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दो महीने में ही जर्जर हो गई 1.33 करोड़ की लागत से बनी सड़क - Broken road after two months of construction

बांका में एक करोड़ की अधिक की लागत से बनी सड़क दो माह में ही जर्जर हो गई है. स्थिति ये है कि सड़क से लोगों का गुजरना भी मुश्किल हो रहा है. पढ़िये पूरी खबर..

बांका में जर्जर हुई सड़क
बांका में जर्जर हुई सड़क
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Published : Aug 20, 2021, 9:18 AM IST

Updated : Aug 20, 2021, 10:06 AM IST

बांका: जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी (Connectivity In Rural Areas) बढ़ाने के लिए सरकार (Government) करोड़ों रुपये खर्च कर लंबी-लंबी सड़कें बनवा रही है. ताकि लोगों को यातायात में सहूलियत मिल सके और सड़क कुछ वर्ष तक टिकाऊ भी रहे, लेकिन बांका जिले में सड़क निर्माण (Road Construction) की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है. यहां करोड़ों की लागत से बनी सड़क (Road) बनने के दो से तीन माह के अंदर ही गड्ढों में तब्दील हो गई है.

ये भी पढ़ें:Chapra News: सड़क निर्माण में कोताही नहीं की जाएगी बर्दाश्त: मंत्री नितिन नवीन

यह स्थिति जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेहरा-डांडा सड़क मार्ग की है. जहां ग्रामीण कार्य विभाग-1 की ओर से मुख्यमंत्री ग्रामीण अनुरक्षण योजना के तहत दो माह पूर्व सड़क बनायी गई थी. यह सड़क साढे छह किलोमीटर लंबी है. जो एक करोड़ 33 लाख की लागत से बनायी गयी है.

देखें वीडियो

सड़क बनने के बाद लोग फर्राटा भरने की सोच ही रहे थे कि सड़क कई जगहों पर गड्ढे में तब्दील हो गई. आलम यह है कि सड़क अब चलने योग्य नहीं रह गई है. ग्रामीणों की मानें तो संवेदक से गुणवत्तापूर्ण कार्य की गुहार लगाई गई थी, लेकिन संवेदक ने एक भी नहीं सुनी. घटिया निर्माण कार्य के चलते सड़क दो माह में ही पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो चुकी है.

डांड़ा गांव के लोगों का कहना है कि जिले में शायद ही कोई ऐसी सड़क हो, जो बनने के दो माह के अंदर ही पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो गई हो. उन्होंने कहा कि संवेदक से गुणवत्तापूर्ण कार्य करने की गुहार लगाई गई, लेकिन उन्होंने एक भी नहीं सुनी. स्थिति यह है कि सड़क अब चलने लायक नहीं रह गई है. संवेदक को इस तरह का घटिया कार्य नहीं करना चाहिए.

ग्रामीणों ने कहा कि सड़क जर्जर रहने की वजह से बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी होती है. यह सड़क 10 हजार से अधिक आबादी को प्रभावित करता है. वहीं भलुआ दमगी गांव के लोगों ने बताया कि 2 से ढाई माह के अंदर ही सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. बच्चों का स्कूल खुल गया है, लेकिन सड़क जर्जर रहने की वजह से गांव तक बस नहीं आ रही है.

ग्रामीणों ने कहा कि दो पहिया से लेकर तीन पहिया वाहन तक को इस सड़क पर चलने में परेशानी हो रही है. वहीं इस सड़क मार्ग पर बैरियर भी लगा दिया गया है, जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को इस हाल पर छोड़ने वाले संवेदक के विरुद्ध हर हाल में कार्रवाई होनी चाहिए.

वहीं इस संबंध में पूर्व मंत्री और बांका से विधायक रामनारायण मंडल ने बताया कि उस इलाके के कई लोगों ने आकर सड़क जर्जर रहने की शिकायत की है. इसको लेकर ग्रामीण कार्य विभाग के एक्सक्यूटिव इंजीनियर से लेकर ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री तक को अवगत कराया गया है.

विधायक ने बताया कि हमने मंत्री से कहा है कि जर्जर सड़क की जांच कराएं. बेहरा-डांडा सड़क मार्ग के निर्माण कार्य में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया है. उन्होंने बताया कि हमने मंत्री से कहा है कि हमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखने के लिए बाध्य न किया जाए. सड़क निर्माण में जो निमिता बढ़ती गई है और जो संवेदक इसके दोषी हैं उस पर कार्रवाई हो.

ये भी पढ़ें:सात निश्चय योजना फेल, यहां 10 साल से नहीं बनी सड़क, लोगों ने चंदा इकट्ठा कर निर्माण किया शुरू

बांका: जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी (Connectivity In Rural Areas) बढ़ाने के लिए सरकार (Government) करोड़ों रुपये खर्च कर लंबी-लंबी सड़कें बनवा रही है. ताकि लोगों को यातायात में सहूलियत मिल सके और सड़क कुछ वर्ष तक टिकाऊ भी रहे, लेकिन बांका जिले में सड़क निर्माण (Road Construction) की कहानी कुछ और ही बयां कर रही है. यहां करोड़ों की लागत से बनी सड़क (Road) बनने के दो से तीन माह के अंदर ही गड्ढों में तब्दील हो गई है.

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यह स्थिति जिला मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बेहरा-डांडा सड़क मार्ग की है. जहां ग्रामीण कार्य विभाग-1 की ओर से मुख्यमंत्री ग्रामीण अनुरक्षण योजना के तहत दो माह पूर्व सड़क बनायी गई थी. यह सड़क साढे छह किलोमीटर लंबी है. जो एक करोड़ 33 लाख की लागत से बनायी गयी है.

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सड़क बनने के बाद लोग फर्राटा भरने की सोच ही रहे थे कि सड़क कई जगहों पर गड्ढे में तब्दील हो गई. आलम यह है कि सड़क अब चलने योग्य नहीं रह गई है. ग्रामीणों की मानें तो संवेदक से गुणवत्तापूर्ण कार्य की गुहार लगाई गई थी, लेकिन संवेदक ने एक भी नहीं सुनी. घटिया निर्माण कार्य के चलते सड़क दो माह में ही पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो चुकी है.

डांड़ा गांव के लोगों का कहना है कि जिले में शायद ही कोई ऐसी सड़क हो, जो बनने के दो माह के अंदर ही पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो गई हो. उन्होंने कहा कि संवेदक से गुणवत्तापूर्ण कार्य करने की गुहार लगाई गई, लेकिन उन्होंने एक भी नहीं सुनी. स्थिति यह है कि सड़क अब चलने लायक नहीं रह गई है. संवेदक को इस तरह का घटिया कार्य नहीं करना चाहिए.

ग्रामीणों ने कहा कि सड़क जर्जर रहने की वजह से बच्चों को स्कूल जाने में परेशानी होती है. यह सड़क 10 हजार से अधिक आबादी को प्रभावित करता है. वहीं भलुआ दमगी गांव के लोगों ने बताया कि 2 से ढाई माह के अंदर ही सड़क पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. बच्चों का स्कूल खुल गया है, लेकिन सड़क जर्जर रहने की वजह से गांव तक बस नहीं आ रही है.

ग्रामीणों ने कहा कि दो पहिया से लेकर तीन पहिया वाहन तक को इस सड़क पर चलने में परेशानी हो रही है. वहीं इस सड़क मार्ग पर बैरियर भी लगा दिया गया है, जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो रही है. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को इस हाल पर छोड़ने वाले संवेदक के विरुद्ध हर हाल में कार्रवाई होनी चाहिए.

वहीं इस संबंध में पूर्व मंत्री और बांका से विधायक रामनारायण मंडल ने बताया कि उस इलाके के कई लोगों ने आकर सड़क जर्जर रहने की शिकायत की है. इसको लेकर ग्रामीण कार्य विभाग के एक्सक्यूटिव इंजीनियर से लेकर ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री तक को अवगत कराया गया है.

विधायक ने बताया कि हमने मंत्री से कहा है कि जर्जर सड़क की जांच कराएं. बेहरा-डांडा सड़क मार्ग के निर्माण कार्य में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया है. उन्होंने बताया कि हमने मंत्री से कहा है कि हमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखने के लिए बाध्य न किया जाए. सड़क निर्माण में जो निमिता बढ़ती गई है और जो संवेदक इसके दोषी हैं उस पर कार्रवाई हो.

ये भी पढ़ें:सात निश्चय योजना फेल, यहां 10 साल से नहीं बनी सड़क, लोगों ने चंदा इकट्ठा कर निर्माण किया शुरू

Last Updated : Aug 20, 2021, 10:06 AM IST
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