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बांका में 'वेंटिलेटर' पर सदर अस्पताल का 'लाइफ सपोर्ट सिस्टम', महामारी से बिगड़े हालात

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Published : Apr 19, 2021, 10:51 PM IST

बांका में कोरोना के लगातार बढ़ते मामले और दर्जनों लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग को वेंटिलेटर की याद आई और इसे इंस्टॉल करने की प्रक्रिया प्रारंभ की. जिसके बाद नई समस्या उत्पन्न हो गई कि वेंटिलेटर का यूपीएस ही खराब हो गया है. जिसे ठीक कराने के लिए भेजा गया है. वेंटिलेटर के अभाव में बांका जिले में अब तक 22 लोगों की मौत हो गई.

बांका
बांका

बांका: कोरोना के लगातार बढ़ते मामले और दर्जनों लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग को वेंटिलेटर की याद आई और इसे इंस्टॉल करने की प्रक्रिया प्रारंभ की. जिसके बाद नई समस्या उत्पन्न हो गई कि वेंटिलेटर का यूपीएस ही खराब हो गया है. जिसे ठीक कराने के लिए भेजा गया है. वेंटिलेटर के अभाव में बांका जिले में अब तक 22 लोगों की मौत हो गई.

ये भी पढ़ें- Bihar Corona Update: एक दिन में फिर 7487 नये केस मिले, 24 घंटे में 41 लोगों की मौत

मौत का बढ़ा ग्राफ
अगर जल्द ही वेंटिलेटर की सुविधा बांका सदर अस्पताल में शुरू नहीं की गई तो मौत का ग्राफ बढ़ता जाएगा. क्योंकि मायागंज अस्पताल में बांका से भेजे जाने वाले मरीजों को एडमिट नहीं किया जा रहा है.

महामारी को लेकर बिगड़े हालात
जिले में पीएम केयर फंड से बांका सदर अस्पताल को चार वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध करायी गयी, लेकिन कोरोना महामारी को लेकर बिगड़े हालात में एक भी संचालित नहीं हो रहा है. कोरोना की दूसरी लहर में स्ट्रेन इतनी घातक है कि मरीजों को संभलने का मौका भी नहीं मिल पा रहा है और मरीजों की मौत हो जा रही है.

वेंटिलेटर का यूपीएस ही खराब
वेंटिलेटर का यूपीएस ही खराब

लगातार बढ़ता जा रहा मौत का आंकड़ा
जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों के मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. सोमवार को भी 40 से अधिक पॉजिटिव मरीज मिले हैं, जबकि दो की मौत हो गई है. सदर अस्पताल प्रबंधक अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि पीएम केयर फंड से चार वेंटिलेटर लगाये हैं. हालांकि, अब तक टेक्नीशियन के अभाव में वेंटिलेटरों का उपयाेग नहीं हो पा रहा है. चार वेंटिलेटर कोविड वार्ड में लगाये गये हैं. टेक्नीशियन ने मशीन को चेक किया है. एक-दो दिन में वेंटिलेटर की सुविधा भी मरीजों को मिलनी शुरू हो जाएगी.

ये भी पढ़ें- कोरोना विस्फोट: अब दुकानों के खुलने और बंद होने का समय बदला, जानें नया टाइमटेबल

कोराेना के बढ़ते मामले को देखते हुए सदर अस्पताल में 20 बेड का एक और कोविड केयर वार्ड बनाया गया, जिसमें सभी बेडों पर ऑक्सीजन सहित अन्य जरूरी उपकरण लगाये गये हैं. इधर, बांका के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि ज्यादातर ऐसे मरीज अस्पताल में इलाज कराने पहुंच रहे हैं, जिनकी स्थिति घर पर ज्यादा खराब हो जाती है. अगर किसी प्रकार का लक्षण शरीर में दिखाई दे, तो तुरंत चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए.

बांका: कोरोना के लगातार बढ़ते मामले और दर्जनों लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग को वेंटिलेटर की याद आई और इसे इंस्टॉल करने की प्रक्रिया प्रारंभ की. जिसके बाद नई समस्या उत्पन्न हो गई कि वेंटिलेटर का यूपीएस ही खराब हो गया है. जिसे ठीक कराने के लिए भेजा गया है. वेंटिलेटर के अभाव में बांका जिले में अब तक 22 लोगों की मौत हो गई.

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मौत का बढ़ा ग्राफ
अगर जल्द ही वेंटिलेटर की सुविधा बांका सदर अस्पताल में शुरू नहीं की गई तो मौत का ग्राफ बढ़ता जाएगा. क्योंकि मायागंज अस्पताल में बांका से भेजे जाने वाले मरीजों को एडमिट नहीं किया जा रहा है.

महामारी को लेकर बिगड़े हालात
जिले में पीएम केयर फंड से बांका सदर अस्पताल को चार वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध करायी गयी, लेकिन कोरोना महामारी को लेकर बिगड़े हालात में एक भी संचालित नहीं हो रहा है. कोरोना की दूसरी लहर में स्ट्रेन इतनी घातक है कि मरीजों को संभलने का मौका भी नहीं मिल पा रहा है और मरीजों की मौत हो जा रही है.

वेंटिलेटर का यूपीएस ही खराब
वेंटिलेटर का यूपीएस ही खराब

लगातार बढ़ता जा रहा मौत का आंकड़ा
जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों के मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. सोमवार को भी 40 से अधिक पॉजिटिव मरीज मिले हैं, जबकि दो की मौत हो गई है. सदर अस्पताल प्रबंधक अमरेश कुमार सिंह ने बताया कि पीएम केयर फंड से चार वेंटिलेटर लगाये हैं. हालांकि, अब तक टेक्नीशियन के अभाव में वेंटिलेटरों का उपयाेग नहीं हो पा रहा है. चार वेंटिलेटर कोविड वार्ड में लगाये गये हैं. टेक्नीशियन ने मशीन को चेक किया है. एक-दो दिन में वेंटिलेटर की सुविधा भी मरीजों को मिलनी शुरू हो जाएगी.

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कोराेना के बढ़ते मामले को देखते हुए सदर अस्पताल में 20 बेड का एक और कोविड केयर वार्ड बनाया गया, जिसमें सभी बेडों पर ऑक्सीजन सहित अन्य जरूरी उपकरण लगाये गये हैं. इधर, बांका के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि ज्यादातर ऐसे मरीज अस्पताल में इलाज कराने पहुंच रहे हैं, जिनकी स्थिति घर पर ज्यादा खराब हो जाती है. अगर किसी प्रकार का लक्षण शरीर में दिखाई दे, तो तुरंत चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए.

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