बांका: कोरोना महामारी को लेकर उपजे हालात के बाद देश में लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों ने घर वापसी की थी. इनके सामने सबसे बड़ी समस्या रोजगार को लेकर थी. कृषि विज्ञान केंद्र बांका ने बेरोजगार प्रवासी मजदूरों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की है.
जल संरक्षण का प्रशिक्षण
इसी क्रम में तीन दर्जन से अधिक प्रवासी मजदूर को मिट्टी जांच और जल संरक्षण का प्रशिक्षण दे रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से मृदा परीक्षण में कौशल विकास पर प्रशिक्षण के क्रम में प्रवासी कामगारों को स्वरोजगार प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षण
मृदा वैज्ञानिक डॉ. संजय कुमार मंडल, ई. मनीष कुमार और रंजन कुमार प्रवासी मजदूरों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र बांका के प्रधान सह वरीय वैज्ञानिक डॉ. मुनेश्वर प्रसाद ने बताया कि प्रशिक्षण का उद्देश्य लॉकडाउन के दौरान अन्य राज्यों या जिलों से आए प्रवासी मजदूर, जो बेरोजगार हो गए हैं उन्हें कौशल प्रशिक्षण से अपने गृह जिले में ही रोजगार के उत्तम अवसर प्रदान करना है.
तकनीक के बारे में जानकारी
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रवासियों को मिट्टी जांच को सुगमतापूर्वक करने के तकनीक के बारे में बताया गया है. जिसमें भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली की ओर से विकसित एसटीएफआर मीटर के प्रयोग से मिट्टी जांच करने के बारे में विस्तार से बताया गया है. यह उपकरण सिंपल और आसान है.
प्रोत्साहित करने का प्रयास
कोई भी इच्छुक प्रवासी इससे घर में बैठ कर मिट्टी जांच कर सकते हैं और इसको रोजगार के रूप में भी अपना सकते हैं. इस उपकरण की कीमत मात्र 75 से 80 हजार रुपये है. केवीके के वरीय वैज्ञानिक डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि प्रवासी कामगारों को डेयरी उद्यमिता, बकरी पालन और मुर्गी पालन को तेजी से बढ़ावा देकर स्वरोजगार की ओर ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है.
प्रवासी मजदूरों को प्रमाण पत्र
इससे जिले में बाहर से आए प्रवासियों को उनके कौशल के अनुसार रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. साथ ही प्रवासी कामगारों को ऑनलाइन तरीके से मछली पालन का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में सभी प्रवासी मजदूरों को प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा और स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मदद भी मुहैया करायी जाएगी.