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कठिनाइयों से लड़कर घर का सहारा बना दिव्यांग मैकेनिक पप्पू - Jharkhand Farmers

दिव्यांग मैकेनिक पप्पू के पास दूरदराज इलाके के साथ झारखंड से पंपसेट ठीक कराने किसान पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें इस बात का दर्द है कि उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली है.

दिव्यांग मैकेनिक
दिव्यांग मैकेनिक
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Published : Dec 25, 2020, 9:31 PM IST

Updated : Dec 26, 2020, 3:02 PM IST

बांका: जिले के बौंसी प्रखंड स्थित छोटी सी जगह श्याम बाजार निवासी दिव्यांग मैकेनिक वीरेंद्र यादव उर्फ पप्पू ने पोलियो की वजह से बचपन में ही अपने दोनों पैर खो दिए थे. लेकिन उन्होंने अपनी दिव्यांगता को कभी हावी नहीं होने दिया. कुछ कर गुजरने की ललक ने पप्पू ने बांका के साथ-साथ झारखंड के किसानों के बीच भी अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाबी पाई है.

दिव्यांग मैकेनिक वीरेंद्र यादव
दिव्यांग मैकेनिक वीरेंद्र यादव

'काफी तकलीफों के बीच अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. रोजाना एक तरह का काम नहीं चलता है. जिसके चलते समस्या उत्पन्न होती है. सरकारी मदद के नाम पर सिर्फ दिव्यांग का प्रमाण पत्र मिला है'- वीरेंद्र यादव उर्फ पप्पू, मैकेनिक

पप्पू अपनी मेहनत और कारीगिरी की वजह से दूरदराज इलाकों में जाने जाते हैं. दूर-दूर से लोग इनके पास पंपसेट ठीक कराने पहुंचते हैं. पप्पू के पास आने वाले किसानों की माने तो यदि एक बार मशीन पर पप्पू हाथ लगा दे तो साल-दो साल मशीन खराब होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. पप्पू हाफ एचपी से लेकर 25 एचपी तक की मशीन को ठीक करते हैं. उनके पास बांका जिले के बौंसी, बाराहाट, रजौन के अलावा झारखंड के हंसडीहा, पड़ेया हॉट सहित सीमाई इलाके के किसान पहुंचते है.

दूर-दूर से आते हैं किसान
दूर-दूर से आते हैं किसान

'स्थानीय मुखिया से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक में कई बार आवेदन दिया. लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला, इसके सिवा किसी ने कोई मदद नहीं की. महंगाई के इस दौर में पहुंच परिवार का पेट पालना आसान काम नहीं है'- पुतुल देवी, मैकेनिक पप्पू की पत्नी

झारखंड से आते हैं किसान
झारखंड से सटे सांगा से पंपसेट ठीक कराने पहुंचे किसान अनिरुद्ध यादव ने बताया कि मैकेनिक पप्पू यदि एक बार मशीन ठीक कर दे तो पांच सालों तक निश्चिंत हो जाते हैं कि मशीन में कुछ गड़बड़ी नहीं होने वाला है.

हुनर को बनाई सफलता की सीढ़ी
हुनर को बनाई सफलता की सीढ़ी

'हम लोग काफी खुश है कि पप्पू जैसे मैकेनिक हमारे इलाके में है. इसलिए हम लोगों को भटकना नहीं पड़ता है. इस बात का दर्द है कि उन्हें कोई सरकारी सहायता अब तक नहीं मिल पाई है'- अनिरुद्ध यादव, किसान

पप्पू मैकेनिक को मदद की दरकार
स्थानीय हरिनारायण सिंह बताते हैं कि पप्पू यादव एक कुशल मैकेनिक है. पप्पू मैकेनिक को आर्थिक मदद की दरकार है. यही वजह है कि बांका जिले के साथ-साथ झारखंड के किसान इनके पास पंपसेट ठीक कराने के लिए पहुंचते हैं.

दिव्यांग मैकेनिक की हौसले की उड़ान

'हमारी स्थानीय प्रशासन और सरकार से मांग है कि पप्पू की मदद करें, ताकि वो अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके. साथ ही अपने रोजगार को आगे बढ़ा सकें'- हरिनारायण सिंह, स्थानीय

पप्पू की जिंदगी में अड़चनें कम नहीं थी लेकिन किसी के आगे हाथ में फैलाने और कुछ कर गुजरने की ललक के दम पर पप्पू ने बांका के साथ-साथ झारखंड के किसानों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाबी पाई.

बांका: जिले के बौंसी प्रखंड स्थित छोटी सी जगह श्याम बाजार निवासी दिव्यांग मैकेनिक वीरेंद्र यादव उर्फ पप्पू ने पोलियो की वजह से बचपन में ही अपने दोनों पैर खो दिए थे. लेकिन उन्होंने अपनी दिव्यांगता को कभी हावी नहीं होने दिया. कुछ कर गुजरने की ललक ने पप्पू ने बांका के साथ-साथ झारखंड के किसानों के बीच भी अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाबी पाई है.

दिव्यांग मैकेनिक वीरेंद्र यादव
दिव्यांग मैकेनिक वीरेंद्र यादव

'काफी तकलीफों के बीच अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. रोजाना एक तरह का काम नहीं चलता है. जिसके चलते समस्या उत्पन्न होती है. सरकारी मदद के नाम पर सिर्फ दिव्यांग का प्रमाण पत्र मिला है'- वीरेंद्र यादव उर्फ पप्पू, मैकेनिक

पप्पू अपनी मेहनत और कारीगिरी की वजह से दूरदराज इलाकों में जाने जाते हैं. दूर-दूर से लोग इनके पास पंपसेट ठीक कराने पहुंचते हैं. पप्पू के पास आने वाले किसानों की माने तो यदि एक बार मशीन पर पप्पू हाथ लगा दे तो साल-दो साल मशीन खराब होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. पप्पू हाफ एचपी से लेकर 25 एचपी तक की मशीन को ठीक करते हैं. उनके पास बांका जिले के बौंसी, बाराहाट, रजौन के अलावा झारखंड के हंसडीहा, पड़ेया हॉट सहित सीमाई इलाके के किसान पहुंचते है.

दूर-दूर से आते हैं किसान
दूर-दूर से आते हैं किसान

'स्थानीय मुखिया से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक में कई बार आवेदन दिया. लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला, इसके सिवा किसी ने कोई मदद नहीं की. महंगाई के इस दौर में पहुंच परिवार का पेट पालना आसान काम नहीं है'- पुतुल देवी, मैकेनिक पप्पू की पत्नी

झारखंड से आते हैं किसान
झारखंड से सटे सांगा से पंपसेट ठीक कराने पहुंचे किसान अनिरुद्ध यादव ने बताया कि मैकेनिक पप्पू यदि एक बार मशीन ठीक कर दे तो पांच सालों तक निश्चिंत हो जाते हैं कि मशीन में कुछ गड़बड़ी नहीं होने वाला है.

हुनर को बनाई सफलता की सीढ़ी
हुनर को बनाई सफलता की सीढ़ी

'हम लोग काफी खुश है कि पप्पू जैसे मैकेनिक हमारे इलाके में है. इसलिए हम लोगों को भटकना नहीं पड़ता है. इस बात का दर्द है कि उन्हें कोई सरकारी सहायता अब तक नहीं मिल पाई है'- अनिरुद्ध यादव, किसान

पप्पू मैकेनिक को मदद की दरकार
स्थानीय हरिनारायण सिंह बताते हैं कि पप्पू यादव एक कुशल मैकेनिक है. पप्पू मैकेनिक को आर्थिक मदद की दरकार है. यही वजह है कि बांका जिले के साथ-साथ झारखंड के किसान इनके पास पंपसेट ठीक कराने के लिए पहुंचते हैं.

दिव्यांग मैकेनिक की हौसले की उड़ान

'हमारी स्थानीय प्रशासन और सरकार से मांग है कि पप्पू की मदद करें, ताकि वो अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके. साथ ही अपने रोजगार को आगे बढ़ा सकें'- हरिनारायण सिंह, स्थानीय

पप्पू की जिंदगी में अड़चनें कम नहीं थी लेकिन किसी के आगे हाथ में फैलाने और कुछ कर गुजरने की ललक के दम पर पप्पू ने बांका के साथ-साथ झारखंड के किसानों के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाने में कामयाबी पाई.

Last Updated : Dec 26, 2020, 3:02 PM IST
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