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बांका: ग्रामीण इलाके में कोरोना वैक्सीन पर जागरूकता में कमी, झोलाछाप डॉक्टर के भरोसे गांव वाले

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Published : May 15, 2021, 4:12 PM IST

Updated : May 15, 2021, 4:36 PM IST

बिहार सरकार जहां दावा कर रही है कि राज्‍य में कोरोना के मामले कम हो रहे हैं और पॉज़िटिव लोगों की संख्या में कमी आ रही है. वहीं जमीनी हकीकत इससे अलग है. बांका के मंझलाडीह गांव से देखिए ग्राउंड रिपोर्ट.

बांका
बांका

बांका: बिहार में लॉकडाउन लगाने के बाद से लगातार कोरोना मरीजों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है. बांका जिले में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जांच के अभाव में कोरोना घर-घर फैलने लगा है. ग्रामीण क्षेत्रों में न तो सही से जांच हो पा रही है और न ही टीकाकरण को लेकर कोई मुहिम चलाई जा रही है. टीकाकरण को लेकर भी ग्रामीण क्षेत्रों में कई भ्रांतियां फैली है. ग्रामीणों के मन में ये डर बैठ गया है कि टीका लेने से मौत हो जाती है.

ये भी पढ़ें- कोविड हॉस्पिटल का हाल तो देखिये, बेड खाली पर मरीजों की नहीं हो रही भर्ती

ग्रामीणों में जागरूकता की कमी
ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण और जांच की प्रक्रिया भी बड़ी चुनौती है. कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अशिक्षित और गरीब लोगों के बस की बात नहीं है और न ही इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता के लिए कोई कदम उठाया जा रहा है. जिसके चलते लोग ग्रामीण चिकित्सकों के चक्कर में फंसकर मौत को गले लगा ले रहे हैं.

टीके को लेकर फैली भ्रांतियां
टीके को लेकर फैली भ्रांतियां

गांव के लिए ठोस रणनीति का अभाव
ग्रामीण क्षेत्रों में जिला प्रशासन की ठोस रणनीति का अभाव दिख रहा है. जिसके चलते कोरोना इन क्षेत्रों में लगातार अपने पांव पसारते जा रहा है. कमोबेश यही स्थिति सदर प्रखंड के मंझलाडीह गांव में देखने को मिली.

ये भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट का आदेश, 'पंचायत प्रतिनिधियों को प्रतिदिन कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा मृत्यु निबंधकों को सौंपना होगा'

लोगों में जानकारी का अभाव
कमोबेश यही स्थिति सदर प्रखंड के मंझलाडीह गांव में देखने को मिली. जहां प्रचार-प्रसार के अभाव में समय पर इलाज नहीं होने के चलते मौत भी हो जा रही है. टीकाकरण को लेकर भी ग्रामीण क्षेत्रों में कई भ्रांतियां हैं. स्थिति यह है कि जागरूकता के अभाव में ग्रामीण टीका लेने तक को तैयार नहीं हैं. ग्रामीणों के जेहन में यह भय बैठ गया है कि टीका लेने से मौत हो जाती है.

गांव के लिए ठोस रणनीति का अभाव
गांव के लिए ठोस रणनीति का अभाव

''यहां कोई सरकारी चिकित्सक नहीं आता है और न ही किसी की जांच हुई है. जिसके चलते ग्रामीण डॉक्टर से दवाई लेकर इलाज कराते हैं. कोरोना का टीका लेने से शरीर कमजोर हो जाता है.''- ललिता सोरेन, ग्रामीण

इलाज नहीं होने से जान का खतरा
इलाज नहीं होने से जान का खतरा

''मोबाइल पर देख रहे हैं कि लगातार लोगों की मौत हो रही है. टीका लगवाने के बाद भी लोगों की मौत हो जा रही है, इसलिए बगैर टीका लगाए ही हम ठीक हैं.''- फोटो हेम्ब्रम, ग्रामीण

ये भी पढ़ें- गया: कोरोना को भगाने के लिए की गई तांत्रिक पूजा, बकरे की दी बलि

टीके को लेकर फैली हैं भ्रांतियां
ग्रामीण वासुदेव टूडू और जुल्फा मुर्मू का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई कोरोना नहीं है. मौसम बदलने के चलते सर्दी, खांसी और बुखार लोगों को हो रहा है. ग्रामीण डॉक्टर से दवाई लेकर ठीक हो जा रहे हैं. कोरोना के जांच और टीकाकरण को लेकर कोई पहल नहीं हुई है और न ही इसके बारे में कोई जानकारी है. कोरोना का टीका लेने से चार-पांच दिन तक बुखार भी रहता है. जिसके चलते लोगों की मौत हो जाने की जानकारी मिलती रहती है. इसलिए बगैर टीका लगाए ही हम ठीक हैं.

बांका: बिहार में लॉकडाउन लगाने के बाद से लगातार कोरोना मरीजों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है. बांका जिले में भी इसका असर देखने को मिल रहा है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जांच के अभाव में कोरोना घर-घर फैलने लगा है. ग्रामीण क्षेत्रों में न तो सही से जांच हो पा रही है और न ही टीकाकरण को लेकर कोई मुहिम चलाई जा रही है. टीकाकरण को लेकर भी ग्रामीण क्षेत्रों में कई भ्रांतियां फैली है. ग्रामीणों के मन में ये डर बैठ गया है कि टीका लेने से मौत हो जाती है.

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ग्रामीणों में जागरूकता की कमी
ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण और जांच की प्रक्रिया भी बड़ी चुनौती है. कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अशिक्षित और गरीब लोगों के बस की बात नहीं है और न ही इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता के लिए कोई कदम उठाया जा रहा है. जिसके चलते लोग ग्रामीण चिकित्सकों के चक्कर में फंसकर मौत को गले लगा ले रहे हैं.

टीके को लेकर फैली भ्रांतियां
टीके को लेकर फैली भ्रांतियां

गांव के लिए ठोस रणनीति का अभाव
ग्रामीण क्षेत्रों में जिला प्रशासन की ठोस रणनीति का अभाव दिख रहा है. जिसके चलते कोरोना इन क्षेत्रों में लगातार अपने पांव पसारते जा रहा है. कमोबेश यही स्थिति सदर प्रखंड के मंझलाडीह गांव में देखने को मिली.

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लोगों में जानकारी का अभाव
कमोबेश यही स्थिति सदर प्रखंड के मंझलाडीह गांव में देखने को मिली. जहां प्रचार-प्रसार के अभाव में समय पर इलाज नहीं होने के चलते मौत भी हो जा रही है. टीकाकरण को लेकर भी ग्रामीण क्षेत्रों में कई भ्रांतियां हैं. स्थिति यह है कि जागरूकता के अभाव में ग्रामीण टीका लेने तक को तैयार नहीं हैं. ग्रामीणों के जेहन में यह भय बैठ गया है कि टीका लेने से मौत हो जाती है.

गांव के लिए ठोस रणनीति का अभाव
गांव के लिए ठोस रणनीति का अभाव

''यहां कोई सरकारी चिकित्सक नहीं आता है और न ही किसी की जांच हुई है. जिसके चलते ग्रामीण डॉक्टर से दवाई लेकर इलाज कराते हैं. कोरोना का टीका लेने से शरीर कमजोर हो जाता है.''- ललिता सोरेन, ग्रामीण

इलाज नहीं होने से जान का खतरा
इलाज नहीं होने से जान का खतरा

''मोबाइल पर देख रहे हैं कि लगातार लोगों की मौत हो रही है. टीका लगवाने के बाद भी लोगों की मौत हो जा रही है, इसलिए बगैर टीका लगाए ही हम ठीक हैं.''- फोटो हेम्ब्रम, ग्रामीण

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टीके को लेकर फैली हैं भ्रांतियां
ग्रामीण वासुदेव टूडू और जुल्फा मुर्मू का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई कोरोना नहीं है. मौसम बदलने के चलते सर्दी, खांसी और बुखार लोगों को हो रहा है. ग्रामीण डॉक्टर से दवाई लेकर ठीक हो जा रहे हैं. कोरोना के जांच और टीकाकरण को लेकर कोई पहल नहीं हुई है और न ही इसके बारे में कोई जानकारी है. कोरोना का टीका लेने से चार-पांच दिन तक बुखार भी रहता है. जिसके चलते लोगों की मौत हो जाने की जानकारी मिलती रहती है. इसलिए बगैर टीका लगाए ही हम ठीक हैं.

Last Updated : May 15, 2021, 4:36 PM IST
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