बांका: लॉकडाउन 2.0 लागू होने के बाद भी मजदूरों का पलायन थमने का नाम नहीं ले रहा है. मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए सभी सरकारी दावे फेल साबित हो रहे हैं. काम बंद हो जाने की वजह से दिहाड़ी मजदूरों को आर्थिक तंगी और खाने-पीने की आफत हो गई है. इस बीच 150 से अधिक मजदूर पैदल ही सुल्तानगंज से झारखंड के नोनीहाट स्थित अपने गांव जाने के लिए रवाना हुए.
जब वे बांका के अमरपुर पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें रोका. थानाध्यक्ष कुमार सन्नी मेडिकल टीम के साथ मौके पर पहुंचे और सभी को अमरपुर में रोक कर और स्वास्थ्य परीक्षण करवाया. सभी को 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है. इस दौरान स्थानीय समाजसेवी की ओर से उन्हें नाश्ता और भोजन मुहैया कराया गया. रेफरल अस्पताल अमरपुर के चिकित्सा प्रभारी डॉ. अभय सिन्हा ने बताया कि सभी मजदूर स्वस्थ हैं.
राशन की कमी के कारण पलायन को मजबूर
आदिवासी समुदाय के मजदूरों ने बताया कि होली के बाद वे काम की तलाश में सुल्तानगंज के दौलतपुर गांव गए थे. लॉकडाउन की वजह से काम बंद हो गया. ऐसे में राशन और पैसा दोनों खत्म हो गया तब जाकर वे पलायन को मजबूर हुए. स्थानीय लोगों से भी उन्हें मदद नहीं मिली. अंत में पैदल ही निकलना पड़ा. मजदूरों ने बताया कि झारखंड के नोनीहाट स्थित माधोबन अपने गांव जा रहे थे. इसी दौरान अमरपुर में उन्हें रोका गया है.
डॉक्टर ने दी जानकारी
रेफरल अस्पताल अमरपुर के चिकित्सा प्रभारी डॉ. अभय सिन्हा ने बताया कि सभी मजदूर सुल्तानगंज के दौलतपुर गांव से पैदल झारखंड के नोनीहाट स्थित अपने गांव जा रहे थे. सूचना मिलने पर सभी को जांच के लिए अमरपुर में रोका गया. स्वास्थ्य परीक्षण में सभी मजदूर स्वस्थ पाए गए. हालांकि, सभी मजदूरों को 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन में रखा जा रहा है. चिकित्सा प्रभारी ने ये भी बताया कि सभी मजदूरों का लगातार स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा और इसकी मॉनिटरिंग वे स्वयं करेंगे.