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बांका में मिट्टी के दिये की बढ़ी डिमांड, खुशी से खिल उठे कुंभकारों के चेहरे

कुंभकारों ने बताया कि इस साल काफी दिनों के बाद मिट्टी के दीपक की बिक्री बहुत अधिक हुई. जिससे उनके परिवार में खुशी लौट आई है. उन्होंने कहा कि कोोना की वजह से इस साल लोग चाइनीज सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं.

Banka
बांका
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Published : Nov 14, 2020, 4:05 PM IST

बांका: कोरोना काल में दिवाली में लोग चीनी सामानों को छोड़कर कुंभकारों के मिट्टी के बने दीपक और अन्य सामानों की खरीदारी अधिक करते दिखे. वहीं, बाजारों में धनतेरस में बर्तन गहने और दिवाली के दिन पटाखों की बिक्री काफी कम हुई. जिससे दुकानदारों में काफी निराशा है. जबकि कुंभकारों के घर कई सालों के बाद खुशी की दीपावली देखने को मिल रही है.

मिट्टी के दीपक की बिक्री
चीनी सामानों की बिक्री को लेकर इस साल बाजारों में बांका, कटोरिया, बेलहर, धोरैया, रजौन, चांदन, कटोरिया, बाराहाट सहित अन्य बाजारों में काफी कम हुई. ऐसे दुकानदार जो बड़ी संख्या में चीनी सामान को लाकर बेचने की तैयारी में थे, उन्हें इस साल काफी निराशा हुई है. कुंभकारों की ओर से इस साल बड़ी संख्या में दीपक और मिट्टी के बर्तन तैयार किए गए थे. जिसकी बिक्री आशा से अधिक हुई है.
कुंभकारों के चेहरे पर खुशी
कुंभकारों ने बताया कि इस साल काफी दिनों के बाद मिट्टी के दीपक की बिक्री बहुत अधिक हुई. जिससे उनके परिवार में खुशी लौट आई है. माना जा रहा है कि कोरोना काल में आय का स्रोत पूरी तरह बंद हो जाने और अधिकतर बाहरी कामगारों के अपने अपने गांव में रहने के कारण ऐसी स्थिति बनी. जिसकी वजह लोग अधिक राशि की सामग्री खरीदने में असमर्थ दिखे.

बांका: कोरोना काल में दिवाली में लोग चीनी सामानों को छोड़कर कुंभकारों के मिट्टी के बने दीपक और अन्य सामानों की खरीदारी अधिक करते दिखे. वहीं, बाजारों में धनतेरस में बर्तन गहने और दिवाली के दिन पटाखों की बिक्री काफी कम हुई. जिससे दुकानदारों में काफी निराशा है. जबकि कुंभकारों के घर कई सालों के बाद खुशी की दीपावली देखने को मिल रही है.

मिट्टी के दीपक की बिक्री
चीनी सामानों की बिक्री को लेकर इस साल बाजारों में बांका, कटोरिया, बेलहर, धोरैया, रजौन, चांदन, कटोरिया, बाराहाट सहित अन्य बाजारों में काफी कम हुई. ऐसे दुकानदार जो बड़ी संख्या में चीनी सामान को लाकर बेचने की तैयारी में थे, उन्हें इस साल काफी निराशा हुई है. कुंभकारों की ओर से इस साल बड़ी संख्या में दीपक और मिट्टी के बर्तन तैयार किए गए थे. जिसकी बिक्री आशा से अधिक हुई है.
कुंभकारों के चेहरे पर खुशी
कुंभकारों ने बताया कि इस साल काफी दिनों के बाद मिट्टी के दीपक की बिक्री बहुत अधिक हुई. जिससे उनके परिवार में खुशी लौट आई है. माना जा रहा है कि कोरोना काल में आय का स्रोत पूरी तरह बंद हो जाने और अधिकतर बाहरी कामगारों के अपने अपने गांव में रहने के कारण ऐसी स्थिति बनी. जिसकी वजह लोग अधिक राशि की सामग्री खरीदने में असमर्थ दिखे.

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