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मंदार पर्वत पर मां सीता ने की थी छठ, वनवास के दौरान यहां ठहरे थे राम-लक्ष्मण - Chhath Puja 2022

बांका का मंदार पर्वत अपने आप में पौराणिक और ऐतिहासिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है और इससे कई सारी मान्यताएं और कहानियां भी जुड़ी हुई है. इन्हीं में से एक मान्यता है कि पर्वत पर स्थित चक्रवर्ती कुंड में वनवास के दौरान माता सीता ने यहां छठ व्रत किया (Sita performed Chhath Puja on Mandar mountain) था. पढ़ें पूरी खबर..

मंदार पर्वत पर माता सीता ने की थी छठ पूजा
मंदार पर्वत पर माता सीता ने की थी छठ पूजा
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Published : Oct 30, 2022, 10:48 AM IST

बांकाः बिहार के बांका में स्थित मंदार पर्वत (Mandar mountain of Banka) धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक लिहाज से एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. इसे राज्य सरकार की ओर से पर्यटन स्थल का दर्जा भी प्राप्त है. यहां से कई सारी पौराणिक कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हैं. साथ ही इसे रामायण और महाभारत काल की कई सारी कहानियां और किवदंतियों की जन्मस्थली माना जाता है. इन्हीं में से एक मान्यता है कि यहां माता सीता ने धन, वंश और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए ऋषि मुद्रल के कहने पर छठ किया था.

ये भी पढ़ेंः मां बीमार, बेटे ने उठाया भार.. कनाडा से आकर बगहा में किया छठ पर्व, कहा- 'घर के परंपरा खतम ना होई'

आस्था का केंद्र है मंदार पर्वतः जिले के बौंसी थानाक्षेत्र के मंदार की महिमा अपार है. यहां पहाड़ के मध्य चक्रवर्ती कुंड अवस्थित है. कहा जाता है कि इसी कुंड घाट पर सीता मैया ने छठ व्रत किया था. समुद्र मंथन का साक्षी पर्वत राज मंदार पर वनवास के दौरान भगवान राम,सीता और लक्ष्मण ठहरे थे. इसी दौरान माता सीता ने धन, वंश और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए सूर्य उपासना का व्रत छठ किया था. मंदार क्षेत्र के कुल्हड़िया के पंडित लाल बहादुर मिश्रा ने बताया कि पुराण में उल्लेख है कि त्रेता युग मे वनवास के दौरान भगवान राम पत्नी और भाई के साथ लंबे समय तक निवास किया था.

वनवास के दौरान राम-सीता यहां ठहरे थेः वनवास के दौरान ही पहाड़ के मध्य में स्थित चक्रवर्ती कुंड में माता सीता ने अपनी मनोकामना सिद्ध को लेकर छठ व्रत किया था. इसके बाद से ही चक्रवर्ती कुंड का नाम सीता कुंड हो गया, जो आज धर्म और आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां भगवान राम रहते थे. वह राम झरोखा के नाम से आज भी अवस्थित है.

बाल्मिकी रामायण में सीता के छठ करने का प्रमाणः पंडित भवेश झा ने कहा वाल्मिकी रामायण में भगवान राम के आने और सीता के छठ व्रत करने का जिक्र है. माता सीता ने ऋषि मुद्रल के वरदान के मुताबिक यहां मनोकामना पूर्ण होने के लिए छठ किया. तबसे कुंड का नाम सीता कुंड पड़ गया. छठ व्रत के दौरान यहां इस कुंड के दर्शन के लिए लोग दूर -दूर से आते है और अपनी मनोकामना को लेकर छठ व्रत करने का संकल्प लेते हैं.

"वाल्मिकी रामायण में भगवान राम के आने और सीता के छठ व्रत करने का जिक्र है. माता सीता ने ऋषि मुद्रल के वरदान के मुताबिक यहां मनोकामना पूर्ण होने के लिए छठ किया. तबसे कुंड का नाम सीता कुंड पड़ गया" - पंडित भवेश झा

बांकाः बिहार के बांका में स्थित मंदार पर्वत (Mandar mountain of Banka) धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक लिहाज से एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. इसे राज्य सरकार की ओर से पर्यटन स्थल का दर्जा भी प्राप्त है. यहां से कई सारी पौराणिक कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हैं. साथ ही इसे रामायण और महाभारत काल की कई सारी कहानियां और किवदंतियों की जन्मस्थली माना जाता है. इन्हीं में से एक मान्यता है कि यहां माता सीता ने धन, वंश और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए ऋषि मुद्रल के कहने पर छठ किया था.

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आस्था का केंद्र है मंदार पर्वतः जिले के बौंसी थानाक्षेत्र के मंदार की महिमा अपार है. यहां पहाड़ के मध्य चक्रवर्ती कुंड अवस्थित है. कहा जाता है कि इसी कुंड घाट पर सीता मैया ने छठ व्रत किया था. समुद्र मंथन का साक्षी पर्वत राज मंदार पर वनवास के दौरान भगवान राम,सीता और लक्ष्मण ठहरे थे. इसी दौरान माता सीता ने धन, वंश और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए सूर्य उपासना का व्रत छठ किया था. मंदार क्षेत्र के कुल्हड़िया के पंडित लाल बहादुर मिश्रा ने बताया कि पुराण में उल्लेख है कि त्रेता युग मे वनवास के दौरान भगवान राम पत्नी और भाई के साथ लंबे समय तक निवास किया था.

वनवास के दौरान राम-सीता यहां ठहरे थेः वनवास के दौरान ही पहाड़ के मध्य में स्थित चक्रवर्ती कुंड में माता सीता ने अपनी मनोकामना सिद्ध को लेकर छठ व्रत किया था. इसके बाद से ही चक्रवर्ती कुंड का नाम सीता कुंड हो गया, जो आज धर्म और आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां भगवान राम रहते थे. वह राम झरोखा के नाम से आज भी अवस्थित है.

बाल्मिकी रामायण में सीता के छठ करने का प्रमाणः पंडित भवेश झा ने कहा वाल्मिकी रामायण में भगवान राम के आने और सीता के छठ व्रत करने का जिक्र है. माता सीता ने ऋषि मुद्रल के वरदान के मुताबिक यहां मनोकामना पूर्ण होने के लिए छठ किया. तबसे कुंड का नाम सीता कुंड पड़ गया. छठ व्रत के दौरान यहां इस कुंड के दर्शन के लिए लोग दूर -दूर से आते है और अपनी मनोकामना को लेकर छठ व्रत करने का संकल्प लेते हैं.

"वाल्मिकी रामायण में भगवान राम के आने और सीता के छठ व्रत करने का जिक्र है. माता सीता ने ऋषि मुद्रल के वरदान के मुताबिक यहां मनोकामना पूर्ण होने के लिए छठ किया. तबसे कुंड का नाम सीता कुंड पड़ गया" - पंडित भवेश झा

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