बेगूसराय: जिले में पहुंचे राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने एनआरसी के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि भारत के इस पावन भूमि को हम विदेशी घुसपैठियों के लिए भोग भूमि बनाकर उपयोग करने नहीं देंगे. बिहार के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज और अररिया जैसे सीमावर्ती जिले में बाहरी घुसपैठियों की तादाद बढ़ी है. इसलिए सूबे के इन जिलों में प्राथमिकता के आधार पर एनआरसी को लागू करने की जरूरत है.
'एनआरसी के मुद्दे पर बीजेपी की नीतियां स्पष्ट'
राज्यसभा सांसद ने एनआरसी पर बात करते हुए कहा कि विदेशी घुसपैठियों को भारत से बाहर करने की घोषणा देश के गृह मंत्री ने कर दिया है. इस मुद्दे पर बीजेपी की नीतियां स्पष्ट हैं. इसको लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि एनआरसी किसी खास राज्य के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए है. देश के किसी भी हिस्से में घुसपैठिए होंगे, तो सरकार उन्हें बाहर करेगी.
'विदेशी घुसपैठिया दे रहे संस्कृति को चुनौती'
देश के संसाधनों पर देश के लोगों का अधिकार है. हम भारत आने वाले अतिथियों का स्वागत करते हैं. लेकिन, बगैर वीजा पासपोर्ट के देश में अवैध तरीके से रहने वालें को देश छोड़कर जाना ही होगा. उन्होंने कहा कि विदेशी घुसपैठिया न केवल देश के संसाधनों को चट कर रहे हैं बल्कि ये लोग मूल निवासियों के साथ-साथ भारतीय सभ्यता-संस्कृति को भी खुलेआम चुनौती दे रहे हैं.
'घुसपैठियों के कारण देश हाशिए पर'
उन्होंने कहा कि भारत में काफी संख्या में लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं. देश के संसाधन सीमित हैं. ऐसे में देश के संसाधनों पर पूर्णत: देशवासियों का हक है. अवैध ढ़ंग से रह रहे लोग देश के विकास में बाधक हैं. घुसपैठियों के कारण देश हाशिए पर है. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव श्रमिकों पर होता है. घुसपैठी सस्ते दामों पर मजदूरी करते हैं. जिससे स्थानीय मजदूरों को सफर करना पड़ता है. इसलिए ऐसे लोगों को देश से बाहर किया जाना चाहिए और सूबे के इन सीमावर्ती जिलों में प्राथमिकता और तत्परता के साथ एनआरसी लागू किया जाना चाहिए.
'आपदा के दौरान बिना आरोप-प्रत्यारोप के करें काम'
बाढ़ के मुद्दे पर बात करते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार तत्परता से अपना काम कर रही है. प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को भी अपनी जिम्मेदारी बढ़-चढ़ कर निभानी चाहिए. उन्होंने कहा कि संकट के इस काल में सभी को विचारधाराओं से ऊपर उठकर मानव की भलाई के लिए काम करना चाहिए. उन्होंने एनजीओ और जन संगठन को आपदा की इस घड़ी में बिना राजनीतिक भेदभाव और बिना किसी आरोप-प्रत्यारोप के काम करने की अपील की.
क्या है एनआरसी?
एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस, इसके मुताबिक जिस व्यक्ति का सिटिजनशिप रजिस्टर में नाम नहीं होता है, उसे अवैध नागरिक माना जाता है. यह 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था. फिलहाल, देश में असम इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है. असम में सिटिजनशिप रजिस्टर देश में लागू नागरिकता कानून से अलग है. यहां असम समझौता 1985 से लागू है और इस समझौते के मुताबिक, 24 मार्च 1971 की आधी रात तक राज्य में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा.