बांकाः जिले के रजौन प्रखंड के महेशचंदा गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती कर युवा नजीर पेश कर रहे हैं. यहां प्राइवेट नौकरी छोड़कर घर वापस लौटे एक युवा ने बांका में स्ट्रॉबेरी की खेती कर एक मिसाल कायम किया है. गांव के युवा चंदन कुमार कुछ दिनों पहले राजस्थान से नौकरी कर वापस घर लौटे और यहीं रह गए. उन्होंने छोटे पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती कर इसकी शुरुआत की है.
पौधों में हो रहा है अच्छा विकास
चंदन ने बताया कि वह काम की तलाश में राजस्थान गए थे. जब वह राजस्थान से लौटे तो गांव में स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर एक मीटिंग चल रही थी. इस दौरान सोनू जी से मुलाकात हुई. वो स्ट्रॉबेरी की खेती पर प्रजेंटेशन दे रहे थे. उनकी बातों से प्रभावित होकर इसकी खेती करने का ख्याल आया. चंदन ने सात रुपये प्रति स्ट्रॉबेरी के पौधे खरीदकर तीन हजार पौधे लगाए हैं. उन्होंने कहा कि पौधों में अच्छा विकास देखने को मिल रहा है. इसके साथ ही सीखने को भी मिल रहा है.
कम सयम में तैयार होता है फल
चंदन कुमार ने बताया कि खेतों में लगे स्ट्रॉबेरी फल और फूल आने लगे हैं. पौधे को लगाए मात्र एक महीना हुआ है. 15 से 20 दिन में फल तैयार हो जाएगा. किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करके अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. उन्होंने कहा कि आगे वह स्ट्रॉबेरी की विस्तारपूर्वक खेती करने की भी सोच रहे हैं. वहीं, एक और किसान ने बताया कि यह नई तरह की खेती है. इस बार इसके पैदावार को देखने के बाद इसमें क्या मुनाफा है. इसको परखने के बाद अगले सीजन से स्ट्रॉबेरी लगाने का प्रयास करेंगे.
2017 में शुरू हुई स्ट्रॉबेरी की खेती
कृषि एक्सपर्ट अभिषेक कुमार चौधरी ने बताया कि 2017 में पूर्णिया और सिलीगुड़ी में व्यापक पैमाने पर स्ट्रॉबेरी की खेती को दिखकर ख्याल आया कि बांका में भी किसानों को संगठित कर इसकी खेती की जा सकती है. इसमें किसानों को ज्यादा फायदा होगा. उन्होंने बताया कि 2017 में बांका में इसकी शुरुआत हुई थी. 2019 आते-आते 100 से अधिक किसान जुड़कर 10 से 12 हेक्टेयर में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे है.
किसानों के लिए बाजार थी बड़ी समस्या
अभिषेक कुमार चौधरी ने बताया कि स्ट्रॉबेरी के उत्पादन के बाद किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या बाजार की थी. किसानों की समस्या को दूर किया गया है. साथ ही किसानों को मौसम अनुकूल खेती की जानकारी भी दी जा रही है. समय-समय पर किसानों के साथ संगोष्ठी भी की जाती है. जिससे किसानों को उन्नत तकनीक के बारे में जानकारी दी जा सके. वहीं, कृषि विभाग से भी किसानों को कई तरह की सुविधा प्रदान कराने की कोशिश रहती है. इससे किसान कम खर्च में अधिक उपज और मुनाफा कमा सकेंगे.