बांका : कोरोना महामारी से बचाने के लिए लगभग दो महीने से पूरा देश लॉकडाउन है. तमाम कल-कारखानों से लेकर अन्य औद्योगिक प्रतिष्ठान बंद हैं. इसका सर्वाधिक असर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों पर पड़ा है. काम बंद हो जाने के बाद आर्थिक तंगी और भुखमरी की दंश झेल रहे प्रवासी मजदूर पैदल ही हजारों मील की सफर पर निकलने को मजबूर हो गए हैं. लाखों मजदूर देश की सड़कों को पैदल ही नाप रहे हैं. ऐसे ही 20 मजदूर की टोली उड़ीसा के कटक से पैदल ही भागलपुर के पीरपैंती के लिए निकल पड़ी. 5 मई को पैदल यात्रा की शुरुआत की और बुधवार को बांका की सड़कों से गुजरे.
स्थानीय दुकानदारों ने पिलाया सत्तू
बांका की सड़कों पर पैदल चल रहे मजदूरों की टोली पर स्थानीय दुकानदारों की नजर पड़ी, तो दुकानदारों ने सभी को रोककर सत्तू पिलाया और प्लास्टिक में रास्ते के लिए सत्तू भी दिया. इसके अलावा दुकानदारों ने मुढ़ी और दालमोट के साथ सभी मजदूरों को एक-एक बोतल पानी भी दिया. मजदूरों ने बताया कि पैदल आने के क्रम में रास्ते में सवाल पूछने वाले बहुत लोग मिले, लेकिन मदद करने वाले कम ही मिले.
मजदूरों के लिए सीमा पर बस की हो सुविधा
स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि कड़ी धूप में सड़क पर पैदल चल रहे मजदुर को देखकर दया आ गई. सभी को सत्तू पिलाने के साथ रास्ते के लिए नास्ता भी दिया. दुकानदारों ने जिला प्रशासन से आग्रह किया कि बाहर से आ रहे प्रवासी मजदूरों के लिए जिले के सभी सीमाओं पर बस की व्यवस्था की जाए. ताकि लंबी दूरी तय कर पैदल आ रहे मजदूरों को घर जाने में थोड़ा सहूलियत मिल सके.