बांका: जिले के कांवरिया पथ पर बाबा भोलेनाथ के भक्तों की भीड़ उमड़ी है. बसंत पंचमी तक चलने वाली कांवरियों की भीड़ को तिलकोत्सव में के रूप में मनाया जाता है. यह कांवरिया अधिकतर मिथिला, दरभंगा, सहित पूर्वोत्तर के राज्यों और जिलों से आते हैं. बताया जाता है कि यह बाबा भोलेनाथ के तिलक की रस्म करने के लिए बाबाधाम तक जाते हैं.
बता दें कि इसमें महिला और बच्चों की संख्या भी सबसे अधिक होती है. जो सावन की तरह पतले बांस के कावर की जगह मोटे और दोनों तरफ बांस के बड़े-बड़े डलिया रूपी कांवर लेकर चलते हैं. जिसमें एक तरफ बाबा के लिए जल और दूसरी ओर अपना घरेलू सामान होता है. साथ ही अधिकतर कांवरिया अपने वाहन से चलते हैं. जिस पर सोने खाने का सामान भी होता है.
बाबा के जयकारे के साथ जाते बाबाधाम
इन दिनों चलने वाले कांवरिया को भीड़ भरे रास्ते में सिर्फ सब्जी खरीदनी पड़ती है. जबकि जंगलों के किनारे किसी भी सूखी लकड़ी को काटकर अपना भोजन तैयार करते हैं. बाबा के जयकारे के साथ पूरे रास्ते भर भक्ति भाव बिखेरते हुए बाबाधाम तक चले जाते हैं. जिसमे मिथिला, दरभंगा, गोरखपुर, नेपाल, भूटान, चीन इत्यादि जगहों के कांवरिया शामिल होते है. इस तिलकोत्सव के बाद शिवरात्रि के दिन शिव-विवाह धूमधाम से मनाया जाता है.