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बेगूसराय का 'CTET पास ई-रिक्शा वाला'.. वरुण गांधी ने ट्वीट कर कसा तंज, जानिये क्या है पूरी कहानी - वरुण गांधी बिहार के ई रिक्शा ब्वॉय को किया ट्वीट

बेगूसराय का मोहम्मद जहांगीर दो बार सीटीईटी पास करने के बावजूद शिक्षक नहीं बन सका और आखिरकार उसने स्वरोजगार को अपनाया. भाजपा सांसद वरुण गांधी (BJP mp varun gandhi) ने बिहार के इस लड़के का वीडियो ट्विटर पर अपलोड किया है, जो नौकरी नहीं मिलने पर ई-रिक्शा चलाने पर मजबूर हो गया.

'सीटेट पास ई-रिक्शा वाला'
'सीटेट पास ई-रिक्शा वाला'
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Published : Jun 8, 2022, 1:37 PM IST

बेगूसरायः बिहार में पढ़े लिखे बेरोजगार युवा नौकरी नहीं मिलने पर अपनी योग्यता ताख पर रखकर कोई भी पेशा चुनने को मजबूर हैं. इसकी जीती जागती मिसाल है बेगूसराय का जहांगीर, जिसने सपना तो देखा था शिक्षक बनने का लेकिन आज वो ई-रिक्शा चलाकर अपनी जीवन की गाड़ी को खींच रहा है. अपने रिक्शे पर उसने 'सीटेट पास ई-रिक्शा वाला' (CTET Pass E-Rickshaw Wala) की प्लेट भी लगा रखी है. जहांगीर और इनका ये रिक्शा इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया. जिसे पीलीभीत (यूपी) से भाजपा सांसद वरुण गांधी (varun gandhi tweet on Bihar boy driving e rickshaw) ने भी अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर तंज कसा है, जो देशभर में वायरल हो रहा है.

ये भी पढ़ेंः खुशखबरीः छठे चरण के 42 हजार शिक्षकों को जल्द मिलेगा वेतन, शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने दिए आदेश

सीटीईटी पास करने के बाद भी नहीं बन सके टीचरः दरअसल बेगूसराय जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर भगवानपुर थाना क्षेत्र के चंदौर गांव निवासी 25 वर्षीय मोहम्मद जहांगीर की दो बार सीटीईटी पास करने के बावजूद शिक्षक नहीं बन पाए. जिस वजह से परिवार के भरण-पोषण के लिए व ई रिक्शा चलाने लगे. इतना ही नहीं मोहम्मद जहांगीर अपने ई रिक्शा में सीटीईटी पास रिक्शावाला का बोर्ड भी लगा लिया है, ताकि कोई भी यात्री जहांगीर को पढ़ा लिखा समझ कर उसके साथ दुर्व्यवहार नहीं करे. मोहम्मद जहांगीर ने दो माह पहले ही मुख्यमंत्री परिवहन योजना से ऋण लेकर ई रिक्शा खरीदा और 2 माह से लगातार वह भगवानपुर प्रखंड से लेकर तेघड़ा बाजार के बीच चलाने का काम कर रहे हैं.

'2019 में सीटेट करने के बाद जब हमसे एक बैच पहले तक के सीटेट पास को ही आवेदन की अनुमति मिली तो मन उदास हो गया. घर पर रहने की मजबूरी थी, माता-पिता दोनों बीमार रहते थे. ट्यूशन पढ़ाने से घर खर्च भी नहीं निकल पा रहा था. इसी बीच मुख्यमंत्री परिवहन योजना के बारे में जानकारी मिली. इसके बाद योजना में आवेदन कर दिया. चयनित होने पर 1.65 लाख का ई-रिक्शा 95 हजार रुपये में मिला. हमारी उम्र अभी 26 साल है. बेगूसराय में अब भी ढाई हजार पद रिक्त हैं. सरकार जल्द से जल्द बहाली निकालती है, तो सीटेट पास सभी युवाओं की मेहनत सफल हो जाएगी'- मोहम्मद जहांगीर, ई-रिक्शा चालक

  • कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता!

    पर दुःख होता है जब एक कुशल एवं शिक्षित व्यक्ति को योग्यता और क्षमता के अनुरूप रोजगार का अवसर नहीं मिलता।

    जब देश में 60 लाख से अधिक ‘स्वीकृत पद’ खाली पड़े हैं, तब CTET पास यह नौजवान रिक्शा चलाने को मजबूर है यह हमारी संसद की ‘संयुक्त असफलता’ है। pic.twitter.com/whsKyaYbVg

    — Varun Gandhi (@varungandhi80) June 6, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ई-रिक्शा से चलती है रोजी रोटीः मोहम्मद जहांगीर बताते हैं कि इंटर के बाद डीएलएड कर लिया और स्नातक के साथ सीटेट (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) की तैयारी की. 2019 में पहली बार सीटेट पास किया, मगर नौकरी नहीं मिली. 2021 में फिर सीटेट पास किया, फिर भी नौकरी नहीं मिली. तब साथियों के साथ पटना के गर्दनीबाग में सात से 26 मई तक धरना-प्रदर्शन कर बहाली की मांग उठाई. लेकिन पुलिस लाठीचार्ज के बाद घर लौट आए. इसके बाद ई-रिक्शा लिया और तब से इसी के जरिए रोजी रोटी चल रही है. जहांगीर ने बताया कि इसमें कोई खास फायदा नहीं है. कभी दो सौ, कभी तीन सौ और कभी-कभार पांच-छह सौ रुपये मिल जाते हैं.

बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा था जहांगीरः भगवानपुर प्रखंड के चंदौर निवासी मो. शमशुल के तीन पुत्रों में दूसरे नंबर के हैं मो. जहांगीर हैं. बड़े भाई नौकरी करते हैं और छोटा भाई गांव में ही कपड़े की दुकान चलाता है. पिता गद्दा-रजाई तैयार कर परिवार चलाते थे. जहांगीर को जानने वाले लोग बताते हैं कि वो बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा था. जिसकी वजह से उसने CTET का एग्जाम भी निकाला. लेकिन सिस्टम की लापरवाही ने उसे ई-रिक्शा चलाने पर मजबूर कर दिया.

क्या है अधिकारी का कहनाः जिला शिक्षा विभाग के डीपीओ स्थापना डा. तनवीर आलम ने बताया कि बेगूसराय में ढाई हजार पद रिक्त होने की पुष्टि नहीं की जा सकती है. अभी रिक्त पदों की सूचनाएं संग्रहित की जा रही हैं. पिछले नियोजन के समय एक हजार 62 पद रिक्त रह गए थे.

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बेगूसरायः बिहार में पढ़े लिखे बेरोजगार युवा नौकरी नहीं मिलने पर अपनी योग्यता ताख पर रखकर कोई भी पेशा चुनने को मजबूर हैं. इसकी जीती जागती मिसाल है बेगूसराय का जहांगीर, जिसने सपना तो देखा था शिक्षक बनने का लेकिन आज वो ई-रिक्शा चलाकर अपनी जीवन की गाड़ी को खींच रहा है. अपने रिक्शे पर उसने 'सीटेट पास ई-रिक्शा वाला' (CTET Pass E-Rickshaw Wala) की प्लेट भी लगा रखी है. जहांगीर और इनका ये रिक्शा इन दिनों इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया. जिसे पीलीभीत (यूपी) से भाजपा सांसद वरुण गांधी (varun gandhi tweet on Bihar boy driving e rickshaw) ने भी अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर तंज कसा है, जो देशभर में वायरल हो रहा है.

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सीटीईटी पास करने के बाद भी नहीं बन सके टीचरः दरअसल बेगूसराय जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर भगवानपुर थाना क्षेत्र के चंदौर गांव निवासी 25 वर्षीय मोहम्मद जहांगीर की दो बार सीटीईटी पास करने के बावजूद शिक्षक नहीं बन पाए. जिस वजह से परिवार के भरण-पोषण के लिए व ई रिक्शा चलाने लगे. इतना ही नहीं मोहम्मद जहांगीर अपने ई रिक्शा में सीटीईटी पास रिक्शावाला का बोर्ड भी लगा लिया है, ताकि कोई भी यात्री जहांगीर को पढ़ा लिखा समझ कर उसके साथ दुर्व्यवहार नहीं करे. मोहम्मद जहांगीर ने दो माह पहले ही मुख्यमंत्री परिवहन योजना से ऋण लेकर ई रिक्शा खरीदा और 2 माह से लगातार वह भगवानपुर प्रखंड से लेकर तेघड़ा बाजार के बीच चलाने का काम कर रहे हैं.

'2019 में सीटेट करने के बाद जब हमसे एक बैच पहले तक के सीटेट पास को ही आवेदन की अनुमति मिली तो मन उदास हो गया. घर पर रहने की मजबूरी थी, माता-पिता दोनों बीमार रहते थे. ट्यूशन पढ़ाने से घर खर्च भी नहीं निकल पा रहा था. इसी बीच मुख्यमंत्री परिवहन योजना के बारे में जानकारी मिली. इसके बाद योजना में आवेदन कर दिया. चयनित होने पर 1.65 लाख का ई-रिक्शा 95 हजार रुपये में मिला. हमारी उम्र अभी 26 साल है. बेगूसराय में अब भी ढाई हजार पद रिक्त हैं. सरकार जल्द से जल्द बहाली निकालती है, तो सीटेट पास सभी युवाओं की मेहनत सफल हो जाएगी'- मोहम्मद जहांगीर, ई-रिक्शा चालक

  • कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता!

    पर दुःख होता है जब एक कुशल एवं शिक्षित व्यक्ति को योग्यता और क्षमता के अनुरूप रोजगार का अवसर नहीं मिलता।

    जब देश में 60 लाख से अधिक ‘स्वीकृत पद’ खाली पड़े हैं, तब CTET पास यह नौजवान रिक्शा चलाने को मजबूर है यह हमारी संसद की ‘संयुक्त असफलता’ है। pic.twitter.com/whsKyaYbVg

    — Varun Gandhi (@varungandhi80) June 6, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ई-रिक्शा से चलती है रोजी रोटीः मोहम्मद जहांगीर बताते हैं कि इंटर के बाद डीएलएड कर लिया और स्नातक के साथ सीटेट (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) की तैयारी की. 2019 में पहली बार सीटेट पास किया, मगर नौकरी नहीं मिली. 2021 में फिर सीटेट पास किया, फिर भी नौकरी नहीं मिली. तब साथियों के साथ पटना के गर्दनीबाग में सात से 26 मई तक धरना-प्रदर्शन कर बहाली की मांग उठाई. लेकिन पुलिस लाठीचार्ज के बाद घर लौट आए. इसके बाद ई-रिक्शा लिया और तब से इसी के जरिए रोजी रोटी चल रही है. जहांगीर ने बताया कि इसमें कोई खास फायदा नहीं है. कभी दो सौ, कभी तीन सौ और कभी-कभार पांच-छह सौ रुपये मिल जाते हैं.

बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा था जहांगीरः भगवानपुर प्रखंड के चंदौर निवासी मो. शमशुल के तीन पुत्रों में दूसरे नंबर के हैं मो. जहांगीर हैं. बड़े भाई नौकरी करते हैं और छोटा भाई गांव में ही कपड़े की दुकान चलाता है. पिता गद्दा-रजाई तैयार कर परिवार चलाते थे. जहांगीर को जानने वाले लोग बताते हैं कि वो बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा था. जिसकी वजह से उसने CTET का एग्जाम भी निकाला. लेकिन सिस्टम की लापरवाही ने उसे ई-रिक्शा चलाने पर मजबूर कर दिया.

क्या है अधिकारी का कहनाः जिला शिक्षा विभाग के डीपीओ स्थापना डा. तनवीर आलम ने बताया कि बेगूसराय में ढाई हजार पद रिक्त होने की पुष्टि नहीं की जा सकती है. अभी रिक्त पदों की सूचनाएं संग्रहित की जा रही हैं. पिछले नियोजन के समय एक हजार 62 पद रिक्त रह गए थे.

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