बांका: कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है. लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर जागरूक भी किया जा रहा है. लॉकडाउन का आधा से ज्यादा वक्त गुजर गया है. बावजूद इसके कई जगह लोग उल्इलंघन कर रहे हैं. शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन प्रशासन के लिए चुनौती साबित हो रहा है. बांका के चुड़ैली विदयडीह में भी यही हाल है.
'नहीं मिल रही सरकारी मदद'
इस जगह जिला प्रशासन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना पुलिस के लिए पापड़ बेलने से कम नहीं. टोला सेवक से लेकर शिक्षा मित्र तक ग्रामीणों से लगातार आग्रह कर रहे हैं, लेकिन कोई इनकी सुनने को तैयार नहीं है. स्थानीय महिला सुषमा देवी ने बताया कि जब से लॉकडाउन लागू हुआ है सारा काम बंद हो गया है. हम आर्थिक तंगी और भुखमरी से जूझ रहे हैं. सरकार की ओर से भी कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. राशन कार्ड रहने के बाद भी अधिकांश लोगों को खाद्यान्न नहीं मिल पाया है. खाद्यान्न वितरण करने में डीलर मनमानी कर रहे हैं, जिससे परेशानी और बढ़ गई है. अगर ऐसे ही चलता रहा तो भूखे मरने की नौबत आ जाएगी.
राशन कार्ड धारकों दिया जा रहा अनाज
शिक्षामित्र बाबूलाल दास ने बताया कि चुड़ैली विदायडीह के हरिजन टोला में लोगों को समझाने के बाद लॉकडाउन का पालन हो रहा है, लेकिन कुछ टोले के लोग मानने को तैयार नहीं है. बोलने पर मारपीट के लिए उतारू हो जाते हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में जिनके पास राशन कार्ड है कुछ को अनाज मिला है, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनको भी खाद्यान्न मुहैया कराने के लिए प्रयास किया जा रहा है.