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बांका: 600 परिवारों की प्यास बुझाता है ये जर्जर कुआं, नहीं है यहां एक भी हैंडपंप

जिले के 600 की आबादी वाला गांव एक मात्र जर्जर कुएं के सहारे है. पानी की इस समस्या को लेकर बराबर शिकायत करने के बावजूद पानी का कोई दूसरा विकल्प अब तक ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है.

बांका
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Published : Jun 4, 2020, 11:31 PM IST

बांका: जिले के चांदन प्रखंड के गौरीपुर पंचायत स्थित कोरिया गांव की सीमा पर बसे सिमरिया गांव की स्थिति आज भी बद से बदतर है. यहां की कुल आबादी 600 के पार है. इस गांव में एकमात्र जर्जर कुआं है, जिसके सहारे साल भर ग्रामीण पीने की पानी का व्यवस्था करते हैं. वहीं, गांव के बाहर एक तालाब है. जहां, ग्रामीण खुद स्नान करने के साथ ही अपने पशुओं को भी स्नान कराते हैं.

बांका
जर्जर कुआं

आंगनबाड़ी केंद्र और सरकारी स्कूल 3 किलोमीटर दूर
पूरे गांव में एक भी हैंडपंप नहीं है. जिससे लोगों को शुद्ध पानी नसीब नहीं हो सके. आलम ये है कि गांव में स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, समुदायिक भवन और न ही कोई किसान भवन है, जहां से पानी का इंतजाम हो सके. यहां के ग्रामीण आजादी के इतने दिनों बाद भी सरकारी योजनाओं से पूरी तरह वंचित हैं. बता दें कि गांव का आंगनबाड़ी केंद्र और सरकारी स्कूल 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. जिसमें गांव का एक भी बच्चा पढ़ाई करने नहीं जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'पंचायत प्रतिनिधि समस्या से हैं अवगत'
गांव में घर पर ही रह कर किसी प्रकार बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं. इस गांव के बाहर पांडेयडीह कोरिया पक्की सड़क है, जो कांवरिया पथ तक जाती है. मामले में ग्रामीण सत्यदेव ठाकुर ने बताया कि सांसद से लेकर विधायक और सभी पंचायत प्रतिनिधि हमारे गांव में पानी और अन्य समस्या से अवगत है. लेकिन सिर्फ चुनाव के समय आश्वासन के बाद फिर कभी हमलोगों को देखने तक नहीं आते हैं.

बांका: जिले के चांदन प्रखंड के गौरीपुर पंचायत स्थित कोरिया गांव की सीमा पर बसे सिमरिया गांव की स्थिति आज भी बद से बदतर है. यहां की कुल आबादी 600 के पार है. इस गांव में एकमात्र जर्जर कुआं है, जिसके सहारे साल भर ग्रामीण पीने की पानी का व्यवस्था करते हैं. वहीं, गांव के बाहर एक तालाब है. जहां, ग्रामीण खुद स्नान करने के साथ ही अपने पशुओं को भी स्नान कराते हैं.

बांका
जर्जर कुआं

आंगनबाड़ी केंद्र और सरकारी स्कूल 3 किलोमीटर दूर
पूरे गांव में एक भी हैंडपंप नहीं है. जिससे लोगों को शुद्ध पानी नसीब नहीं हो सके. आलम ये है कि गांव में स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, समुदायिक भवन और न ही कोई किसान भवन है, जहां से पानी का इंतजाम हो सके. यहां के ग्रामीण आजादी के इतने दिनों बाद भी सरकारी योजनाओं से पूरी तरह वंचित हैं. बता दें कि गांव का आंगनबाड़ी केंद्र और सरकारी स्कूल 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. जिसमें गांव का एक भी बच्चा पढ़ाई करने नहीं जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'पंचायत प्रतिनिधि समस्या से हैं अवगत'
गांव में घर पर ही रह कर किसी प्रकार बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं. इस गांव के बाहर पांडेयडीह कोरिया पक्की सड़क है, जो कांवरिया पथ तक जाती है. मामले में ग्रामीण सत्यदेव ठाकुर ने बताया कि सांसद से लेकर विधायक और सभी पंचायत प्रतिनिधि हमारे गांव में पानी और अन्य समस्या से अवगत है. लेकिन सिर्फ चुनाव के समय आश्वासन के बाद फिर कभी हमलोगों को देखने तक नहीं आते हैं.

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