बांका: बिहार के बांका जिले के अमरपुर थानाक्षेत्र के सलेमपुर गांव में शव दफनाने को लेकर शनिवार को दो पक्षों में विवाद हो गया. इस विवाद के कारण करीब सात घंटे बाद शव को सुपुर्दे खाक किया. दरअसल, कब्रिस्तान की जमीन को लेकर गांव के दो पक्षों में विवाद गहरा गया था. एक पक्ष का कहना था कि कब्रिस्तान की जमीन बता कर कुछ लोग सरकारी जमीन पर हो रहे विकास कार्य को अवरुद्ध करना चाहते हैं. वहीं दूसरे पक्ष का कहना था कि जबरदस्ती कब्रिस्तान की जमीन पर पंचायत सरकार भवन, जलमिनार आदि बनाया गया है.
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शव दफनाने को लेकर अड़े रहे लोग: एक पक्ष के लोगों ने बताया कि जहां शव दफनाने की बात हो रही है. वहां पहले से पंचायत सरकार भवन और अस्पताल बना हुआ है. जब इनका निर्माण कार्य शुरू हुआ था, उस वक्त भी कब्रिस्तान का मामला उठा था. उस वक्त अधिकारियों ने जांच के बाद स्पष्ट कर दिया था कि यहां कोई कब्रिस्तान की जमीन नहीं है. अब एक बार फिर दूसरे पक्ष के लोग शव दफनाने के लिए यहां पहुंचे थे. यहां जलमिनार बन रहा है और आगे पैक्स गोदाम बनने की बात है.
एसडीपीओ ने विवाद सुलझाया: इस विवाद की सूचना मिलते ही सीओ वत्सांक कुमार, सर्किल इंस्पेक्टर सुबोध कुमार राव, थानाध्यक्ष विनोद कुमार, अवर निरीक्षक पवन कुमार, सहायक अवर निरीक्षक खुर्शीद आलम, राजीव रंजन पुलिस बल के साथ सलेमपुर गांव पहुंचे. अधिकारियों ने दोनों पक्षों को काफी समझाया, लेकिन दोनों अपनी-अपनी बातों पर अड़े रहे. तब जाकर एसडीपीओ विपिन बिहारी क्यूआरटी फोर्स के साथ वहां आए और दोनों पक्षों को समझाते हुए शव दफन करवाया. एसडीपीओ ने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कब्रिस्तान की वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा गया है. दोनों पक्षों को समझाते हुए स्थिति सामान्य कर दी गई है.
"अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कब्रिस्तान की वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा गया है. दोनों पक्षों को समझाते हुए स्थिति सामान्य कर दी गई है" - विपिन बिहारी, एसडीपीओ
कब्रिस्तान की वैकल्पिक व्यवस्था पर बनी बात: वहीं सीओ वत्सांक कुमार ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को लगभग तीन कट्ठा जमीन कब्रिस्तान के लिए दी जाएगी. साथ ही उसकी घेराबंदी भी की जाएगी, ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो. सलेमपुर मौजा में बिहार सरकार की एक एकड़ 52 डिसमिल जमीन है. इसमें से कुछ हिस्से में पंचायत सरकार भवन, जलमिनार तथा अस्पताल निर्मित है. बाकी बचे जमीन की नापी कराकर कब्रिस्तान बनवाया जाएगा.
"अल्पसंख्यक समुदाय को लगभग तीन कट्ठा जमीन कब्रिस्तान के लिए दी जाएगी. साथ ही उसकी घेराबंदी भी की जाएगी, ताकि भविष्य में कोई समस्या न हो" - वत्सांक कुमार, सीओ