जानवरो के साथ पलायन करने को मजबूर है । राहत के नाम पर सिर्फ हौसला देने वाली सरकार और उनके अधिकारियों से लोग काफी नाराज है ।

Body:बेगूसराय के बछवारा प्रखंड के चमथा दियारा की 5 पंचायत पूरी तरीके से बाढ़ की चपेट में है । माना जा रहा है कि तकरीबन 80 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुए है । 2016 के बाद भारत ने एक बार फिर इलाकों पर अपना कहर बरपाया है और लोगों की जिंदगी जिल्लत बन कर रह गई है । तस्वीर गवाह है कि किस तरह लोग जान जोखिम में डालकर अपने और अपने जानवरों को इस संकट से निकालने की कोशिश कर रहे हैं । अपनी जिंदगी की सलामती के लिए कई लोगों ने जुगाड़ टेक्नोलॉजी का सहारा लिया हो और अब यह सहारा भी नाकाम साबित हो रहा है । लगातार बढ़ते पानी से परेशान लोग अब डूब चुके अपने आशियाने को छोड़कर ऊंची आस्थान की तलाश में निकल पड़े हैं पर उन्हें पता नहीं कि वहां भी उन को सहारा देने वाला कोई है या नहीं । पर जिंदगी को बचाने के लिए लोगों ने पानी का रास्ता चीर कर नए आशियाने की ओर निकल पड़े है । लोगो ने बताया एक तो वो भूखे प्यासे है अब वो जानवरो के लिए चार की बैबस्था कैसे करे । इसलिए पलायन कर जैसे तैसे घर से निकल पड़े है ।
बाइट - मुकेश कुमार - बाढ़ पीड़ित
भियो - हर तरफ पानी ही पानी का ये नजारा ये बताने के लिए काफी है कि इन इलाकों में बाढ़ ने कितना कहर बरपाया है । मुश्किल हालात के बीच लोगो ने बताया कि राहत क्या होती है उन्हें नही पता उन्हें तो कोई देखने तृक नही आया । ये वो लोग है जो चमथा दियारा के सुदूर में रहते है । इन स्थानो पर सरकारी नुमाइंदे राहतों क्या इनकी हालत का जायजा लेने भी नहीं पहुंच पाए ।

बाइट - मडुसुदंन रॉय - बाढ़ पीड़ित
भियो - आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह वही इलाका है जिनकी जिंदगी को लेकर 2 महीने पहले ही सरकार के मुख्य सचिव ने एक हाई लेवल की मीटिंग बुलाई थी और इन इलाकों में बाढ़ से बचाने का खाका तैयार किया था । पर हालात आज भी जस की तस है अब यह समझा जा सकता है कि ऐसी हाई लेवल की मीटिंग सिर्फ आम लोगों को संतावना तो पहुंचा सकती है पर राहत कभी नहीं ।
बाइट - छिगन पासवान - बाढ़ पीड़ित
भियो - इन इलाकों के प्रमुख लोगों ने बताया कि क्षमता अंधियारे का 5 पंचायत पूरी तरीके से जल्द प्रभावित है और तकरीबन 80 हजार की आबादी इस बाढ़ की चपेट में इस बार आए हैं । स्थानीय जनप्रतिनिधियों की माने तो वह लगातार अधिकारियों को बाढ़ पीड़ितों की हालात की जानकारी देते रहे हैं पर अधिकारी उनकी नहीं सुनते हैं
। ऐसे हालात में वो क्या करे समझ मे नही आता है ।
बाइट - श्री राम रॉय - मुखिया, विष्णुपुर पंचयात
भियो - कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि वार्ड पीड़ितों की जिंदगी आज नर्क बन गई है और नरक के इस रास्ते में ना तो कोई राहत शिविर है न हीं दूसरी कोई समुचित व्यवस्था है। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि सरकार की मुकम्मल व्यवस्था का दावा कितना खोखला और कागजी साबित हो रहा है ।Conclusion:
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