बेगूसराय: कभी विदेशी साइबेरियन पक्षियों (Siberian Birds in Kawar Lake Begusarai) से गुलजार रहने वाला बेगूसराय का कावर झील अब धीरे-धीरे वीरान होता जा रहा है. सरकार भले ही कावर झील को एशिया के बड़े पक्षी अभयारण्य के रूप में स्थापित करने का दावा कर रही है लेकिन शिकार के चलते (Hunting in Kawar Lake Begusarai) पक्षियों का यहां आना तेजी से घट रहा है. इसका असर स्थानीय नाविकों की कमाई पर भी पड़ रहा है.
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बता दें कि इसे रामसर साईट में भी शामिल किया गया है लेकिन यहां देस-विदेश से आने वाले पक्षियों की सुरक्षा राम भरोसे है. मीठे पानी के इस झील में साइबेरिया और दूसरे देश से आने वाले पक्षियों की संख्या काफी कम हो चुकी है. पक्षियों की कमी के चलते यहां पर्यटकों भी आना कम हो गया है. इसलिए स्वाभाविक तौर पर स्थानीय नाविकों की आय घटी है.
लोगों का कहना है कि इसे रामसर साइट में शामिल किए जाने से कुछ आशा जगी थी कि अब यहां साइबेरिया समेत विभिन्न देशों से आने वाले प्रवासी पक्षियों के शिकार पर रोक लग जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. पक्षियों के शिकार में और तेजी ही आई है. यहां के पर्यटन पर निर्भर नाविकों का कहना है विदेशी पक्षियों का शिकार होने के कारण उनका आना काफी हो गया. सुबह 6 से 7 बजे के बाद कावर झील को पक्षियों के लिए सुरक्षित नहीं है.
गौरतलब है कि कभी एशिया में की शुद्ध जल की सबसे बड़ी झील और पक्षी अभयारण्य के रूप में मशहूर कावर झील पिछले साल रामसर साइट में शामिल किया गया थाय. इससे एक वर्ष पहले 2019 में केन्द्र सरकार ने जलीय इको सिस्टम संरक्षण केन्द्रीय प्लान के तहत देश के एक 100 झीलों में कावर झील को भी शामिल किया था. कावर झील बिहार का पहला रामसर साइट है. सरकार ने कावर झील को 1987 में पक्षी विहार का दर्जा बिहार दिया था.
बेगूसराय जिले का कावर झील एशिया में मीठे जल की झील के नाम से प्रसिद्ध है. ठंड के दिनों में यहां अफ्रिका और अन्य देशों के तकरीबन 100 प्रजाति के पक्षी इस झील के आसपास पहुंचते थे. ये पक्षी 4 महीने तक यहां प्रवास करते थे. विदेशी मेहमानों के आगमन से यह पूरा क्षेत्र गुंजायमान रहता था और लोगों के लिए आकर्षण का खास केंद्र भी रहा है लेकिन अब परिस्थिति बदल रही है. अब इन विदेशी मेहमानों का आना काफी कम हो गया है और इसका सबसे बड़ा कारण शिकार है.
52 शक्तिपीठों का है कावर झील का स्थान
कावर झील पर्यटन के साथ- साथ धार्मिक दृष्टिकोण से भी खास मायने रखता है. क्योंकि 52 शक्तिपीठों में से एक माता जयमंगला का मंदिर भी इसी के बगल में अवस्थित हैं. इन दोनों वजहों से जिले के आसपास ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों से लोग यहां जल विहार एवं माता का दर्शन करने पहुंचते हैं. स्थानीय लोग और यहां आने वाले पर्यटक सालों से इस स्थान को बड़े पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की मांग करते आए हैं.
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