बेगूसराय: जिले के बिहट गांव के शहीद राजेश सिंह के परिवार को इन दिनों काफी परेशानी और दुश्वारियों का सामना करना पर रहा है. दरअसल, शहीद राजेश सिंह छत्तीसगढ़ पुलिस यानी सीएएफ के 16वीं बटालियन दंतेवाड़ा में तैनात थे.
20 मई 2018 को दंतेवाड़ा के किरंदुल इलाके के चोलार गांव में नक्सलियों द्वारा बिछाई गई लैंड माइंस विस्फोट में वे शहीद हो गए थे. हालांकि उनके शहादत के बाद सरकार के नुमाइंदों ने बड़ी-बड़ी घोषणाएं जरूर किए. लेकिन बितते दिनों के साथ वादे धुंधले होते चले गए.
'दाने-दाने को मोहताज शहीद का परिवार'
इस मामले पर शहीद राजेश के पिता बताते हैं कि 21 मई को पूरे राजकीय सम्मान के साथ राजेश का पार्थिव शरीर बिहट पहुंचा था. मौके पर सांत्वना देने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. सांत्वना देने वालों में बिहार सरकार की ओर से जिले के प्रभारी मंत्री सह श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा भी शामिल थे. उस समय विजय कुमार सिन्हा ने सरकार की ओर से शहीद के परीजन को 5 लाख की सहायता राशि और शहीद की पत्नी को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी. लेकिन घोषणा के 2 साल बीतने के बाद ना तो सरकार ने कभी सुध ली और ना ही मंत्री विजय सिन्हा ने शहीद के परिजनों का हालचाल जानने की जहमत उठाई.
'अब तक नहीं शुरू हो सका पेंशन'
शहीद के पिता नवल किशोर सिंह ने कहा कि राजेश चार बहनों में अकेला भाई था. भाई में इकलौता होने के कारण कागजी कार्रवाई में भी कई परेशानी सामने आ रही है. यही वजह है कि शहादत के 2 साल बीतने के बाद भी अब तक पेंशन तक की राशि नहीं मिल पाई है. उन्होंने कहा कि पुत्र देश की सेवा में शहीद हो गया. बेटे को खोने के बाद राजेश की पत्नी और उनके तीन छोटे-छोटे बच्चों की जिम्मेदारी और जरूरतों को पूरा करने के लिए दिल्ली में मजदूरी करनी पर रही है.
उन्होंने कहा कि इस मामले में वे कई बार स्थानीय सांसद गिरिराज सिंह से मिले और उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया. लेकिन हर बार आश्वासनों को छोड़कर कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया. उन्होंने कहा कि अगर देश में शहीद के परिजनों के साथ ऐसा ही होता रहा तो, कोई भी पिता अपने बेटे को देश के हवाले करने से सौ बार सोचेगा.
'पति की शहादत पर गर्व'
वहीं, मामले पर शहीद की पत्नी स्वीटी कुमारी ने बताया कि उन्हे अपनी पति के शहादत पर काफी गर्व है. स्वीटी ने बताया कि उसके 3 बच्चे हैं. वे चाहती है कि उनके तीनों बच्चे पढ़-लिख कर आगे अपने पिता का सपना पूरा करे. स्वीटी बताती है उनके पति के शहादत के 2 साल बीतने को है. लेकिन आज तक पेंशन चालू नहीं हो पाई है. इसको लेकर वे कई बार जिला प्रशासन और स्थानीय सांसद से मुलाकात की. लेकिन अभी तक किसी तरह का सहयोग नहीं मिल पाया. आर्थिक अभाव में बच्चों की परवरिश में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.