ETV Bharat / state

बांका: सरफुद्दीन का शव पहुंचा गांव, नोएडा में अपराधियों की थी हत्या - सरफुद्दीन का शव पहुंचा गांव

बांका के रहने वाले सरफुद्दीन बाकी लोगों की तरह ही नोएडा काम करने गया था. जहां उसकी हत्या कर दी गई. बताया जा रहा है कि कुछ लोगों ने मोहम्मद शाहदाब के नाम पर शख्स पर गोली चलाई थी लेकिन गोली सरफुद्दीन को लग गई. और उसकी मौके पर ही मौत हो गई.

मजूदर की मौत
मजूदर की मौत
author img

By

Published : Jan 2, 2021, 10:10 AM IST

बांका (कटोरिया): नई दिल्ली में अपराधियों की गोली का शिकार हुए मजदूर का शव देर रात सुईया थाना क्षेत्र के बलसारा गांव पहुंचा. शव पहुंचते ही परिजनों में कोहराम मच गया. बलसारा के रहने वाले मोहम्मद सरफुद्दीन नई दिल्ली में मजदूरी कर परिवार को पाल रहा था.

दो महीने पहले ही गया था दिल्ली
बड़फेरा-तेतरिया पंचायत अंतर्गत बलसारा गांव निवासी स्वर्गीय खलील मियां का 28 वर्षीय पुत्र मोहम्मद सरफुद्दीन दो महीना पहले ही अपने साथी के साथ नोएडा के नरेला गया था. जहां वह सिलाई करने का काम करता था. 30 दिसंबर 2020 की देर शाम नई नरेला थाना अंतर्गत कुरैनी गांव के समीप सब्जी खरीदने गया था. जहां अपराधियों की गोली का शिकार हो गया.

धोखे में बना गोली का शिकार
अपराधियों ने सबसे पहले मजदूर सरफुद्दीन पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गयी. फिर नरेला (नई दिल्ली) निवासी मोहम्मद शाहदाब को मौत के घाट उतारा. चर्चा है कि आपसी रंजिश में अपराधी मोहम्मद शाहदाब को ही मारने पहुंचे थे, लेकिन पहचान में चूक के कारण निर्दोष मजदूर मो सरफुद्दीन ही मारा गया. चंद मिनट बाद भी अपराधियों ने मोहम्मद शाहदाब की हत्या की कर दी. मृतक शाहदाब का एक भाई हत्या के जुर्म में जेल में बंद है.

परिजनों को लगा सदमा
नई दिल्ली से मृत प्रवासी मजदूर मोहम्मद सरफुद्दीन का शव शुक्रवार की देर रात बलसारा गांव पहुंचा. शव को देखने के साथ ही परिजनों में कोहराम मच गया. मृतक की पत्नी सेरून खातून, पुत्री रुखसार खातून (10 वर्ष), पुत्र मो हसनैन अंसारी (7 वर्ष) व मोहम्मद हासिम अंसारी (3 वर्ष) का रो रो कर बुरा हाल है. घर के एकमात्र कमाऊ सदस्य सरफुद्दीन की मौत हो जाने से पूरे परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा है.

लॉकडाउन में ट्रक से लौटा था घर
कोविड-19 में जारी लॉकडाउन में मोहम्मद सरफुद्दीन नई दिल्ली के नरेला में ही फंस गया था. काफी मशक्कत से ट्रक पर सवार होकर वह गांव लौटा था. आर्थिक रूप से त्रस्त मोहम्मद सरफुद्दीन गांव में ही ट्रैक्टर आदि में मजदूरी कर अपने परिवार और बच्चों का बड़ी मशक्कत से पेट पाल रहा था.

गरीबी के कारण गया था दिल्ली
परिवार के लिए सही ढंग से दोनों शाम का चूल्हा जलाना भी संभव नहीं हो पा रहा था. मजबूर होकर मोहम्मद सरफुद्दीन दो महीने पहले ही पुनः नई दिल्ली चला गया था. जहां सिलाई का काम करता था. लेकिन गत 30 दिसंबर की शाम उसे आराधियों ने धोखे में गोली मार दी.

मुआवजा देने की मांग
मृत प्रवासी मजदूर मोहम्मद सरफुद्दीन के पीड़ित परिजनों को क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों एवं स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से उचित मुआवजा राशि भी देने की मांग की है. ताकि मृतक की पत्नी और तीन छोटे-छोटे बच्चों का भरण पोषण हो सके.

बांका (कटोरिया): नई दिल्ली में अपराधियों की गोली का शिकार हुए मजदूर का शव देर रात सुईया थाना क्षेत्र के बलसारा गांव पहुंचा. शव पहुंचते ही परिजनों में कोहराम मच गया. बलसारा के रहने वाले मोहम्मद सरफुद्दीन नई दिल्ली में मजदूरी कर परिवार को पाल रहा था.

दो महीने पहले ही गया था दिल्ली
बड़फेरा-तेतरिया पंचायत अंतर्गत बलसारा गांव निवासी स्वर्गीय खलील मियां का 28 वर्षीय पुत्र मोहम्मद सरफुद्दीन दो महीना पहले ही अपने साथी के साथ नोएडा के नरेला गया था. जहां वह सिलाई करने का काम करता था. 30 दिसंबर 2020 की देर शाम नई नरेला थाना अंतर्गत कुरैनी गांव के समीप सब्जी खरीदने गया था. जहां अपराधियों की गोली का शिकार हो गया.

धोखे में बना गोली का शिकार
अपराधियों ने सबसे पहले मजदूर सरफुद्दीन पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गयी. फिर नरेला (नई दिल्ली) निवासी मोहम्मद शाहदाब को मौत के घाट उतारा. चर्चा है कि आपसी रंजिश में अपराधी मोहम्मद शाहदाब को ही मारने पहुंचे थे, लेकिन पहचान में चूक के कारण निर्दोष मजदूर मो सरफुद्दीन ही मारा गया. चंद मिनट बाद भी अपराधियों ने मोहम्मद शाहदाब की हत्या की कर दी. मृतक शाहदाब का एक भाई हत्या के जुर्म में जेल में बंद है.

परिजनों को लगा सदमा
नई दिल्ली से मृत प्रवासी मजदूर मोहम्मद सरफुद्दीन का शव शुक्रवार की देर रात बलसारा गांव पहुंचा. शव को देखने के साथ ही परिजनों में कोहराम मच गया. मृतक की पत्नी सेरून खातून, पुत्री रुखसार खातून (10 वर्ष), पुत्र मो हसनैन अंसारी (7 वर्ष) व मोहम्मद हासिम अंसारी (3 वर्ष) का रो रो कर बुरा हाल है. घर के एकमात्र कमाऊ सदस्य सरफुद्दीन की मौत हो जाने से पूरे परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा है.

लॉकडाउन में ट्रक से लौटा था घर
कोविड-19 में जारी लॉकडाउन में मोहम्मद सरफुद्दीन नई दिल्ली के नरेला में ही फंस गया था. काफी मशक्कत से ट्रक पर सवार होकर वह गांव लौटा था. आर्थिक रूप से त्रस्त मोहम्मद सरफुद्दीन गांव में ही ट्रैक्टर आदि में मजदूरी कर अपने परिवार और बच्चों का बड़ी मशक्कत से पेट पाल रहा था.

गरीबी के कारण गया था दिल्ली
परिवार के लिए सही ढंग से दोनों शाम का चूल्हा जलाना भी संभव नहीं हो पा रहा था. मजबूर होकर मोहम्मद सरफुद्दीन दो महीने पहले ही पुनः नई दिल्ली चला गया था. जहां सिलाई का काम करता था. लेकिन गत 30 दिसंबर की शाम उसे आराधियों ने धोखे में गोली मार दी.

मुआवजा देने की मांग
मृत प्रवासी मजदूर मोहम्मद सरफुद्दीन के पीड़ित परिजनों को क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों एवं स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से उचित मुआवजा राशि भी देने की मांग की है. ताकि मृतक की पत्नी और तीन छोटे-छोटे बच्चों का भरण पोषण हो सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.