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बांकाः नौकरी छोड़ स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं युवा, कम समय में होता है ज्यादा मुनाफा - 15 से 20 दिन में तैयार हो जाएगा फल

चंदन कुमार ने बताया कि खेतों में लगे स्ट्रॉबेरी फल और फूल आने लगे हैं. पौधे को लगाए मात्र एक महीना हुआ है. 15 से 20 दिन में फल तैयार हो जाएगा. किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करके अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. भागलपुर स्थित बाजार में प्रति किलो 300 से लेकर 400 रुपए दर मिल जाता है.

स्ट्रॉबेरी की खेती
स्ट्रॉबेरी की खेती
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Published : Jan 16, 2020, 10:11 PM IST

बांकाः जिले के रजौन प्रखंड के महेशचंदा गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती कर युवा नजीर पेश कर रहे हैं. यहां प्राइवेट नौकरी छोड़कर घर वापस लौटे एक युवा ने बांका में स्ट्रॉबेरी की खेती कर एक मिसाल कायम किया है. गांव के युवा चंदन कुमार कुछ दिनों पहले राजस्थान से नौकरी कर वापस घर लौटे और यहीं रह गए. उन्होंने छोटे पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर इसकी शुरुआत की है.

पौधों में हो रहा है अच्छा विकास
चंदन ने बताया कि वह काम की तलाश में राजस्थान गए थे. जब वह राजस्थान से लौटे तो गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर एक मीटिंग चल रही थी. इस दौरान सोनू जी से मुलाकात हुई. वो स्ट्रॉबेरी की खेती पर प्रजेंटेशन दे रहे थे. उनकी बातों से प्रभावित होकर इसकी खेती करने का ख्याल आया. चंदन ने सात रुपये प्रति स्ट्रॉबेरी के पौधे खरीदकर तीन हजार पौधे लगाए हैं. उन्होंने कहा कि पौधों में अच्छा विकास देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही सीखने को भी मिल रहा है.

Banka
स्ट्रॉबेरी की खेती

कम सयम में तैयार होता है फल
चंदन कुमार ने बताया कि खेतों में लगे स्ट्रॉबेरी फल और फूल आने लगे हैं. पौधे को लगाए मात्र एक महीना हुआ है. 15 से 20 दिन में फल तैयार हो जाएगा. किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करके अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. उन्होंने कहा कि आगे वह स्ट्रॉबेरी की विस्तारपूर्वक खेती करने की भी सोच रहे हैं. वहीं, एक और किसान ने बताया कि यह नई तरह की खेती है. इस बार इसके पैदावार को देखने के बाद इसमें क्या मुनाफा है. इसको परखने के बाद अगले सीजन से स्ट्रॉबेरी लगाने का प्रयास करेंगे.

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स्ट्रॉबेरी के पौधे में खिला फूल

2017 में शुरू हुई स्ट्रॉबेरी की खेती
कृषि एक्सपर्ट अभिषेक कुमार चौधरी ने बताया कि 2017 में पूर्णिया और सिलीगुड़ी में व्यापक पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती को दिखकर ख्याल आया कि बांका में भी किसानों को संगठित कर इसकी खेती की जा सकती है. इसमें किसानों को ज्यादा फायदा होगा. उन्होंने बताया कि 2017 में बांका में इसकी शुरुआत हुई थी. 2019 आते-आते 100 से अधिक किसान जुड़कर 10 से 12 हेक्टेयर में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे है.

देखें पूरी रिपोर्ट

किसानों के लिए बाजार थी बड़ी समस्या
अभिषेक कुमार चौधरी ने बताया कि स्ट्रॉबेरी के उत्पादन के बाद किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या बाजार की थी. किसानों की समस्या को दूर किया गया है. साथ ही किसानों को मौसम अनुकूल खेती की जानकारी भी दी जा रही है. समय-समय पर किसानों के साथ संगोष्ठी भी की जाती है. जिससे किसानों को उन्नत तकनीक के बारे में जानकारी दी जा सके. वहीं, कृषि विभाग से भी किसानों को कई तरह की सुविधा प्रदान कराने की कोशिश रहती है. इससे किसान कम खर्च में अधिक उपज और मुनाफा कमा सकेंगे.

बांकाः जिले के रजौन प्रखंड के महेशचंदा गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती कर युवा नजीर पेश कर रहे हैं. यहां प्राइवेट नौकरी छोड़कर घर वापस लौटे एक युवा ने बांका में स्ट्रॉबेरी की खेती कर एक मिसाल कायम किया है. गांव के युवा चंदन कुमार कुछ दिनों पहले राजस्थान से नौकरी कर वापस घर लौटे और यहीं रह गए. उन्होंने छोटे पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर इसकी शुरुआत की है.

पौधों में हो रहा है अच्छा विकास
चंदन ने बताया कि वह काम की तलाश में राजस्थान गए थे. जब वह राजस्थान से लौटे तो गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर एक मीटिंग चल रही थी. इस दौरान सोनू जी से मुलाकात हुई. वो स्ट्रॉबेरी की खेती पर प्रजेंटेशन दे रहे थे. उनकी बातों से प्रभावित होकर इसकी खेती करने का ख्याल आया. चंदन ने सात रुपये प्रति स्ट्रॉबेरी के पौधे खरीदकर तीन हजार पौधे लगाए हैं. उन्होंने कहा कि पौधों में अच्छा विकास देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही सीखने को भी मिल रहा है.

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स्ट्रॉबेरी की खेती

कम सयम में तैयार होता है फल
चंदन कुमार ने बताया कि खेतों में लगे स्ट्रॉबेरी फल और फूल आने लगे हैं. पौधे को लगाए मात्र एक महीना हुआ है. 15 से 20 दिन में फल तैयार हो जाएगा. किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करके अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. उन्होंने कहा कि आगे वह स्ट्रॉबेरी की विस्तारपूर्वक खेती करने की भी सोच रहे हैं. वहीं, एक और किसान ने बताया कि यह नई तरह की खेती है. इस बार इसके पैदावार को देखने के बाद इसमें क्या मुनाफा है. इसको परखने के बाद अगले सीजन से स्ट्रॉबेरी लगाने का प्रयास करेंगे.

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स्ट्रॉबेरी के पौधे में खिला फूल

2017 में शुरू हुई स्ट्रॉबेरी की खेती
कृषि एक्सपर्ट अभिषेक कुमार चौधरी ने बताया कि 2017 में पूर्णिया और सिलीगुड़ी में व्यापक पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती को दिखकर ख्याल आया कि बांका में भी किसानों को संगठित कर इसकी खेती की जा सकती है. इसमें किसानों को ज्यादा फायदा होगा. उन्होंने बताया कि 2017 में बांका में इसकी शुरुआत हुई थी. 2019 आते-आते 100 से अधिक किसान जुड़कर 10 से 12 हेक्टेयर में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे है.

देखें पूरी रिपोर्ट

किसानों के लिए बाजार थी बड़ी समस्या
अभिषेक कुमार चौधरी ने बताया कि स्ट्रॉबेरी के उत्पादन के बाद किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या बाजार की थी. किसानों की समस्या को दूर किया गया है. साथ ही किसानों को मौसम अनुकूल खेती की जानकारी भी दी जा रही है. समय-समय पर किसानों के साथ संगोष्ठी भी की जाती है. जिससे किसानों को उन्नत तकनीक के बारे में जानकारी दी जा सके. वहीं, कृषि विभाग से भी किसानों को कई तरह की सुविधा प्रदान कराने की कोशिश रहती है. इससे किसान कम खर्च में अधिक उपज और मुनाफा कमा सकेंगे.

Intro:कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक एक पौधे से एक किलो स्ट्रॉबेरी तैयार होता है। बाजार में इसकी कीमत 300 से लेकर 600 रूपए तक होती है। किसान को प्रति किलो 200 रुपए की बचत होती है।



Body:- आधुनिक तकनीक से खेती करने के लिए जुड़े हुए हैं युवा

- प्राइवेट नौकरी छोड़ युवा नई तकनीक के साथ खेती करने में जुड़े

- रजौन प्रखंड के महेशचंदा गांव के युवा ने स्ट्रॉबेरी की खेती कर पेश की है नजीर

- युवा चंदन कुमार ने 4 कट्ठे में लगाए हैं तीन हजार स्ट्रॉबेरी के पौधे

- एक पौधे में एक किलो तक स्ट्रॉबेरी का होता है उत्पादन

- कृषि विभाग के सहयोग से किसानों को सस्ते दर पर मुहैया कराया जा रहा है स्ट्रॉबेरी के पौधे

- बाजार में 300 से लेकर 600 रुपए प्रति किलो स्ट्रॉबेरी की कीमत

- किसानों को स्ट्रॉबेरी के लिए बाजार तलाशने की समस्या से दिलाया गया है निजात

- किसानों को मौसम अनुकूल खेती करने की दी जा रही है जानकारी

- कृषि विभाग से मिलने वाली सुविधा भी प्रदान करने की की जाती है कोशिश

बांका। जिले के रजौन प्रखंड के महेशचंदा गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती कर युवा नजीर पेश कर रहे हैं। प्राइवेट नौकरी छोड़कर घर वापस लौटे इस युवा ने बांका में स्ट्रॉबेरी की खेती कर एक मिसाल कायम किया है। महेशचंदा गांव के युवा चंदन कुमार कुछ दिन पहले राजस्थान से नौकरी कर जो वापस लौटे यहीं रह गए। चंदन कुमार ने छोटे पैमाने पर चार कट्ठा खेत में तीन हजार स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाकर इसकी शुरुआत की है। 2017 से बांका में स्ट्रॉबेरी की खेती करने की शुरुआत हुई थी। वर्तमान में जिले के 100 से अधिक किसान 10 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। इसमें अधिकांश युवा वर्ग शामिल है।

छोटे पैमाने पर की है शुरुआत
चंदन कुमार ने छोटे पैमाने पर अपने गांव महेशचंदा में स्ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत की है। क्षेत्र में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। चंदन ने बताया कि काम के तलाश में राजस्थान गए थे। वहां से लौटने पर स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर बांका में एक मीटिंग चल रही थी। जिसमें सोनू जी से मुलाकात हुई। सोनू जी स्ट्रॉबेरी की खेती पर प्रजेंटेशन दे रहे थे। इनकी बातों ने मुझे प्रभावित किया और मन में ख्याल आया की स्ट्रॉबेरी की खेती की जाए। यह भी देखना चाहते थे कि स्ट्रॉबेरी की खेती में कितना लाभ होता है। सोनू जी के मार्गदर्शन में छोटे पैमाने पर चार कट्ठे में सात रुपए प्रति स्ट्रॉबेरी के पौधे खरीदकर तीन हजार पौधे लगाए है। पौधे में अच्छी विकास दिख रहा है। साथ ही सीखने को भी मिल रहा है।

15 से 20 दिन में तैयार हो जाएगा फल
चंदन कुमार ने बताया कि खेतों में लगे स्ट्रॉबेरी फल और फूल आने लगे हैं। पौधे को लगाए मात्र एक महीना हुआ है। 15 से 20 दिन में फल तैयार हो जाएगा। किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करके अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं। भागलपुर स्थित बाजार में प्रति किलो 300 से लेकर 400 रुपए दर मिल जाता है। स्ट्रॉबेरी की विस्तारपूर्वक खेती करने का भी आगे की सोच है। ग्रामीण रविंद्र कुमार मंडल ने बताया कि नई तरह की खेती है। इस बार इसके पैदावार को देखेंगे और इसमें क्या मुनाफा है इसको परखने के बाद अगले सीजन से स्ट्रॉबेरी लगाने का प्रयास करेंगे। स्ट्रॉबेरी की जो खेती युवा के द्वारा की गई है उसमें लाभ दिख रहा है।

2017 में शुरू हुई बांका में स्ट्रॉबेरी की खेती
कृषि एक्सपर्ट अभिषेक कुमार चौधरी ने बताया कि 2017 में पूर्णिया और सिलीगुड़ी में व्यापक पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती को दिखकर ख्याल आया कि बांका में भी किसानों को संगठित कर इसकी खेती की जा सकती है। इसमें किसानों को ज्यादा फायदा होगा। 2017 में बांका में स्ट्रॉबेरी खेती की शुरुआत हुई। 2019 आते-आते 100 से अधिक किसान जुड़कर 10 से 12 हेक्टेयर में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे है। प्रति पौधे एक किलो स्ट्रॉबेरी का उत्पादन होता है। बाजार में 3 सौ से लेकर 600 रुपए किलो तक स्ट्रॉबेरी की कीमत रहती है।





Conclusion:किसानों के लिए बाजार थी बड़ी समस्या
स्ट्रॉबेरी के उत्पादन के बाद किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या बाजार की थी। किसानों की समस्या को दूर किया गया है। साथ ही किसानों को मौसम अनुकूल खेती की जानकारी भी दी जा रही है। समय-समय पर किसानों के साथ संगोष्ठी भी की जाती है। ताकि किसानों को उन्नत तकनीक के बारे में जानकारी दी जा सके। वही कृषि विभाग से भी किसानों को कई तरह की सुविधा प्रदान कराने की कोशिश रहती है। ताकि किसान कम खर्च में अधिक उपज और मुनाफा कमा सके।

बाईट- चंदन कुमार, युवा किसान, महेशचंदा
बाईट- रविन्द्र कुमार मंडल, किसान, महेशचंदा
बाईट- अभिषेक कुमार चौधरी, कृषि एक्सपर्ट, बांका


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