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...इस गांव में सिर्फ पुरुष ही करते हैं छठ, महिलाएं करती हैं सहयोग - बांका का पिपराडीह गांव

पिपराडीह गांव एक ऐसा गांव है जहां, पुरुष वर्ग के लोग ही छठ पर्व करते हैं. यह परंपरा उनके पूर्वजों से चली आ रही है. इस परंपरा का पालन करते हुए पुरुष काफी खुशी महसूस करते हैं.

मिुल
पमिलप
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Published : Nov 19, 2020, 1:43 PM IST

बांका: कटोरिया प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत पिपराडीह एक ऐसा गांव है. जहां, एकाध महिलाओं को छोड़ सिर्फ पुरुष ही छठ पर्व करते हैं. ये पुरुष व्रती निष्ठा और आस्था के साथ व्रत करते हैं. इस गांव में पुरुष वर्ग के छठ करने की यह परंपरा यहां सालों से चली आ रही है.

पुरुष करते हैं छठ
जिले के कटोरिया प्रखंड मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर बसे पिपराडीह गांव में लगभग सभी पुरुष छठ व्रत करते हैं. वहीं जबकि महिलाएं उनकी मदद करतीं हैं. इस गांव में छठ व्रत करने वालों में पुरुषों की संख्या सबसे अधिक रहती है. इस पंचायत की आबादी 5,000 से अधिक है, जिसमें पिपराडीह गांव की आबादी 1,000 है. इस गांव में दर्जनों की संख्या में पुरुष छठ व्रत करते हैं.

ये भी पढ़े: जानिए, छठ महापर्व में नहाय खाए के दिन कद्दू खाने का महत्व
कई पीढ़ियों से चली आ रही प्रथा
छठ व्रत करने वालों का कहना है कि इस गांव में कई पीढ़ियों से पुरुष ही छठ व्रत करते आ रहे हैं. लोगों का मानना है कि उसी परंपरा का पालन आज भी लोग कर रहे हैं. गांव में पुरुषों के छठ व्रत करने से ही गांव का कल्याण और हर प्रकार के कष्टों से निदान होता है. लगातार 20 वर्षों से व्रत करने वालों में सुबोध यादव, रमेश यादव, कृष्णा यादव, विक्रम और सुरेश ने बताया कि वे लोग पूर्व के वंश की परंपरा को निभा रहे हैं.

महिलाएं भी करने लगी हैं छठ
इस दौरान व्रती पुरुषों ने कहा कि इस गांव में जब तक आबादी रहेगी, तब तक पुरुष ही छठ करते रहेंगे. इतना ही नहीं दूसरे गांव को देखकर इस गांव की महिलाएं भी अब धीरे-धीरे छठ व्रत करने लगी हैं, लेकिन अभी भी यहां पुरुषों की संख्या सबसे अधिक है.

बांका: कटोरिया प्रखंड क्षेत्र के अंतर्गत पिपराडीह एक ऐसा गांव है. जहां, एकाध महिलाओं को छोड़ सिर्फ पुरुष ही छठ पर्व करते हैं. ये पुरुष व्रती निष्ठा और आस्था के साथ व्रत करते हैं. इस गांव में पुरुष वर्ग के छठ करने की यह परंपरा यहां सालों से चली आ रही है.

पुरुष करते हैं छठ
जिले के कटोरिया प्रखंड मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर बसे पिपराडीह गांव में लगभग सभी पुरुष छठ व्रत करते हैं. वहीं जबकि महिलाएं उनकी मदद करतीं हैं. इस गांव में छठ व्रत करने वालों में पुरुषों की संख्या सबसे अधिक रहती है. इस पंचायत की आबादी 5,000 से अधिक है, जिसमें पिपराडीह गांव की आबादी 1,000 है. इस गांव में दर्जनों की संख्या में पुरुष छठ व्रत करते हैं.

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कई पीढ़ियों से चली आ रही प्रथा
छठ व्रत करने वालों का कहना है कि इस गांव में कई पीढ़ियों से पुरुष ही छठ व्रत करते आ रहे हैं. लोगों का मानना है कि उसी परंपरा का पालन आज भी लोग कर रहे हैं. गांव में पुरुषों के छठ व्रत करने से ही गांव का कल्याण और हर प्रकार के कष्टों से निदान होता है. लगातार 20 वर्षों से व्रत करने वालों में सुबोध यादव, रमेश यादव, कृष्णा यादव, विक्रम और सुरेश ने बताया कि वे लोग पूर्व के वंश की परंपरा को निभा रहे हैं.

महिलाएं भी करने लगी हैं छठ
इस दौरान व्रती पुरुषों ने कहा कि इस गांव में जब तक आबादी रहेगी, तब तक पुरुष ही छठ करते रहेंगे. इतना ही नहीं दूसरे गांव को देखकर इस गांव की महिलाएं भी अब धीरे-धीरे छठ व्रत करने लगी हैं, लेकिन अभी भी यहां पुरुषों की संख्या सबसे अधिक है.

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