बांका: अप्रैल महीने में ही पेयजल का संकट गहराने लगा है. पीएचईडी विभाग ने इस साल पेयजल समस्या से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर रखी है. 750 से अधिक मिनी जलापूर्ति योजना संचालित कर 75 हजार घरों में कनेक्शन दिया है. जहां रोजाना सुबह-शाम लोगों को पानी मिल रहा है. वहीं, आपात स्थिति से निपटने के लिए 21 टैंकर को तैयार मोड में रखा गया है, जबकि 26 टीम रोजाना 50 से 55 चापाकल मरम्मत कर रही है.
जिले का 70 फीसदी हिस्सा पठारी है. प्रत्येक वर्ष गर्मी शुरू होते ही पेयजल संकट गहराने लगता है. विगत दो-तीन वर्षों से परेशानी और बढ़ गई है. गर्मी के दिनों में भू-जलस्तर नीचे चले जाने की वजह से प्राकृतिक स्रोत भी जवाब देने लगते हैे. 2 हजार 500 गांव और लगभग 25 लाख की आबादी वाले इस जिले के 40% लोग गर्मी के दिनों में पेयजल के संकट से जूझते हैं.
नाकाफी साबित होती है सरकार की व्यवस्था
स्थानीय लोगों की मानें तो गर्मी के दिनों में पेयजल संकट इस कदर गहरा जाता है कि सरकार की ओर से की गई व्यवस्था भी नाकाफी साबित होने लगती है. सात निश्चय में शामिल नल जल योजना भी कायदे से सरजमीं पर नहीं उतर पाई है. पीएचईडी और पंचायती राज विभाग की ओर से नल जल योजना पर काम किया जा रहा है.
विभाग का दावा- इस साल नहीं होगी परेशानी
पीएचईडी विभाग की मानें तो 750 से अधिक वार्डों में पेयजल मुहैया करा दिया गया है. कार्य पूर्ण होने के बाद भी 100 से अधिक ऐसे वार्ड हैं, जहां अब भी खामियां हैं. नतीजतन सभी को पेयजल नहीं मिल पा रहा है. पेयजल के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है. केमासार गांव की रहने वाली गुजरी देवी बताती है की गर्मी के दिनों में पेयजल संकट इस कदर गहरा जाता है कि दूसरे के घरों से या कहीं दूर-दराज से से पानी लाना पड़ता है.
लोगों ने सुनाई आपबीती
समस्या से जूझ रही निपानिया गांव की गौरी देवी बताती हैं कि गर्मी के दिनों में महिलाओं को ज्यादा समस्या होती है. नहाने से लेकर मवेशियों तक को पानी पिलाने के लिए दूसरे के घरों पर आश्रित रहना पड़ता है. एक साल से अधिक समय हो गया नल जल का टंकी और पाइप बिछाए हुए. लेकिन, गांव के एक भी घर को पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा है.
इन इलाकों में पानी के लिए तरस रहे लोग
गांव के अलावा शहरी क्षेत्र में भी पानी नहीं मिल पा रहा है. नल का जल जिला मुख्यालय से सटे निपनियां, केमासार, मण्डदा सहित दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां अब भी लोग तरस रहे है. नल जल योजना में सबसे अधिक खामियां पंचायती राज विभाग की ओर से किए गए कार्यों में है. 1 हजार से अधिक ऐसे वार्ड हैं जहां विभागीय स्तर पर काम तो पूरा हो गया है. लेकिन, अधिकांश वार्डों में लोगों को पेयजल नहीं मिल पा रहा है.
नगर परिषद में भी पानी नसीब नहीं
हैरत की बात है बांका नगर परिषद में भी नल जल योजना के तहत पेयजल पाने का लोग अभी इंतजार कर रहे हैं. लॉकडाउन की वजह से यहां भी काम परवान नहीं चढ़ सका. पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता डेविड कुमार चतुर्वेदी की मानें तो जिले का बड़ा हिस्सा पठारी है. जहां प्रत्येक साल पेयजल की समस्या होती है. पेयजल संकट से निपटने के लिए युद्धस्तर पर तैयारी की गई है. 26 चापाकल रिपेयर टीम प्रतिदिन 50 से 55 चापाकल की मरम्मत कर रही है. शिकायतों का 24 घंटे में निपटारा कर दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि 750 से अधिक मिनी जलापूर्ति योजना चालू है. इसके तहत 75 हजार घरों को कनेक्शन दिया गया है. इन घरों में प्रतिदिन पेयजल की आपूर्ति पाइप लाइन के माध्यम से सुबह और शाम होती है.