बेगुसराय: देश में लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विरोध में गुरुवार को एआईएसएफ कार्यकर्ताओं ने धरना-प्रदर्शन किया. जिले के पटेल चौक स्थित पार्टी ऑफिस में संगठन के सदस्यों ने धरना-प्रदर्शन कर इसका विरोध करते हुए इसे गरीबों को शिक्षा से बंचित करने की नीति बताया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्राइमरी से लेकर विश्वविद्यालय तक शिक्षा के व्यवसायीकरण निजीकरण एवं शिक्षा के मौलिक अधिकारों को कमजोर करने की नीति है.
राज्य की संवैधानिक स्वायत्तता का हो रहा अपहरण
इस दौरान संगठन के कार्यकर्ताओं ने शिक्षा के जनतांत्रिक चरित्र को समाप्त कर सत्ता केंद्रित अधिकारों का केंद्रीकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अभी तक भारत के संविधान में शिक्षा समवर्ती सूची में रहने के कारण राज्य का विषय था, लेकिन केंद्र सरकार राज्य की संवैधानिक स्वायत्तता का अपहरण कर रही है.
लागू किया जाए समान शिक्षा प्रणाली
कोठारी आयोग द्वारा अनुशंसित शिक्षा पर राष्ट्रीय आय का 6% अभी तक केंद्र की सरकार व्यय करने का राजनीतिक इच्छा शक्ति नहीं दिखा रही है. आंगनबाड़ी केंद्रों को समाज कल्याण विभाग से हटाकर शिक्षा मंत्रालय के अधीन इसलिए लाया गया है कि आंगनबाड़ी के लिए आवंटित बजट को जोड़कर 6% व्यय करने का धूर्ततापूर्ण लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जब तक समान शिक्षा प्रणाली लागू नहीं की जाएगी तब तक न तो सभी को शिक्षा मिल पाएगा और न कभी हमारा देश ज्ञान की शक्ति ही बन पाएगा.
शिक्षा पर बजट का दसवां हिस्सा हो खर्च
राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अमीन हमजा का आरोप था कि शिक्षा नीति 2020 पर पिछले दिनों कैबिनेट ने मुहर लगाया गया है, जिसमे शिक्षा नीति में विश्व विद्यालय की छात्राओं की शिक्षा खत्म करने की बात कही गई. इसी के विरोध में आज ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन ने विभिन्न मांगों को लेकर नई शिक्षा नीति का विरोध किया. इस दौरान एआईएसएफ का कहना है कि नई शिक्षा नीति गरीबों को शिक्षा से वंचित करने की नीति है. हमारा संगठन मांग करता है कि शिक्षा पर बजट का दसवां हिस्सा खर्च हो, और देश के अंदर समान शिक्षा प्रणाली लागू हो.