बांका: जिले के रीगा गांव में आशा कार्यकर्ता की लापरवाही की वजह से एक महिला ने क्षतिग्रस्त चांदन पुल पर एक बच्ची को जन्म दिया. आशा कार्यकर्ता और एम्बुलेंस को फोन करने पर भी वे लोग समय से नहीं पहुंचे.
क्षतिग्रस्त पुल के बीच में ही बच्ची को दिया जन्म
रीगा गांव की खुशबू देवी को घर पर ही प्रसव वेदना शुरू हो गई थी. आशा कार्यकर्ता ने बताया कि चांदन नदी के उस पार एम्बुलेंस खड़ी है. खुशबू कुमारी अपने पति जनार्दन दास और गांव की एक महिला के साथ ऑटो पर सवार होकर शंकरपुर के समीप चांदन नदी के एक छोर पर पहुंची. आशा कार्यकर्ता ने फोन पर बताया कि चांदन नदी दूसरी छोर पर एंबुलेंस खड़ी है. महिला अपने पति के साथ क्षतिग्रस्त पुल पार करने लगी. पुल का आधा फासला ही तय किया था कि बीच पुल पर ही महिला को तेज प्रसव पीड़ा होने लगा. दर्द से तड़प रही महिला बीच पुल पर ही लेट गई और एक बच्ची को जन्म दिया. पुल से होकर गुजर रहे लोगों ने मदद की.
इस दौरान पति जनार्दन दास लगातार आशा कार्यकर्ता को फोन लगाता रहा, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया. प्रसूति एक घंटे तक चांदन पर ही लेटी रही, लेकिन सदर अस्पताल से कोई मदद के लिए नहीं पहुंचा और न ही एम्बुलेंस पहुंच सका. एक घंटे के बाद जब प्रसुति को होश आया तो पति अपने गोद में पत्नी को और साथ चल रही महिला ने बच्ची को संभालकर अपने गांव वापस चली गई.
आशा की लापरवाही के चलते जच्चा-बच्चा दोनों को खतरा
इस मामले को लेकर सदर अस्पताल प्रबंधक अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि रीगा गांव की कोई महिला सदर अस्पताल नहीं आई है. इस मामले की जानकारी होने पर आशा कार्यकर्ता से बात करने की कोशिश की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते जच्चा-बच्चा दोनों की जान खतरे में रही.