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बांका: दशकों से विकास की बाट जोह रहे ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, वोट बहिष्कार का किया ऐलान

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Published : Aug 30, 2020, 1:12 PM IST

गांव में पुल नहीं होने के कारण लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में इस बार आक्रोशित ग्रामीणों ने पुल नहीं तो वोट नहीं की बात कही है.

ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ की नारेबाजी
ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ की नारेबाजी

बांका(बेना मोहनपुर): आजादी के सात दशक बाद भी जिले में कई ऐसे गांव हैं जो मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं. जबकि बिहार सरकार राज्य में विकास कार्य करने का दावा करते नहीं थकती है. बौंसी प्रखंड के बेना मोहनपुर गांव के लोगों ने आज तक विकास का मुंह नहीं देखा. ये लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

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इलाके में पुल नहीं होने से बढ़ी परेशानी

250 घरों की 3500 आबादी वाला बेना मोहनपुर गांव चारों तरफ से नदियों से घिरा हुआ है, जो ग्रामीणों के लिए अभिशाप साबित हो रहा है. नदी पर पुल नहीं रहने से यह गांव प्रखंड मुख्यालय तो छोड़िए अपने पंचायत डहुआ से भी कटा हुआ है. बारिश के दिनों में गांव टापू में तब्दील हो जाता है. ऐसे में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो एंबुलेंस का पहुंचना नामुमकिन है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बारिश में बढ़ जाती है परेशानी
सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के दिनों में होती है. ग्रामीण घर में ही सिमट कर रह जाते हैं. साथ ही बच्चों की पढ़ाई भी पूरी तरह से चौपट हो जाती है. ऐसे में इस बार ग्रामीणों ने विकास नहीं तो वोट नहीं की बात कही है. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के नेताओं पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने इस बार विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

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ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ की नारेबाजी

बारिश के दिनों में टापू बन जाता है गांव
स्थानीय युवा अब्दुल कलाम बताते हैं कि नदी में पानी भर जाने के बाद कहीं जाना भी मुश्किल हो जाता है. बीमार व्यक्ति को खाट पर ही ले जाना पड़ता है क्योंकि एंबुलेंस का आना नामुमकिन है. इस गांव के लिए पुल बहुत जरूरी है. वहीं, अन्य युवा मो. नसीम ने बताया कि चारों तरफ गांव नदी से घिरा हुआ है. सरकार कहती है कि हर गांव को प्रखंड से जोड़ा गया है. लेकिन बेना मोहनपुर गांव अपने पंचायत महुआ से भी कटा हुआ है.

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इलाका हुआ जलमग्न

ग्रामीणों ने लिया वोट बहिष्कार का निर्णय
ग्रामीण मो. मुख्तार अंसारी ने बताया कि पुल बनवाने का हर संभव प्रयास किया गया. पूर्व सांसद जयप्रकाश नारायण यादव दो बार गांव आए. उन्होंने बनवाने का वादा किया. उसके बाद स्थानीय विधायक स्वीटी सीमा हेंब्रम भी गांव आईं. जब ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया तो उन्होंने भी पुल बनवाने की बात कही. लेकिन, अब तक कोई प्रयास दिख नहीं रहा है.

बांका(बेना मोहनपुर): आजादी के सात दशक बाद भी जिले में कई ऐसे गांव हैं जो मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं. जबकि बिहार सरकार राज्य में विकास कार्य करने का दावा करते नहीं थकती है. बौंसी प्रखंड के बेना मोहनपुर गांव के लोगों ने आज तक विकास का मुंह नहीं देखा. ये लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

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इलाके में पुल नहीं होने से बढ़ी परेशानी

250 घरों की 3500 आबादी वाला बेना मोहनपुर गांव चारों तरफ से नदियों से घिरा हुआ है, जो ग्रामीणों के लिए अभिशाप साबित हो रहा है. नदी पर पुल नहीं रहने से यह गांव प्रखंड मुख्यालय तो छोड़िए अपने पंचायत डहुआ से भी कटा हुआ है. बारिश के दिनों में गांव टापू में तब्दील हो जाता है. ऐसे में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो एंबुलेंस का पहुंचना नामुमकिन है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बारिश में बढ़ जाती है परेशानी
सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के दिनों में होती है. ग्रामीण घर में ही सिमट कर रह जाते हैं. साथ ही बच्चों की पढ़ाई भी पूरी तरह से चौपट हो जाती है. ऐसे में इस बार ग्रामीणों ने विकास नहीं तो वोट नहीं की बात कही है. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के नेताओं पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों ने इस बार विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.

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बारिश के दिनों में टापू बन जाता है गांव
स्थानीय युवा अब्दुल कलाम बताते हैं कि नदी में पानी भर जाने के बाद कहीं जाना भी मुश्किल हो जाता है. बीमार व्यक्ति को खाट पर ही ले जाना पड़ता है क्योंकि एंबुलेंस का आना नामुमकिन है. इस गांव के लिए पुल बहुत जरूरी है. वहीं, अन्य युवा मो. नसीम ने बताया कि चारों तरफ गांव नदी से घिरा हुआ है. सरकार कहती है कि हर गांव को प्रखंड से जोड़ा गया है. लेकिन बेना मोहनपुर गांव अपने पंचायत महुआ से भी कटा हुआ है.

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ग्रामीणों ने लिया वोट बहिष्कार का निर्णय
ग्रामीण मो. मुख्तार अंसारी ने बताया कि पुल बनवाने का हर संभव प्रयास किया गया. पूर्व सांसद जयप्रकाश नारायण यादव दो बार गांव आए. उन्होंने बनवाने का वादा किया. उसके बाद स्थानीय विधायक स्वीटी सीमा हेंब्रम भी गांव आईं. जब ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार करने का निर्णय लिया तो उन्होंने भी पुल बनवाने की बात कही. लेकिन, अब तक कोई प्रयास दिख नहीं रहा है.

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