बांका: चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था के महापर्व छठ की नहाय-खाय के साथ शुरुआत हो गई. छठ व्रतियों नें गंगा में स्नान कर भगवान भास्कर की आरधना शुरू की. इस अनुष्ठान का समापन 3 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर होगा. इस महापावन त्योहार को लेकर जिला समेत पूरे प्रदेश में तैयारियां अंतिम चरण पर हैं.
पापहरणी सरोवर में व्रतियों ने लगाई डुबकी
इस पावन अवसर पर जिले के मंदार पर्वत के तलहटी में स्थित पापहरणी सरोवर में हजारों छठव्रतियों ने आस्था की डुबकी लगाकर छठ व्रत के अनुष्ठान का श्री गणेश किया. श्रद्धालु बस, ऑटो और बाइक से दोपहर तक पापहरणी सरोवर में आते रहे.
अरवा चावल और लौकी की सब्जी का भोजन करती है छठव्रती
नहाय-खाय के दिन व्रती गंगा स्नान के बाद अरवा चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी का भोजन करते हैं. पहली बार छठ का व्रत कर रही ममता देवी ने बताया कि नहाय-खाय की विशेष महत्ता है. उन्होंने बताया कि स्नान के बाद घाट पर मां गंगा की पूजा करने के बाद घर जाकर शुद्ध भोजन ग्रहण किया जाता है.
नहाय-खाय के बाद खरना कल
नहाय खाय संपन्न होने के बाद व्रती कल खरना करेंगी. इस दिन शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. खरना में छठी मैया को पीतल बर्तन में बने प्रसाद अर्पित किया जाता है. मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से दुध गुड़ और चावल से प्रसाद (खीर) बनाई जाती है. इस दौरान महिलाएं एक साथ छठ के पारंपरिक गीत गाती है. छठी मैया को प्रसाद अर्पित कर व्रती पहले स्वयं प्रसाद ग्रहण करती हैं. जिसके बाद सभी को प्रसाद वितरित किया जाता है. इस दिन किसी के यहां रोटी नहीं बनती है. कुछ लोग इस दिन नमक का प्रयोग भी नहीं करते हैं.
जिला प्रशासन रहा मुस्तैद
इस अवसर पर जिला प्रशासन काफी चुस्त-दुरुस्त दिखी. सरोवर में जिला प्रशासन ने लाइफ जैकेट के साथ गोताखोर को तैनात किया था. किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पुलिस बल के जवान बोट पर सरोवर से लगातार गश्ती करते दिखे. प्रशासन माईक के जरिए लोगों को सरोवर में अधिक गहराई में ना जाने का दिशा-निर्देश भी लगातार दे रहा था. मौके पर सरोवर तक जाने वाली सड़कों पर श्रद्धालुओं का हुजूम लगा रहा. हालांकि पुलिस बल के जवान मौके पर मुस्तैदी के साथ तैनात दिखे.