बांका: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यानी सुशासन बाबू की सरकार विकास कार्यों का बखान करते नहीं थकती हैं. खासकर गांव-गांव तक सड़क, बिजली और शुद्ध पेयजल पहुंचाने का दंभ भरती हैं लेकिन, जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल परे है. बांका में विकास कार्यों की बात की जाए तो जिला मुख्यालय से सटे एक दर्जन से अधिक ऐसे गांव हैं, जहां के लोग आजादी के बाद से पक्की सड़क के लिए तरस रहे हैं.
कामतपुर सन्हौला और कोरीचक की सड़क पूरी तरह से कीचड़ में सनी हुई है. बारिश के कारण मुसीबत दोगुनी हो गई है. स्थिति यह है कि लोगों का चलना भी मुश्किल है. एक दर्जन से अधिक गांवों की 5 हजार आबादी इस पर निर्भर है. सड़क निर्माण के नाम पर राजनीतिक दलों के नेता केवल वादे करते हैं और चुनाव के बाद देखने तक नहीं आते हैं.
5 हजार की आबादी हो रही प्रभावित
ग्रामीण नवीन पंडित बताते हैं सड़क की जर्जर अवस्था को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर राजस्व मंत्री तक को अवगत कराया गया. सड़क की स्थिति एकदम दयनीय है. अगर घर में कोई बीमार पड़ जाए तो खाट पर लेकर 5 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक जाना पड़ता है. कोरीचक, पोखरिया, नावाडीह, फुल्लीडुमर रानीबंध बारा, जमुआ सहित एक दर्जन से अधिक गांव के 5 हजार लोगों की आवाजाही इसी सड़क से होती है. लेकिन इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है.
बारिश में बढ़ जाती है परेशानी
वहीं युवा दीपक कुमार पंडित ने बताया कि बारिश के दिनों में सड़क की स्थिति और बदहाल हो जाती है. बड़ों से लेकर बच्चों तक को चलना मुश्किल हो जाता है. आम लोगों की इस समस्या पर ना ही स्थानीय सांसद ध्यान देते हैं और ना ही विधायक को मतलब है. सिर्फ चुनाव के समय वे वोट लेने के लिए आते हैं.
सड़क के नाम पर सिर्फ मिलता है आश्वासन
समाजसेवी सुनील कुमार यादव ने बताया कि कामतपुर सन्हौला, कोरीचक सहित एक दर्जन से अधिक गांव आजादी के बाद से ही सड़क के लिए तरस रही है. स्थानीय सांसद से लेकर विधायक और राजस्व मंत्री तक को सड़क बनवाने के लिए कई बार लिखित आवेदन दिया गया. लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है. उन्होंने नेताओं पर सिर्फ चुनाव के समय पिछड़े गांवों को याद करने का आरोप लगाया है.