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ऐसे नदी पार करना खतरनाक है! टाइम और पैसा बचाने के लिए जोखिम उठा रहे लोग

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Published : Aug 1, 2021, 11:02 PM IST

बांका में चांदन नदी पर बना डायवर्सन टूट (Diversion Breakdown) जाने से लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. खासकर रोजाना मजदूरी (Daily Wage Laborers) करने के लिए बांका आने वाले लोगों को 25 से 30 किलोमीटर का चक्कर लगाकर बांका आना काफी खर्चीला और टाइम टेकिंग (Time Taking) हो रहा है.

डायवर्सन बह जाने के बाद लोगों को हो रही है भारी परेशा
डायवर्सन बह जाने के बाद लोगों को हो रही है भारी परेशानी

बांका: भारी वाहनों (Heavy Vehicles) की आवाजाही के चलते डेढ़ वर्ष पूर्व ही जिले का लाइफ लाइन कहे जाने वाले चांदन पुल (Chandan Bridge) जमींदोज हो चुका था. उसके बाद पुल को पार करने के लिए डायवर्सन (Diversion) बनाया गया, जो अब चांदन नदी के तेज बहाव से बह गया.

ये भी पढ़ें- बांकाः आजादी के बाद से अब तक नहीं बनी यहां सड़क, दर्जनों गांवों का है रास्ता

दरअसल भारी वाहनों की आवाजाही के चलते डेढ़ वर्ष पूर्व ही बांका जिले का लाइफ लाइन कहे जाने वाले चांदन पुल जमींदोज हो चुका था. उसके बाद से लोगों की आवाजाही को लेकर परेशानी बढ़ गई थी. आने-जाने को सुगम करने के लिए काफी शोर-शराबा होने के बाद चांदन नदी में दो किलोमीटर से अधिक लंबा डायवर्सन बनाया गया था.

डायवर्सन बनने के बाद लोगों का राह आसान हो गया था और आसानी से जिला मुख्यालय पहुंच पा रहे थे लेकिन हाल के दिनों में हुई लगातार बारिश से चांदन नदी उफना गई और इसके तेज बहाव ने डायवर्सन के एक बड़े हिस्से को बहा ले गया. अब एक बार फिर लोगों की आवाजाही को लेकर समस्या उत्पन्न हो गई है.

खासकर रोजाना मजदूरी करने के लिए बांका आने वाले लोगों को 25 से 30 किलोमीटर का चक्कर लगाकर बांका आना-जाना काफी खर्चीला और टाइम टेकिंग हो रहा है. लोग जान जोखिम में डालकर चांदन नदी के साथ-साथ जमींदोज पुल होकर गुजारने को विवश हो रहे हैं.

बेलूटीकेर गांव से रोजाना मजदूरी के लिए बांका आने वाले सूरज कुमार ने बताया कि डायवर्सन बह जाने के बाद विकट समस्या उत्पन्न हो गई है. रोजाना काम के लिए हर हाल में बांका आना ही पड़ता है. समस्या यह है कि कमा आएंगे नहीं तो खाएंगे क्या?. इसलिए जान को जोखिम में डालकर बांका आना पड़ता है. सरकार और जिला प्रशासन से आग्रह है कि जल्द से जल्द डायवर्सन का मरम्मत करवाया जाए और पुल का निर्माण कार्य में भी तेजी लाया जाए ताकि लोगों का राह आसान हो सके.

ये भी पढ़ें- बांका: खेत में जुताई करवा रहा था किसान तभी गिरी आकाशीय बिजली, मौत से पसरा मातम

एक अन्य मजदूर नीतीश कुमार ने कहा कि 'स्थिति बहुत गंभीर हो गई है. चांदन नदी में पानी अधिक है. मजबूरी बस नदी पार करना पड़ता है. रोजाना कमाने और खाने वाली स्थिति है. अगर कमाएंगे नहीं तो परिवार भूखा रह जाएगा. इसीलिए रिस्क उठाना पड़ता है. जब सूखा था उसी वक्त सरकार और जिला प्रशासन को पुल बनाने की दिशा में पहल करनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं किया गया जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.'


'नदी में तेज बहाव के चलते डायवर्सन का एक बड़ा हिस्सा बह गया है. डायवर्सन जहां-जहां क्षतिग्रस्त हुआ है. उसे मरम्मत करने का काम चालू कर दिया गया है. हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द डायवर्सन को दुरुस्त कर, लोगों की आवाजाही के लिए सुगम बना दिया जाए. हालांकि डायवर्सन का जो हिस्सा बह गया है उसे बनाने में कम से कम एक सप्ताह का समय लगेगा,' : प्रभात कुमार. कार्यपालक अभियंता, पुल निर्माण निगम

ये भी पढ़ें- ज्वाइंट ऑपरेशन चलाकर हार्डकोर नक्सली को किया गया गिरफ्तार, आर्म्स एक्ट के साथ-साथ कई मामले हैं दर्ज

बता दें कि बांका चांदन नदी (Chandan Bridge) पर पिछले वर्ष ही एक करोड़ से अधिक की लागत से डायवर्सन (Diversion) बनाया गया था जो शनिवार को नदी में अचानक पानी का ज्यादा बहाव होने के बाद डायवर्सन बह गया है. जिससे लाखों लोगों को परेशानी हो रही है.

ये भी पढ़ें- Flood in Muzaffarpur: मिल्की डायवर्सन पर चढ़ा बाढ़ का पानी, मुजफ्फरपुर-शिवहर रोड बंद

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बांका: भारी वाहनों (Heavy Vehicles) की आवाजाही के चलते डेढ़ वर्ष पूर्व ही जिले का लाइफ लाइन कहे जाने वाले चांदन पुल (Chandan Bridge) जमींदोज हो चुका था. उसके बाद पुल को पार करने के लिए डायवर्सन (Diversion) बनाया गया, जो अब चांदन नदी के तेज बहाव से बह गया.

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दरअसल भारी वाहनों की आवाजाही के चलते डेढ़ वर्ष पूर्व ही बांका जिले का लाइफ लाइन कहे जाने वाले चांदन पुल जमींदोज हो चुका था. उसके बाद से लोगों की आवाजाही को लेकर परेशानी बढ़ गई थी. आने-जाने को सुगम करने के लिए काफी शोर-शराबा होने के बाद चांदन नदी में दो किलोमीटर से अधिक लंबा डायवर्सन बनाया गया था.

डायवर्सन बनने के बाद लोगों का राह आसान हो गया था और आसानी से जिला मुख्यालय पहुंच पा रहे थे लेकिन हाल के दिनों में हुई लगातार बारिश से चांदन नदी उफना गई और इसके तेज बहाव ने डायवर्सन के एक बड़े हिस्से को बहा ले गया. अब एक बार फिर लोगों की आवाजाही को लेकर समस्या उत्पन्न हो गई है.

खासकर रोजाना मजदूरी करने के लिए बांका आने वाले लोगों को 25 से 30 किलोमीटर का चक्कर लगाकर बांका आना-जाना काफी खर्चीला और टाइम टेकिंग हो रहा है. लोग जान जोखिम में डालकर चांदन नदी के साथ-साथ जमींदोज पुल होकर गुजारने को विवश हो रहे हैं.

बेलूटीकेर गांव से रोजाना मजदूरी के लिए बांका आने वाले सूरज कुमार ने बताया कि डायवर्सन बह जाने के बाद विकट समस्या उत्पन्न हो गई है. रोजाना काम के लिए हर हाल में बांका आना ही पड़ता है. समस्या यह है कि कमा आएंगे नहीं तो खाएंगे क्या?. इसलिए जान को जोखिम में डालकर बांका आना पड़ता है. सरकार और जिला प्रशासन से आग्रह है कि जल्द से जल्द डायवर्सन का मरम्मत करवाया जाए और पुल का निर्माण कार्य में भी तेजी लाया जाए ताकि लोगों का राह आसान हो सके.

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एक अन्य मजदूर नीतीश कुमार ने कहा कि 'स्थिति बहुत गंभीर हो गई है. चांदन नदी में पानी अधिक है. मजबूरी बस नदी पार करना पड़ता है. रोजाना कमाने और खाने वाली स्थिति है. अगर कमाएंगे नहीं तो परिवार भूखा रह जाएगा. इसीलिए रिस्क उठाना पड़ता है. जब सूखा था उसी वक्त सरकार और जिला प्रशासन को पुल बनाने की दिशा में पहल करनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं किया गया जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.'


'नदी में तेज बहाव के चलते डायवर्सन का एक बड़ा हिस्सा बह गया है. डायवर्सन जहां-जहां क्षतिग्रस्त हुआ है. उसे मरम्मत करने का काम चालू कर दिया गया है. हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द डायवर्सन को दुरुस्त कर, लोगों की आवाजाही के लिए सुगम बना दिया जाए. हालांकि डायवर्सन का जो हिस्सा बह गया है उसे बनाने में कम से कम एक सप्ताह का समय लगेगा,' : प्रभात कुमार. कार्यपालक अभियंता, पुल निर्माण निगम

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बता दें कि बांका चांदन नदी (Chandan Bridge) पर पिछले वर्ष ही एक करोड़ से अधिक की लागत से डायवर्सन (Diversion) बनाया गया था जो शनिवार को नदी में अचानक पानी का ज्यादा बहाव होने के बाद डायवर्सन बह गया है. जिससे लाखों लोगों को परेशानी हो रही है.

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