बांकाः कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन की मार अधिकांश क्षेत्र झेल रहे हैं. पर्यटन क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है. बिहार के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक मंदार में भी लॉकडाउन का असर स्पष्ट तौर पर देखने को मिल रहा है. पर्यटकों से गुलजार रहने वाला मंदार आज वीरान पड़ा है. इससे स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी पर भी काफी असर पड़ा है.
आजीविका पर संकट
मंदार सनातन, सफा और जैन धर्मावलंबियों का संगम स्थली माना जाता है. पूर्वी बिहार के प्रमुख पर्यटन केंद्रों में से एक मंदार आज वीरान नजर आ रहा है. पर्यटकों से गुलजार रहने वाले मंदार में अजब सा सन्नाटा पसरा हुआ है. जब से लॉकडाउन लागू हुआ है, तब से यहां पर्यटकों का आना बंद हो गया है. आसपास के दर्जनों गांव की आजीविका आने वाले पर्यटकों पर ही निर्भर थी. अब पर्यटक नहीं आ रहे हैं तो इनकी आजीविका पर भी संकट के बादल मंडराने लगा है.
दिक्कतों का सामना
मंदार जाने वाले रास्तों को पूरी तरह से बेरिकेड कर दिया गया है. सभी दुकानें बंद हैं और सड़कों पर पर्यटक के बजाय धूल उड़ रही हैं. मंदार के दुकानदार बताते हैं कि आम दिनों में रोजाना हजारों की संख्या में पर्यटक आते थे. जब से लॉकडाउन लागू हुआ है एक भी सैलानी नहीं आ रहे हैं, जिससे हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
सरकार से मदद की उम्मीद
वहीं, पिंटू कुमार बताते हैं कि लॉकडाउन की वजह से खस्ताहाल के साथ-साथ भुखमरी की नौबत भी आन पड़ी है. सरकार से हमारी मांग है कि हम लोगों पर कुछ रहम कर सहायता राशि दे और पर्यटक स्थल को खोलने का निर्देश जारी करे.
पंडित से लेकर दुकानदारों तक को परेशानी
प्रसिद्ध लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित भुवनेश्वर झा भावेश बताते हैं कि पर्यटकों के नहीं आने से पंडित से लेकर दुकानदारों तक को कठिनाई हो रही है. सभी का गुजारा इसी से चलता था दिक्कत का सामना करते हुए अपने परिवारों तक लोग सिमट कर रह गए हैं.
भगवान के भोग की समस्या
पंडित भुवनेश्वर झा भावेश ने बताया कि लक्ष्मी नारायण मंदिर में भगवान को भोग लगाने की समस्या उत्पन्न हो गई है. प्रधान पुजारी ने बताया कि सरकारी स्तर पर मिलने वाले 4 हजार से 7 लोगों का खाना, सुबह-शाम भगवान का भोग और आरती करवाना पड़ता है, जिसमें काफी मुश्किल से गुजारा हो रहा है.